कोटा | कला की सुई 8-9 तक जाकर रुक जाती है। परंतु भारत में 64 कलाओं की कल्पना की गई है। जैसे हर विषय के लिए अलग देवता निर्धारित हैं। वैसे ही 64 कलाओं के अवतार भगवान शिव के नटराज स्वरूप को माना गया है। भगवान नटराज सभी विधाओं के कलाकारों के गुरु हैं। अतः गुरु पूर्णिमा पर सभी कलावंतो, कलाकारों व कला साधकों को भगवान नटराज का पूजन अवश्य करना चाहिए। यह विचार गुरुग्राम गुरुग्राम संस्था द्वारा आयोजित कमल पब्लिक स्कूल के सभागार में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए हरियाणा कला परिषद के पूर्व निदेशक श्री अजय सिंहल ने व्यक्त किये।
नटराज पूजन के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में रावण का अभिनय 39 बार करने के लिए दर्ज कराने वाले श्री बनवारी लाल सैनी ने कहा कि कला हमारे जीवन का महत्वपूर्ण अंग है। जो सभी समस्याओं का समाधान है। कला की किसी विधा में आने के बाद आपको तनाव नहीं रहता। मन तरंगों से झूम उठता है। विभिन्न बीमारियां स्वत: ही समाप्त हो जाती है। अतः कला के क्षेत्र को हमें अन्यथा नहीं लेना चाहिए। विशिष्ट अतिथि के रूप में कमल पब्लिक स्कूल के चेयरमैन श्री कुलदीप शर्मा उपस्थित रहे।
इस अवसर पर राधेश्याम किरार एवं उनकी टीम ने भगवान नटराज की आरती का प्रस्तुतीकरण किया। जबकि भरतनाट्यम की वरिष्ठ नृत्यांगना गायत्री ने अपने छात्राओं के द्वारा गणेश वंदना व नटराज स्तुति की रंगारंग प्रस्तुतिया दी।
कार्यक्रम का संचालन राम बहादुर सिंह ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से सविता उपाध्याय, हिंदू क्रांति दल के के राष्ट्रीय प्रभारी राजीव मित्तल, गगनदीप सैनी, मीनाक्षी ऋषि, सौरभ अग्रवाल, परविंद्र सिंह, मोहित त्यागी, गो भक्त अरुण प्रभाकर, अरुण चतुर्वेदी आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।