GMCH STORIES

*राष्ट्रीय टीकाकरण सारणी में शामिल हुआ पीसीवी वैक्सीन*

( Read 19174 Times)

17 Apr 19
Share |
Print This Page
*राष्ट्रीय टीकाकरण सारणी में शामिल हुआ पीसीवी वैक्सीन*
कोटा  । बच्चों को जानलेवा बीमारियों से बचाव के लिए लगने वाले टीकों में अब न्यूमोकॉकल कोंजुगेट वैक्सीन (पीसीवी) का टीका भी नियमित टीकाकरण सारणी में शामिल हो गया है। यह टीका बच्चों को न्यूमोनिया मेनिनजाईटिस व गंभीर संक्रमण से बचाव करेगा।  मंगलवार को जेके लोन चिकित्सालय में मेडिकल कॉलेज के प्रिन्सिपल डॉ गिरीश वर्मा, अतिरिक्त जिला कलेक्टर प्रशासन वासूदेव मालावत, संयुक्त निदेशक जोन कोटा डॉ आरके लवानिया, आरसीएचओ डॉ एमके त्रिपाठी व डब्ल्यूएचओ के डॉ राजेश गुप्ता की मौजूदगी में बच्चों को यह टीका लगाकर पीसीवी वैक्सीन का शुभारंभ किया गया। जिला कलेक्टर मुक्तानन्द अग्रवाल ने टीका लगने के बाद सरस्वती कॉलोनी निवासी विरेन्द्र सिंह एवं सुनिता के डेढ़ माह के शिशु समर्थ को अपने हाथों से हैल्थ किट उपहार स्वरूप भंेट किया। बाजार में इस टीके की कीमत करीब 3 से 4 हजार रूपये प्रति डोज है जबकि सभी सरकारी अस्पतालों में यह टीका निःशुल्क उपलब्ध होगा। 
 
तीन खुराक दी जाएगी शिशु को - आरसीएचओ डॉ एमके त्रिपाठी ने बताया कि पीसीवी एक कीमती और सुरक्षित वैक्सीन है यह अब तक 141 देशों में लगाया जा रहा है। टीका बच्चों को न्यूमोनिया जीवाणु से होने वाले न्यूमोनिया मेनिनजाईटिस व गंभीर संक्रमण से बचाव करेगा। इस टीके की तीन खुराक बच्चों को 6 सप्ताह, 14 सप्ताह और 9 माह पर इंजेक्शन से दी जानी है। इस वैक्सीन की एक खुराक 0.5 मिली की होगी, जिसे दांयी जाँघ के मध्य अगले व बाहरी भाग में Intramuscular (IM या मांसपैशियांे) में दिया जाना है। 
 
 डॉ त्रिपाठी ने बताया कि टीके जिले के हर स्वास्थ्य केें्रद पर निशुल्क लगाए जाएगें। पीसीवी का टीका लगने से गंभीर दुष्प्रभाव की सम्भावना न के बराबर है। टीके की जगह हल्का दर्द या बुखार हो सकता है। वैक्सीन से होने वाले फायदे इन मामूली साइड इफेक्ट से कहीं ज्यादा है। अगर बच्चों में बुखार हो तो पेरासिटामोल की गोली निर्धारित मात्रा में दी जा सकती है। यह टीका मामूली बुखार, जुखाम, खांसी में दिया जा सकता है। 
 
निम्न स्थिति में बच्चे को टीका न लगाये -
1. अगर बच्चे को पीसीवी के टीके से पूर्व में एलर्जी हुई हो।
2. डीपीटी/पेन्टावेलेंट के टीके से गंभीर एलर्जी हो।
3. बच्चा गंभीर रूप से बीमार हो। 
 
डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि शिशुओं में न्यूमोनिया छोटे बच्चो का प्रमुख कारण है एवं इसके कीटाणु खांसने एवं छींकने से फैलते है। उन्होने बताया कि शिशुओं में निमोनिया से मरने वाले बच्चों में एक तिहाई बच्चे न्यूमोकॉकल निमोनिया से मरते है, जिसकी टीके द्वारा रोकथाम आसानी से की जा सकती है। करीबन 80 प्रतिशत निमोनिया संबंधित मौतें 0 से 2 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों की होती है। पीसीवी के लागू होने पर निमोनिया संबंधित मौतों में निश्चित कमी होगी व बाल मृत्यु दर को घटाने में सहायक होगी । उन्होने बताया कि विश्व में जितने बच्चों की मौत न्यूमोनिया से होती है उसमें से 20 प्रतिशत बच्चे भारत में मरते है। देश में न्यूमोनिया से होने वाली मौतों में 71 प्रतिशत मौतें केवल चार राज्यों बिहार, उŸार प्रदेश, मध्य प्रदेश व राजस्थान में होती है। न्यूमोकॉकल कोंजुगेट वैक्सीन यानी पीसीवी के लागू होने पर न्यूमोनिया संबंधित मृत्यु में कमी होगी जिससे शिशु मृत्यु दर में भी कमी आयेगी। 

Source :
This Article/News is also avaliable in following categories : Kota News
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like