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नेत्रदान हुआ तो,खुशी है कि,परिजन आज भी जीवित है

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24 Sep 19
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नेत्रदान हुआ तो,खुशी है कि,परिजन आज भी जीवित है

नेत्रदान-अंगदान-देहदान जागरूकता के लिये संभाग भर में काम कर रही संभाग की एकमात्र संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन द्धारा कॅरियर पॉइंट की सभागार में अगस्त 2016 से अगस्त 2017 के बीच के नेत्रदानी परिवारों को संभाग स्तर पर मुख्य अतिथि कुलपति कोटा विश्वविद्यालय प्रोफेसर डॉ नीलिमा सिंह जी द्धारा सम्मानित किया गया । जिसमें कोटा शहर के 60 नेत्रदानी परिवार  ,रामगंजमंडी के 4 नेत्रदानी परिवार ,व भवानीमंडी के 4 परिवारों का व संभाग के अन्य क्षेत्रों से 8 नेत्रदानी परिवारों का सम्मान किया गया ।

इसके साथ ही उन 2 परिवार स्व० सिद्धार्थ सिंह और स्व० विशाल कपूर के परिजनों का भी सम्मान किया गया, जिन्होंने अपने परिजनों के ब्रेन डेड होने की स्तिथी में,मौत के करीब आने के बाद भी,अन्य किसी 9 लोगों में भी उनके परिजन जीवित रह सके,इस उद्देश्य से उनका अंगदान हो सके, इसके लिये प्रयास किया ।

संभाग के वरिष्ठ कलाकार समूह "गीतांजलि" द्धारा आयोजित इस संगीत के साथ नेत्रदान जागरूकता के इस कार्यक्रम में सर्वप्रथम सितार वादन में जयपुर से अल्लाहरक्खा जी ने जब प्रस्तुति दी तो,उसके बाद पूरे सभागार में काफ़ी देर तक तालियों से गड़गड़ाहट होती रही।  उसके बाद मुंबई के प्रसिद्ध गायक कलाकार ने नानू गुर्जर ने जब अपनी सुरीली आवाज में आँखो पर आधारित एक से बढ़कर एक गीतों की बौछारें की,तो उपस्थित लोगों ने अपनी ओर से भी उनको कई फरमाइशे भेजना शुरू कर दिए  । उनके सबसे ज्यादा पसंद किये गये गीतों में सबसे उम्दा गीत चिराग फ़िल्म का तेरी आँखों के सिवा दुनिया मे रखा क्या है,और नैन लड़ जइये रहा । उसके बाद राजीव मल्होत्रा व गरिमा गुप्ता ने भ्रष्टाचार फ़िल्म का तेरे नैना मेरे नैनों से गीत गाया । इंदौर से आये मार्कण्डेय जी ने सुरीली अखियों वाले गीत गाया । कार्यक्रम के मध्य में मंदाकिनी डांस ग्रुप द्धारा गीतशानदार समूह नृत्य प्रस्तुत किया गया । गीतों के अगले चरण में ग्रामीण पुलिस में हेड कॉन्स्टेबल के पद पर कार्यरत प्रेम नारायण जी ने महबूबा फ़िल्म का मेरे नैना सावन भादो गीत गाया । मुंबई से ही आयी निर्देश गौतम जी ने ख़त लिख दे सांवरिया गीत गाया ।

गीत-संगीत के इस कार्यक्रम में शहर के गणमान्य नागरिक गण,प्रशासनिक व पुलिस के आला अधिकारी, अस्पतालों के निदेशक,चिकित्सक,कई कोचिंग इंस्टीट्यूट के निदेशक अपने परिवार सहित मौजूद थे ।

उपस्थित जन समूह को नेत्रदानी सम्मान समारोह की अनाउंसर नीतू कुमावत ने जब आँखो की उपयोगिता व वर्तमान समय में नेत्रदान की बढ़ती जरूरत को बताया,तो वहाँ बैठे सभी लोगों ने इस बात पर अपनी खुल कर सहमति दी कि वह जब इस दुनिया से जायेंगे, तो यह सुंदर आँखे यहीं किसी दृष्टिहीन को दान कर जायेंगे ।

कुलपति डॉ० नीलिमा सिंह जी ने संस्था के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि यदि जागरूकता कार्यक्रमों को निरन्तरता के साथ चलाया जाता रहे,तो देर से ही सही पर एक दिन देश भर से कॉर्निया की अंधता का निवारण तो किया जा सकता है । उन्होंने यह भी कहा कि,हमारे देश में दान की प्रथा प्राचीन समय से ही है,परंतु आज के समय में भ्रान्तियों के चलते बहुत से लोग न सिर्फ दृष्टिहीनता का दुखः भोग रहे है,बल्कि कई लोग अंगो के अभाव में मौत के बहुत करीब आ गये है ।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि आईपीएस अमृता दुहन ने भी अपने विचार रखते हुए कहा कि,वह पुलिस विभाग में होने के साथ-साथ एक चिकित्सक भी रही है,उन्होंने सबसे पहले अपना स्वंय का नेत्रदान संकल्प पत्र भरा, उसके बाद से वह दिन-प्रतिदिन लोगों को जब जब समय मिलता है,नेत्रदान के प्रति आम-जनता को जागरूक करती रहती है । उन्होंने अपने व्यक्तव्य में कहा कि,यदि सही मायने में आप अपने परिजनों, मित्रों,  रिश्तेदारों को प्यार, आदर, सत्कार देते है,और कभी ऐसा समय आता है की,वह इस दुनिया को छोड़ कर चले जाते है,ऐसे में बजाए इसके की उनकी तस्वीर या मूर्ति बनाकर घर में रखा जाए,उनके नेत्रदान करवाकर उनका जीवन सार्थक बनाने में सहायक बना जाए ।

"गीतांजलि" के अध्यक्ष विश्वामित्र दाधीच ने बताया कि नेत्रदान-अंगदान-देहदान पर प्रेरणा देने वाले ऐसे कार्यक्रमों को आयोजित करने से आमजनता को बहुत आसानी से नेत्रदान-अंगदान की उपयोगिता समझी जा सकती है । इसलिए  संगीत संध्या में उन्हीं फ़िल्मी गीतों का चयन किया गया,जिसमें कहीं न कहीं आँखो के बारे में जिक्र किया गया। 


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