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पिता की राह पर,पुत्र का भी हुआ नेत्रदान

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10 Jul 19
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पिता की राह पर,पुत्र का भी हुआ नेत्रदान

दो वर्ष पूर्व दादाबाड़ी विस्तार योजना निवासी श्री वीर कुमार जी जैन का निधन के उपरांत संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से नेत्रदान हुआ था । परिवार के सदस्यों ने जब अपने सामने नेत्रदान की सरल व रक्तविहीन प्रक्रिया को होता देखा, तो उसी समय सभी मे यह मन बना लिया था कि जब भी दुनिया से जायेंगे, तो कम से कम नेत्रदान जैसा नेक कार्य तो करके जाएंगे । 

इन्हीं के बड़े पुत्र राकेश जैन (उम्र 53 वर्ष) की तबियत थोड़े समय से ख़राब चल रही थी,जिनका तलवंडी के निजी अस्पताल में आज निधन हो गया । उनके छोटे भाई योगेश जैन ने अपने भाई के नेत्रदान के लिए,तुरंत उनके दोनों बेटे दीपांशु व अर्चित से बात की । इस दौरान अस्पताल में कोटा युथ सोसायटी के अध्यक्ष कुशाल जैन जी भी मौजूद थे । कुशाल जी काफ़ी समय से शाइन इंडिया के साथ सक्रिय रूप से काम कर रहे है । नेत्रदान करवाने के लिये सभी सहमत थे,इसलिये तुरंत टीम शाइन इंडिया को नेत्रदान प्रक्रिया के लिये अस्पताल में ही बुला लिया । आधे घंटे में संस्था सदस्यों ने राकेश जी के नेत्र संकलित कर लिए । 

पिता जी के मरणोपरांत,राकेश जी ने न सिर्फ घर की जिम्मेदारी को पूरा किया,बल्कि सामाजिक कार्यों, जैन गुरुओं की सेवा,दान पुण्य में भी कभी पीछे नहीं रहे । उनके सरल,मधुर वाणी व मिलनसार व्यवहार के कारण वह सभी के चहेते थे । देवांश व अर्पित का कहना था,की यह सत्य है कि हम सभी को एक नेक दिन इस दुनिया से जाना है,पर कम से कम राख़ होने से पहले नेत्रदान का नेक कार्य तो करके जाना,इस मनुष्य का नैतिक दायित्व बनता है ।

 


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