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कुष्ठ,चर्म, केंसर, हार्ट अटैक ट्यूमर जैसी असाध्य बीमारियों से मुक्ति का केंद्र है तिलस्वां महादेव स्थान                                                       

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13 Aug 19
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कुष्ठ,चर्म, केंसर, हार्ट अटैक ट्यूमर जैसी असाध्य बीमारियों से मुक्ति का केंद्र है तिलस्वां महादेव स्थान                                                       

कोटा  | ऐसे तो धार्मिंक स्थलों में अनेकों मंदिर प्रख्यात है। ओर सब की अपनी अपनी कोई न कोई विशेषता है। पर इन सब मे  प्रदेश के भीलवाड़ा जिले की बिजौलिया तहसील के तिलस्वां महादेव मंदिर की अपनी एक अलग ही विशेषता है। धार्मिक तीर्थ स्थलों में प्रसिद्ध तिलस्वां नाथ असाध्य कुष्ठ चर्म रोगों से मुक्ति का केंद्र ही नही अपितु सदभावना से की गई कामनाओं के साथ मनोरथों के पूर्ण होने से प्रदेश ही नही बल्कि पड़ोसी राज्यो का भी आस्था का केंद्र बना हुआ है।सात दिवसीय महाशिवरात्रि के अलावा हर अमावस्या,पूर्णिमा व पूरे सावन महीने व प्रत्येक सोमवार को श्रद्धालुओं की अपार भीड़ भोले शंभु के दर्शन लाभ लेने हेतु यहां इकट्ठा होती है। वर्तमान में  तिलस्वां गाँव कांस्या कस्बे से कुछ ही दूरी पर ऐरू नदी के किनारे के पास महादेव का धार्मिक तीर्थ स्थल है।

मन्दिर के पीछे मान्यता ये भी है कि मध्यप्रदेश के हवन नामक राजा को कुष्ठ रोग हो जाने पर उसने देश मे कही तीर्थस्थलों का तीर्थाटन किया मगर उसे कही भी कुष्ठ रोग से निजात नही मिल सकी तब उसे एक महात्मा ने बताया कि बिजोलिया से कुछ ही दूरी पर तिलस्वां में पवित्र कुंड (नाड़ी)है तुम वहां पवित्र केसर गार का लेप करके वहां स्नान करके विधिवत पूजा अर्चना करके महादेव से प्रार्थना करोगे तो ये गम्भीर बीमारी फिर दुबारा तुम्हे नही होगी और तुम्हारा कष्ट हमेशा के लिए दूर हो जायेगा। महात्मा के बताए अनुसार राजा ने तिलस्वांनाथ के नाम पर हवन किया व यहां की पवित्र केसर गार का लेप कर कुंड में स्नान करने व महादेव की आराधना से उसे चमत्कारी लाभ हुआ तब से लेकर आज तक यहां आज भी देश भर से असाध्य बीमारियों से ग्रस्त रोगी आते है वे यहां केसर गार का लेप कर कुण्ड में आस्था की डुबकी लगाते है और असाध्य रोग जैसे केंसर, ट्यूमर, दाद खाज खुजली, जैसी खतरनाक बीमारियों से निजात पा रहे हैं। इस कारण यहां  जो पीड़ित लोग (रोगी) असाध्य बीमारियों से मुक्ति के लिए भोले बाबा की चाकरी करते है यहां सराय में रहते है उन्हें कैदी के नाम से जाना जाता है। क्योंकि वो असाध्य बीमारियों से मुक्ति के लिए कैदी के रूप में भोले बाबा की शरण मे रहते हैं ओर उन्हें असाध्य बीमारियों से आराम मिल रहा है साथ ही जिनकी तमाम मनोकामनाए पूर्ण हो जाती है वे अपनी श्रद्धा अनुसार भोजन का आयोजन कर भगवान के भोग लगाते है और आने जाने वाले श्रद्धालुओं व यहां भगवान के कैदी के रुप में रहने वाले पीड़ितों को भोजन करवाते हैं।

मन्दिर ट्रस्ट का गठन पिछले दो दशक से मंदिर विकास कार्य के लिए मंदिर ट्रस्ट गठन पूर्व जिलाप्रमुख भीलवाड़ा ट्रस्ट सरंक्षक कन्हैया लाल धाकड़ के सानिध्य में किया गया। प्रथम अध्यक्ष देवीलाल मालवीय व वर्तमान में तिलस्वां निवासी रमेश चन्द अहीर व सचिव पद पर मांगीलाल धाकड़ नियुक्त है। ट्रस्ट द्वारा दो भोजनशाला का निर्माण, ऐरू नदी के घाट का निर्माण, व मेला ग्राउंड का निर्माण , सीसी सड़क का निर्माण, साथ ही आने जाने वाले श्रद्धालुओं की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए बड़े कमरे छोटे हॉल का निर्माण किया गया। वही यहां रहने वाले कैदियों के रहने से लेकर उनके भोजन बिस्तर आदि की सुविधाएं भी ट्रस्ट द्वारा निशुल्क की जाती है।

 

तिलस्वां नाथ की  कृपा से कई भामाशाह मंदिर में सहयोग करते है। यात्रियों की सुविधा के लिए मन्दिर ट्रस्ट द्वारा करोड़ो रुपये की जमीन खरीद कर धर्मशालाओ का निर्माण करवाया गया। व उपरमाल  क्षेत्र से कई समाज के लोगो द्वारा भी आर्थिक सहयोग किया जाता है। व कई समाज ने मिलकर मुख्य द्वार ओर आंतरिक द्वार का निर्माण करवाया है, वही मंदिर ट्रस्ट द्वारा ऐरू नदी पर पुलिया,बस स्टैंड, सीसी रोड, पेयजल के लिए विभिन्न स्थानों पर पानी की टंकियों का निर्माण करवाया गया व समय समय पर भामाशाह लोग यहां आकर आर्थिक रुप से मदद प्रदान कर सहयोग करते है।

मन्दिर परिसर की सारी सुख सुविधाओं व व्यवस्थाओं का सारा जिम्मा मन्दिर ट्रस्ट कर रही है। इसमें ट्रस्ट अध्यक्ष रमेश चन्द्र अहीर व सचिव मांगीलाल धाकड़  की व्यवस्था संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका है जो अनवरत आज तक यहां बनी हुई है ये निस्वार्थ भाव से आने जाने वाले  श्रद्धालुओं की सुविधाएं देखते है व हर प्रकार से यहाँ हर समय हर व्यक्ति को सहयोग प्रदान करते है।

महादेव की सुबह मंगल आरती 4 से 5 बजे, राज आरती प्रातः 9 बजे राजभोग प्रात11 बजे संध्या आरती सूर्यास्त पश्चात होती है।


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