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पहले बेटे को किडनी,और अब आँखे कर गये दान

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22 Nov 19
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पहले बेटे को किडनी,और अब आँखे कर गये दान

62 वर्षीय,बसंत विहार निवासी जैनेन्द्र जी हरसौरा जी का कल रात जयपुर में निधन हो गया । उसके बाद उनके पार्थिव शरीर को उनके सबसे छोटे भाई प्रधुम्न कुमार जैन जी कोटा ला रहे थे । सुबह जल्दी ही जैनेंद्र जी के निधन की सूचना एसएमएस द्धारा समाज के ग्रुप में भेजी गयी,
यही सूचना शाइन इंडिया फाउंडेशन के सदस्यों को भी मिली,उन्होंने तुरंत प्रधुम्न जी को जैनेंद्र जी का नेत्रदान करवाने के लिये अनुरोध किया । प्रधुम्न जी ने जैसे ही यह बात उनके बेटे जितेंद्र व उनकी पत्नि कमला से की,तो उन्होंने तुरंत सहमति दी,और बताया कि उन्होंने पहले ही अपने नेत्रदान का संकल्प लिया हुआ था । एम्बुलेंस से कोटा पहुँचते ही सुबह उनके निवास पर शाइन इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से आई बैंक सोसायटी के तकनीशियन ने नेत्रदान लिया ।

जैनेंद्र जी जयपुर विधुत वितरण निगम लिमिटेड से वर्ष 2003 में सेवानिवृत्त हुए थे ,उसके बाद से उनका पूरा जीवन सामाजिक कार्यों में लगा रहा। करीब 20 साल से ज्यादा समय से वह दिगम्बर जैन मंदिर बसंत विहार में सभी तरह की जिम्मेदारीयों को निभा रहे थे । इसी तरह वह जैन औषधालय,रामपुरा में भी काफ़ी समय तक अपनी निःशुल्क सेवायें देते रहे । गरीब, असहाय , निर्बल व्यक्ति के लिये उसकी जरूरत को कहीं से भी पूरा करने में वह सदैव आगे रहते थे । साधु-संतों की सेवा हो,मंदिर के निर्माण कार्य से लेकर जो भी देख-रेख का काम हो,वह सहर्ष सभी काम समय पर पूरा करते थे। समाज के कार्यों में अपना अधिकतम योगदान देने के लिये,व उनके उत्कृष्ट कार्य के लिये उनको दिगम्बर जैन सकल समाज समिति, विज्ञान नगर की ओर से वर्ष 2008 में सम्मानित भी किया गया था ।

इसी बीच 2012 मे इनके बेटे जितेंद्र की दोनो किडनियों ने काम करना बंद कर दिया था,चिकित्सकों ने किडनी ट्रांसप्लांट के लिये कहा, तब इन्होंने अपने बेटे को अपनी एक किडनी दान में दी । उसके बाद से सब सही था,पर अचानक थोड़े दिन से हुई इस तबीयत खराब होने के बाद से वह स्वस्थ नहीं हो पाये ।

नेत्रदान के इस नेक कार्य में विजय जैन,इंद्रा बिंदल का भी सहयोग रहा । 


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