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इक्कीसवीं सदी में आर्थिक विकास के लिए छः कारकों की चर्चा हो-प्रो. मेहता

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17 Jan 20
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इक्कीसवीं सदी में आर्थिक विकास के लिए छः कारकों की चर्चा हो-प्रो. मेहता
कोटा (डॉ. प्रभात कुमार सिंघल) | राजकीय कला कन्या महाविद्यालय के जीपीईएम विभाग के तत्वावधान में कौशल विकास संभावनाएं एवं चुनौतियाँ विषय पर दो दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन भूटान के रॉयल थिम्पू कॉलेज के अर्थशास्त्री डॉ. संजीव मेहता के मुख्य आतिथ्य एवं कॉलेज प्राचार्य डॉ. अनीता गुप्ता की अध्यक्षता में समारोह पूर्वक किया गया है।

          मुख्य अतिथि अर्थशास्त्री प्रो. मेहता ने कहा कि 21 वीं सदी के बदले हुए परिदृश्य में छः कारकों की चर्चा करनी जरूरी है जिनमें स्मार्ट मशीनों का उद्भव, सूचना केन्द्र विश्व अन्तर अनुशासनात्मक, अन्तर विषयक अध्ययन, आभासी विश्व आधारित अतिसंचरित संगठन। उन्होंने बताया कि भूटान में खुशहाली का एकमात्र मंत्र है समतावादी सामाजिक आर्थिक विकास।
         कार्यक्रम की अध्यक्ष डॉ. अनीता गुप्ता ने अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में सहभागिता करने वाले सभी सदस्यों का स्वागत करते हुए कहा कि महाविद्यालयों में दी जाने वाली सैद्धान्तिक शिक्षा आज के युवाओं के लिए पर्याप्त नही है। अन्य देशों की तुलना में भारतीय युवा केवल 30 प्रतिशत ही विशिष्टि रूप से प्रशिक्षित हैं, कौशल विकास के क्षेत्र में विषेष प्रयास की आवश्यकता है। उन्होनें कहा कि आशा और अपेक्षा है कि दो दिवसीय संगोष्ठी में निश्चित रूप से कौशल विकास के नये मानदण्ड और सार्थक परिणाम सामने आयेगें।

       विशिष्ट अतिथि डी.सी. एम. श्रीराम इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी वीके जेटली ने कहा कि आज विकास के लिए रचनात्मकता और नवाचार की आवश्यकता है। आज के युवाओं में वास्तव में रोजगार की योग्यता नहीं है उन्होंने आंकडों के आधार पर विभिन्न  क्षेत्रों में रोजगाार के प्रतिशत पर प्रकाश डाला। उन्होनें विभिन्न उदाहरणों के द्वारा छात्राओं में सकारात्मक सोच विकसित करने का आह्वान किया।
           कोटा विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. आरके उपाध्याय ने कहा कि आज युवाओं के लिए रोजगार निरन्तर कम हो रहे हैं। आज विभिन्न संस्थाओं में एजेन्सियों के माध्यम से बहुत कम वेतन में रोजगार दिये जा रहे हैं। कॉलेज शिक्षा विभाग के सहायक निदेशक डॉ. केएम गवेन्द्रा ने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर किसी भी देश की पहचान आर्थिक आधार पर होती है। भारत में रोजगाार के बहुत सीमित अवसर है और जो है उन पर बहुत कम पारिश्रमिक मिलता है।
         प्रोफेसर एवं डीन परिवार एवं सामुदायिक विज्ञान विभाग एनएसयू बडौदरा गुजरात डॉ. अंजलि करौलिया ने कहा कि विषेष प्रशिक्षण, शिक्षा व अभ्यास के द्वारा किसी कार्य को कुशलता के साथ करना ही कौशल है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि औद्योगिक जगत एवं शिक्षण संस्थानों को मिलकर कौशल विकास के लिए प्रयत्न करना होगा। उद्योगों की आवश्यकतानुसार पाठ्यक्रमों में प्रावधान करने होंगे। खाद्य प्रसंस्करण, फुटवियर और लेदर कृत्रिम आभूषण, सौन्दर्य प्रसाधन, ट्यूरिज्म ऐसे क्षेत्र हैं जिसमें कौशल प्रशिक्षण द्वारा युवाओं को रोजगार मिल सकते है।

          आयोजन सचिव डॉ. बिन्दु चतुर्वेदी ने बताया कि कार्यक्रम का शुभारम्भ माँ शारदे के समक्ष दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ। संगीत विभाग की छात्राओं ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। उन्होंने सहभागी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि आज देश में विकास के लिए कौशल विकास की अति आवश्यकता है। उन्होनें बताया कि इस संगोष्ठी में कुल 185 शोधपत्र प्राप्त हुए जिनमें से 125 शोधपत्र प्रस्तुत किये जायेंगे।
         समारोह में अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी की स्मारिका का विमोचन मंचस्थ अतिथियों द्वारा किया गया। इस अवसर पर सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह् प्रदान कर सम्मानित किया गया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. नबीला रहमान ने किया और कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. प्रेरणा शर्मा ने किया।

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