गिरिजा अरोरा से कॉलोनी के सभी उम्र व वर्ग के लोग काफ़ी अच्छे से परिचित थे । गिरिजा जी वाणिज्य कर विभाग कोटा से कार्यालय सहायक के पद से सेवानिवृत्त हुई थी,उसके बाद से उनका ज्यादातर समय धार्मिक कार्यो को आयोजित करने में,व उससे जुड़े सेवा कार्यों में जाता था । उनके पति धर्मपाल अरोरा भी स्थानीय निधी-लेखा परीक्षा विभाग से सेवानिवृत्त होने के बाद अपनी पत्नि के साथ सेवा कार्यों में साथ देकर उनका मनोबल बढ़ाते रहते थे । 2 वर्ष से गिरिजा जी केंसर से पीड़ित थी,परन्तु फ़िलहाल वह ठीक थी,पर कल देर रात घर पर ही हृदय गति रुक जाने से उनका निधन हो गया था । इनके निधन के शोक संदेश जब सुबह सुबह शाइन इंडिया फाउंडेशन के सदस्यों ने पढ़ा तो उसमें कोई मोबाइल नम्बर न होने से,टीम के सदस्य उनके निवास पर गये, वहीं पर जो भी रिश्तेदार व उनके पति धर्मपाल सहित,उनकी तीन बेटियाँ ज्योति, कामिनी एवं प्रीती व पुत्र रजत मौजूद थे । उनसे संस्था सदस्यों ने अनुरोध किया कि, यदि वह एक बार गिरिजा जी के आँखो का परीक्षण करने देते है,और वह आँखे यदि लेने लायक हुई,यो आपकी सहमति के बाद हम उनको ले सकेंगे । तीनों बेटियों ने पहले तो नेत्रदान की बात सुनते ही मना कर दिया,परंतु बाद में सभी के समझाने के बाद सभी की सहमति के उपरांत घर पर ही नेत्रदान की प्रकिया संभव हुई । गिरिजा जी का शव उनकी मृत्यु के ठीक बाद डीप फ्रीज़ में रख दिया गया था,इस कारण उनकी आँखें सुरक्षित थी।
इसी क्रम में दोपहर को भी एमबीएस अस्पताल में कार्यवाहक नर्सिंग अधीक्षक सिंथिया मैसी के जीजा जी शकील मैसी (62 वर्षीय) स्टेशन क्षेत्र निवासी का निधन हो गया , जिसकी सूचना शकील जी के बेटे अमित ने आई बैंक सोसायटी के कोटा चैप्टर के डॉ के के कंजोलिया जी को दी । शकील जी ने मुस्लिम धर्म से परिवर्तन कर ईसाई धर्म को अपनाने के बाद सिंथिया जी की बहन से विवाह किया था, यह रेल्वे से स्वैच्छिक सेवानिवृत्त होने के बाद से परिवार में अपनी जिम्मेदारियाँ निभा रहे थे । दोपहर में अचानक हृदयगति रुकने से इनका निधन हो गया । सिंथिया जी पिछले चार साल से शाइन इंडिया फाउंडेशन के साथ ज्योति मित्र बनकर संस्था के नेत्रदान अंगदान अभियान में सहयोग कर रही है,सिंथिया जी ने शाइन इंडिया के सहयोग से वर्ष 2016 में अपनी माँ डोरा सैमसन व वर्ष 2018 में अपने भाई सुनील मैसी का भी मृत्यु उपरांत नेत्रदान करवाया है । अमित अपनी मौसी के,नेत्रदान के प्रति कार्यों से काफ़ी प्रभावित थे,यहीं कारण था कि उन्होंने भी मन बना लिया था कि,पिता जी को सुपुर्दे ख़ाक होने से पहले उनके नेत्रदान का कार्य तो हो जाना चाहिए । शाइन इंडिया फाउंडेशन के सदस्यों व आई बैंक सोसायटी के तकनीशियन ने घर पर ही शकील जी के नेत्रदान प्राप्त किये । शाइन इंडिया के डॉ कुलवंत गौड़ ने बताया कि ईसाई समुदाय में यह अकेला परिवार है,जो नेत्रदान के प्रति इतना ज्यादा जागरूक है,संस्था सदस्य सिंथिया जी को धन्यवाद देते हुए कहते है कि ,उनके पहले प्रयास के बाद से ही उनके परिवार में नेत्रदान के प्रति इतनी जागरूकता आयी है ।
अभी टीम के सदस्य स्टेशन क्षेत्र के नेत्रदान प्रक्रिया से फ्री भी नहीं हुए थे कि,लायन्स क्लब कोटा के पूर्व अध्यक्ष राजीव भार्गव जी ने सूचना दी कि उनके क़रीबी रिश्तेदार व भाई समान राजेन्द्र जी भार्गव (72 वर्षीय) का अभी शाम 5 बज़े ही, उनके स्वामी विवेकानंद नगर स्थित निवास पर ही हृदयगति रुकने के कारण निधन हो गया । राजीव जी के पास जैसे ही यह सूचना आयी,उन्होंने तुरंत उनके बेटे ध्रुव को पिता के नेत्रदान करवाने की बात कही । ध्रुव ने शुरू से अपने पिता को लोगों की सेवा करता देखा , डीसीएम फैक्टरी से सेवानिवृत्त होने के बाद से पिछले 10 सालों से ज्यादा समय से वह तलवंडी स्थित एक निजी चिकित्सालय में अपनी सेवाएं दे रहे थे । उनके सरल,मधुर व हमेशा सेवा कार्यों में आगे रहने के कारण,कोई भी उनसे एक बार मिल लेता था,तो उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रहता था । पिता के इसी भाव के कारण ध्रुव ने तुरंत नेत्रदान के लिये अपनी सहमति दे दी। घर पर ही 10 मिनट में शाइन इंडिया फाउंडेशन के ज्योति मित्र ऋषभ भार्गव व राघव भार्गव के सहयोग से नेत्रदान की प्रक्रिया सम्पन्न हुई।