कोटा । अखिल भारतीय बेरोजगार मजदूर किसान संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज दुबे ने कोरोना महामारी, बिगड़ती अर्थव्यवस्था, भयंकर बेरोज़गारी और मरते मज़दूर-किसान एवम रोज कमाने खाने वाले गरीबो को नगद राहत देने के बजाए रेहड़ी-पटरी वालों और ठेले पर सामान बेचने वाले गरीबो के रोजगार के लिए केन्द्र सरकार के द्वारा नगद सहायता देने की जगह कर्ज दिए जाने की घोर निन्दा की है।
दुबे ने कहा कि रेहड़ी-पटरी वालों और ठेले पर सामान बेचने वाले रोज कमाते खाते है बड़ी मुश्किल से उनका जीवन यापन होता है लम्बे लॉकडाउन से बेरोजगार हुए इन गरीबो को केन्द्र सरकार द्वारा नगद कर्ज मुक्त राहत पैकेज देकर राहत देनी चाहिए थी लेकिन केन्द्र सरकार इस मुसीबत के समय भी एक कल्याणकारी सरकार की भूमिका ना निभाकर रोज कमाने खाने वाले गरीबो को कर्ज देकर साहूकार की भूमिका अदा कर रही है जो दुर्भायपूर्ण है।क्या मोदी सरकार ऐसे ही गरीबो को आत्मनिर्भर बनाएगी।
दुबे ने कहा कि इस संकट की घड़ी में जो सरकार रोज कमाने खाने वाले गरीबो को 10 हज़ार रुपये की आर्थिक सहायता देने के बजाय 10 हज़ार का कर्ज देकर गरीबो का हितेषी होने का ढोंग कर रही ऐसी गरीब विरोधी भाजपा सरकार को रोज कमाने खाने आने गरीब कभी माफ़ नही करेंगे।
दुबे ने रेहड़ी-पटरी वालों और ठेले पर सामान बेचने वाले गरीबो को रोजगार के लिए कर्ज के स्थान पर 10 हज़ार रुपये की नगद सहायता देकर राहत देने की मांग की है।