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मधुमक्खी पालन बन सकता है आय का अच्छा स्रोत

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25 Feb 20
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मधुमक्खी पालन बन सकता है आय का अच्छा स्रोत

कोटा (डॉ. प्रभात कुमार सिंघल) |  हाड़ौती में मधुमक्खी पालन लोक प्रिय हो रहा है। कृषि के साथ-साथ मधुमक्खी पालन (Bee keeping) आज अतिरिक्त आय का अच्छा स्रोत साबित हो रहा है। यह बात झालवाड़ में सम्पन्न गए दो दिवसीय मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण से निकल कर सामने आई।

 कृषि विज्ञान केन्द्र, झालावाड़ में युवाओं को कृषि की ओर आकर्षित करने एवं बनाए रखने के लिए आर्या परियोजना के अन्तर्गत सात दिवसीय ‘‘मधुमक्खी पालन’’ (Bee keeping) विषय पर प्रशिक्षण का समापन सोमवार को किया गया। इस अवसर पर केन्द्र के समस्त कर्मचारी एवं झालावाड़ जिले के 19 युवा कृषकों ने भाग लिया।
       कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केन्द्र, झालावाड़ के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, डॉ. अर्जुन कुमार वर्मा ने बताया कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम में 19 युवाओं का चयन पहले आओ पहले पाओ के आधार पर किया गया था। साथ ही प्रशिक्षणार्थियों को मधुमक्खी पालन अपनाकर अपनी अतिरिक्त आय बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया गया। उन्होंने बताया कि विभिन्न प्रशिक्षण इकाईयों के माध्यम से मधुमक्खी पालकों को ज्ञान अर्जित करते हुए स्वरोजगार एवं व्यवसाय शुरू कर अपनी आमदनी बढ़ाने के साथ खेती किसान की मुख्यधारा से जुड़ना सुनिश्चित हो जाता है। मधुमक्खी पालन को समन्वित कृषि प्रणाली से जोड़ कर मधुमक्खी पालक वर्षभर आमदनी प्राप्त कर सकता है।
         कार्यक्रम समापन पर मुख्य अतिथि उपनिदेशक कृषि विभाग (Agriculture Department) कैलाश मीना ने राज्य एवं केन्द्र सरकार द्वारा मधुमक्खी पालन व्यवसाय में दिए जा रहे अनुदान की विस्तृत चर्चा के साथ ही मधुमक्खी पालन को व्यवसाय की तरह अपनाते हुए स्वरोजगार के लिए पुरजोर दिया।
विशिष्ट अतिथि के रूप में उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय, झालावाड़ के सह आचार्य, डॉ. एस.बी.एस. पाण्डेय ने बताया कि मधुमक्खी पालन के लिए किसान को वार्षिक कार्य योजना बनाते हुए व्यवसाय को शुरू करना होगा ताकि शुरूआती दौर में समस्याओं का समाधान करते हुए व्यवसाय को आगे बढ़ाया जा सके। उद्यानिकी एवं वानिकी तकनीकियों द्वारा मधुमक्खीपालक वर्षभर मधुमक्खीपालन सुनिश्चित कर लाभान्वित हो सकते है। 
              प्रशिक्षण समन्वयक, डॉ. सेवा राम रूण्डला, विषय विशेषज्ञ (मृदा विज्ञान) ने बताया कि इस प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षणार्थियों ने  मधुमक्खी पालन से संबंधित प्रत्येक पहलू जैसे कि मधुमक्खी पालन का कृषि में सामाजिक एवं आर्थिक महत्व, मधुमक्खी पालन के सह-उत्पादों के प्रसंस्करण एवं विपणन के तरीके, मधुमक्खी के जीवन चक्र से संबंधित अण्डा, लार्वा, प्यूपा एवं वयस्क अवस्था (सैनिक, श्रमिक, नर या ड्रॉन एवं रानी मक्खी) की पहचान प्रायोगिक रूप से मधुमक्खी पालक कृषकों के यहां जाकर करवाई एवं सैनिक, श्रमिक, ड्रॉन एवं रानी मक्खी के कार्यों की गतिविधियों से भी अवगत कराया। मधुमक्खियों के प्रमुख कीट, बीमारियां एवं उपचार, मधुमक्खियों का विभिन्न ऋतुओं में प्रबंधन के साथ-साथ कच्चे शहद का प्रसंस्करण की जानकारी शहद प्रसंस्करण इकाई उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय, झालरापाटन में इकाई इंचार्ज डॉ. सुरेश कुमार जाट द्वारा दिलवाई गई। 
           प्रशिक्षण के दौरान शनिवार को प्रशिक्षणार्थियों को उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय (College of Horticulture and Forestry to trainees), झालरापाटन, झालावाड में स्थित शहद प्रसंस्करण यूनिट का भ्रमण करवाकर शहद किस प्रकार से प्रसंस्करित किया जाता है की भी जानकारी से अवगत करवाया। साथ ही जिले के गांव मानपुरा के प्रगतिशील मधुमक्खीपालक इन्द्रराज पाटीदार द्वारा संचालित एपियरी का भ्रमण कराकर प्रायोगिक जानकारी दिलवायी। वहीं रविवार को कंवल्दा, खानपुर के प्रगतिशील मधुमक्खीपालक सत्यनारायण नागर एवं भीमराज नागर, पूंगाखेड़, खानपुर द्वारा संचालित एपियरी का भ्रमण कर प्रायोगिक कार्यों की जानकारी द्वारा ज्ञानार्जन करवाया गया।  
         इस अवसर पर केन्द्र के प्रसार वैज्ञानिक डॉ. मोहम्मद युनुस ने उपस्थित प्रतिभागियों को भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इस प्रशिक्षण की सफलता तभी सिद्ध होगी जब प्रशिक्षण में सीखी गई मधुमक्खी पालन के लिये प्रदत्त तकनीकियों एवं जानकारियों को स्वयं अपनाकर आत्मभूत करें एवं इसको रोजगारपरक बनाएं । आर्या परियोजना के प्रशिक्षण का उद्देश्य भी यही है कि प्रशिक्षणार्थी प्रशिक्षण पश्चात् आत्मनिर्भर एवं रोगजार सृजक बनें। 
         केन्द्र के उद्यान वैज्ञानिक अरविन्द नागर ने बताया कि मधुमक्खी पालन व्यवसाय को ऊँचाइयों तक ले जाने में उद्यानिकी की विभिन्न तकनीकियों का महत्वपूर्ण योगदान है। जिनके माध्यम से प्रगतिशील कृषक मधुमक्खीपालक भी बनकर अतिरिक्त आमदनी एवं समाज में नाम कमा सकते है। साथ ही अन्य निम्न वर्गीय किसानों को सम्बल प्रदान करने के साथ समाज की मुख्य धारा से जोड़ने में मदद कर सकते है ताकि उनकों भी अपने कौशल को निखारने का मौका मिल सके। प्रशिक्षण संचालन में केन्द्र सहायक अनुभाग अधिकारी अशोक कुमार आजाद ने भी योगदान किया।

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