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ना नुकर के बाद हुई थी चुनाव की घोषणा प्रेस क्लब के चुनाव में कांटे की टक्कर

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19 Mar 19
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ना नुकर के बाद हुई थी चुनाव की घोषणा प्रेस क्लब के चुनाव में कांटे की टक्कर

कोटा । ना नुकर के बाद  सत्ता पक्ष ने दबावऔर मजबूरी में चुनाव की घोषणा की।इस बार होने वाले  चुनाव में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच  कांटे की टक्कर होगी ।वर्किंग जर्नलिसित इस बार विपक्ष के साथ खड़ा नजर आ रहा है।इसलिए सत्तपक्ष की जीत खतरे में नजर आ रही है।इस बार  पत्रकारों में इस बात को लेकर भी नाराजगी है कि इस बार प्रेसक्लब की सरकार ने असली पत्रकारो को क्लब से बाहर कर दिया और असली पत्रकारो को मेंबर शिप तक नही दी। स्वर्गीय चतुर्वेदी ,,स्वर्गीय भंवर शर्मा अटल ,के साथ एक प्रेस क्लब का गठन हुआ ,लोकतान्त्रिक प्रक्रिया के लिए चुनाव का विधान बना ,इसी विधान की करामात है के पुरे सवा दो साल बाद ,कोटा प्रेस क्लब के चुनाव लाख ना नुकुर के बाद भी मजबूरी बन गए है ,,प्रेस क्लब की आगामी कार्यकारिणी के चुनाव की तीस मार्च की तारीख घोषित की गयी है ,,सभी जानते है कोटा प्रेस क्लब में गत चुनाव के तुरंत बाद ,प्रतिपक्ष विहीन प्रेस  क्लब  बनाने की कोशिशें शुरू हुई ,जो बोला उसे असंवेधानिक तरीके से हटाया गया ,,खुद प्रतिपक्ष के चुनाव संयोजक रहे साथियों को हटाया गया ,प्रेस क्लब के कई पदाधिकारी रहे साथियों को अख़बार में रगुलर कार्यरत होने के बाद भी महासचिव जैसे ज़िम्मेदार पद पर रहने वाले लोगों को भी  सदस्य  नहीं बनाया गया ,साधारण सभा में घोषणा ,हुई कोई विचार ऐसे सदस्य अख़बार नवीसों को जो खिलाफ थे सदस्य बनाने की पहल नहीं हुई ,,कहावत है खुदा जब हुस्न देता है ,तो कुछ लोगों में नज़ाकत  आ ही जाती है ,,लेकिन ऐसी नज़ाकत के अब जब चुनाव की बारी आयी तो भरपूर कोशिश चुनाव ही न हो ,सर्वसम्मत जैसे है ,वैसे हो जाए ,महासचिव का संचालन संवेधानीक मजबूरी होने के बाद भी नहीं खेर उनके अपने गुट का मामला हो सकता है ,लेकिन चुनाव एक उत्सव का स्वरूप है ,इस चुनाव में जब प्रतिपक्ष विहीन चुन चुन कर कर दिया गया ,तो फिर अपनों में ही अपनों से निर्वाचन का केसा डर केसा खौफ ,,लेकिन पत्रकारों के एकेडमिक कार्यशाला ,,के लिए वरिष्ठ पत्रकारों की उपस्थिति में कार्यक्रम  नहीं  होने का तो लोगों को मलाल रहेगा ही ,,खेर चुनाव आ गए है ,चुनाव इसके पहले भी विधानसभा के आये थे ,किस तरह से किसकी क्या ,भूमिका क्या प्रकाशन रहा सभी लोग जानते है ,,फिर लोकसभा चुनाव भी है ,और लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ प्रेस क्लब के  चुनाव भी इसके पहले  होना ,,है जीतेगा तो वही जिसका बहुमत है ,प्रतिपक्ष विहीन प्रेसक्लब की कोशिशों के बावजूद ,भी कुछ क़लमकार तो सर उठाने  ही लगे है ,इसीलिए तो मजबूरी में चुनाव की घोषणा करना ही पढ़ी ,,चुनाव चुनाव होते ,है प्रतिपक्ष सुबोध जैन  ,,धीरज गुप्ता ,तेज ,,नीरज गुप्ता ,,हरिवल्ल्भ मेघवाल ,, ,ओमेंद्र सक्सेना सहित कुछ साथी ही सही ,,लेकिन प्रतिपक्ष है तो सही ,,,साधारण सभा में गिरेहबान में खूब झंकाने की  कोशिश की  गयी , पता नहीं नतीजा क्या रहा ,लेकिन अब तीस मार्च को ,प्रेसक्लब के नए संशोधित संविधान से सवा दो साल बाद फिर चुनाव होना तय  है ,,,लोकतंत्र जहाँ होता है वहां प्रतिपक्ष को चाहे कितना ही दबा दो ,चाहे कितना ही प्रतिपक्ष विहीन ,बोलने वाले लोगों को अलग कर बना लो ,लेकिन फिर भी प्रतिपक्ष ज़िंदा रहता है ,, प्रतिपक्ष ज़िंदाबाद होगा  या नहीं ,,लेकिन प्रतिपक्ष है इसलिए लोकतंत्र क़ायम हुआ ,चुनाव का उत्सव शुरू हुआ है ,सदस्य कितने है , सदस्य कोन है ,यह अलग बात है ,लेकिन प्रेस क्लब के साथियों के कल्याण के लिए कल्याण कोष की आवाज़ मज़बूत होना चाहिए ,,प्रेसक्लब में जिस पद  की जो गरिमा है वोह क़ायम होना चाहिए ,,, प्रतिपक्ष  को खत्म करना  नहीं ,प्रतिपक्ष के वाजिब सुझावों पर विचार भी होना चाहिए ,सदस्यों को अंतर्मन से अंतरात्मा से ,,ढाई साला इस सफर के बारे में  आत्मचिंतन करना होगा ,,जो कुछ हुआ ,है जो कुछ नहीं हुआ है ,उसके बारे में सोचना होगा ,ख़ुशी इस बात की है ,,प्रतिपक्ष विहीन जिस प्रेसक्लब को बनाने  का सपना था वोह अधूरा रहा ,प्रतिपक्ष एक चला और मुट्ठी बन गया है ,देखते है ,,आगामी तीस तारीख़  को प्रेसक्लब में निर्वाचन के बाद क्या होता है ,,क्या  फिर बचे खुचे प्रतिपक्ष पर गाज गिरती है या फिर ,,एक बार फिर से ,,प्रद्युम्न शर्मा ,,धीरज गुप्ता ,,हरी मोहन शर्मा जैसा लोकतान्त्रिक प्रतिपक्ष बहाल होता है ,प्रतिपक्ष के विचारों को प्रतिपक्ष को सम्मान मिलता है ,या फिर प्रतिपक्ष विहीन होकर प्रेसक्लब ,,,????? इस प्रेस क्लब को प्रेसक्लब बनाने में भुवनेश चतुर्वेदी ,भंवर शर्मा अटल ,के एल जैन ,,विजय नारायण सक्सेना ,,क़य्यूम  अली ,,,धीरज गुप्ता तेज ,,प्रद्युम्न शर्मा ,,सुकुमार वर्मा ,,पुरुषोत्तम पंचोली ,,हरिमोहन शर्मा ,,ओमेंद्र सक्सेना ,,नीरज गुप्ता सुधींद्र गोड़,,सलीमउर्रहहमान खिलजी ,,श्याम  रोहिड़ा ,,रिछपाल पारीक ,,जयनारायण सक्सेना ,मुनीश जोशी ,,हीरा लाल व्यास ,सुबोध जैन ,,स्वर्गीय बांगमल बांठिया ,,भंवर सिंह सोलंकी ,बाबा कमल सिंह ,,मालसिंह शेखावत ,,,मुल्कराज अरोड़ा ,,देवलिया परिवार ,हरिवल्ल्भ मेघवाल सुनील माथुर ,,के बी एस हाडा ,,बृजेश विजय वर्गीय ,मनोहर पारीक ,,रविंद्र शर्मा ,,ओम  प्रकाश जी ,चंद्र सिंह राजावत ,, हेमंत शर्मा ,, सुनील राजा ,, ओम कटारा,, राजन राहू, अनिल भारद्वाज ,, चंद्रशेखर त्रिशूल,, इन्द्रनारायण सक्सेना ,,स्वर्गीय सुनील सिंह ,, शम्भू लाड़पुरी,, नरेश विजयवर्गीय ,,,जेलिया परिवार ,शरद दूबे ,,रजत खन्ना ,,स्वर्गीय असलम शेर खान ,,असलम रोमी ,खुद स्वर्गीय रामचरण सितारा ,,डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल ,,के डी अब्बासी , ,,भाई डॉक्टर डी ऍन गाँधी ,,जनार्दन गुप्ता ,,योगेश जोशी ,,अर्जुन देव चड्डा ,,सहित कई सदस्यों ,,पूर्व सदस्यों की ऐतिहासिक कुर्बानिया रही है ,जिन्हे किसी भी सूरत में भुलाया नहीं जा सकता ,,,,अभी चुनाव बाक़ी है ,चुनाव निर्वाचन अधिकारी के हाथों में है ,,अब चुनाव की बागडोर हमारे भाई के एल जैन के भी हाथों में है ,चुनाव तो निष्पक्ष होंगे ,लेकिन जो लोग प्रतिपक्ष के रूप में चुनाव लड़े है ,,उन्हें फिर प्रेसक्लब से निकालने की परम्परा पर रोक लगना चाहिए ,,जीते कोई भी ,लेकिन  प्यार मोहब्बत तो पक्ष प्रतिपक्ष में होना ही चाहिए ,,अख्तर


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