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आदिश्वर गिरी सिलोर बनेगा हाडौती का भव्य

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18 Mar 19
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आदिश्वर गिरी सिलोर बनेगा हाडौती का भव्य

कोटा(डॉ. प्रभात कुमार सिंघल) |   राजस्थान के हाडौती क्षेत्र कोटा, बूंदी,बारां एवम झालावाड़ में अनेक जैन तीर्थ मंदिर प्रगाढ़ धार्मिक भावना के साथ-साथ स्थापत्य एवम मूर्ति शिल्प के बेजोड़ प्रतिमान है। बड़ी संख्या में इस क्षेत्र में जैन धार्मिक स्थल पाये जाने से हाडौती में जैन धर्म के अनुयायियों की उपस्तिथि का अनुमान लगाया जा सकता है। यही नहीं देश के कोने- कोने से अनुयायी पूरी बसों और रेलगाड़ियों  में यहां अपने आराध्य के दर्शन का पुण्य प्राप्त करने आते हैं।

             हाडौती में प्रमुख जैन तीर्थो की चर्चा करें तो श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन अतिशय झालरापाटन, श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र चाँदखेड़ी,श्री मुनिसुव्रत नाथ दिगम्बर जैन अतिशय केशवरायपाटन सहित नागेश्वर उन्हेल, दानबाड़ी एवम कई प्राचीन एवम नव विकसित जैन तीर्थो सहित बूंदी ज़िले के सिलोर में है प्राचीन आदिश्वर गिरी जैन तीर्थ  हैं।

          आदिश्वर गिरी जैन मंदिर बूंदी शहर से 7 किलोमीटर दूर बूंदी-डाबी रोड स्थित सिलोर गांव का प्राचीन जैन तीर्थ है। जैन समाज का ध्यान अब  इस पर गया और इसे विकसित कर भव्य जैन तीर्थ बनाये जाने की परिकल्पना साकार करने के प्रयास प्रारम्भ किये गए हैं। क्षेत्र को विकसित करने के लिए निर्माण कार्यो का शिलान्यास 16 मार्च को सिलोर में ससंघ विराजमान मुनि पुंगव सुधासागर जी महाराज के सानिध्य में सम्पन हुआ।

            यह मंदिर एक हजार साल पुराना माना जाता है। यहां स्थापित प्रतिमाएं 700 से 800 साल पुरानी है। मंदिर में आदिनाथ भगवान व पाश्र्वनाथ भगवान, शांतिनाथ, चंद्रप्रभु, मुनि सुव्रतनाथ सहित अन्य प्रतिमाएं विराजमान है। निर्माण कार्य के बाद सिलोर का प्राचीन अतिशय जैन मंदिर भविष्य में बदले स्वरूप में नजर आएगा और यह दर्शनीय स्थल बन जाएगा।

      सिलोर अतिशय क्षेत्र कमेटी के निदेशक हुकम जैन काका की माने तो प्राचीन अतिशय क्षेत्र आदिश्वर गिरी जैन मंदिर अखिल भारतीय दिगम्बर जैन 'शीलोदय'तीर्थ क्षेत्र के नाम से जाना जाएगा।जिसका नामकरण सिलोर में ससंघ विराजमान मुनि पुंगव सुधासागर जी महाराज ने मंदिर में आयोजित धर्मसभा के दौरान किया। 

       मंदिर के जीर्णोद्वार कार्य के साथ नवीन मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा, जिसमें कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़ समेत समूचे देशभर के लोगों की भागीदारी रहेगी। दुमंजिले  मंदिर में पदमासन आदिनाथ भगवान की करीब 15.25 फीट लंबी मूर्ति विराजमान की जाएगी। मंदिर  के साथ नए मंदिर में त्रिकाल चौबीसी का निर्माण कराया जाएगा, जिसमें वर्तमान, भूतकाल व भविष्य की प्रतिमाएं स्थापित कर वेदी की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। मंदिर के लिए मूर्तियों का निर्माण जयपुर में किया जाएगा, जिसके लिए बिजौलिया पाषाण (लाल पत्थर) काम में लिया जाएगा। 

       क्षेत्र का विकास करीब 8 बीघा जमीन पर किया जायेगा तथा निर्मित  मंदिर का निर्माण कार्य वर्ष 2024 तक पूरा करने का संकल्प है।  मंदिर के साथ-साथ यहां पर बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए धर्मशाला, रसोई घर आदि अन्य सुविधाएं विकसित की जाएगी। सिलोर अतिशय क्षेत्र में निर्माण कार्य के साथ यहां पर सामाजिक सरोकार के कार्य भी किए जाएंगे, जिसमें स्कूल, कॉलेज व गौशाला सहित विभिन्न प्रकार के निर्माण कार्य कराए जाएंगे। स्कूल, कॉलेज के निर्माण से आसपास के सभी समाजों के बच्चों को उच्च श्रेणी की शिक्षा मुहैया होने के साथ-साथ गौशाला से दूध आदि मुहैया होगा।

 खुदाई में निकली प्राचीन प्रतिमाएं

           सिलोर के आदिनाथ आदिश्वर गिरी जैन मंदिर के पास खुदाई में 8 से 10 खंडित प्रतिमाएं निकली है। ये मूर्तियां प्राचीनकाल की बताई जा रही है।  मुनि पुंगव सुधासागर जी महाराज के आशीर्वाद से इस तीर्थ क्षेत्र का विकास करने के लिए बूंदी समेत हाड़ौती के लोगों को इसका पुण्य मिला है। उ प्राचीन बावड़ी एवम मंदिरों के लिए सिलोर गांव प्रसिद्ध रहा है। पुराने समय में यहां जैन समाज के करीब सैंकड़ों परिवार निवास करते थे, लेकिन समाज के लोग यहां से धीरे-धीरे बूंदी, कोटा व अन्य शहरों के लिए पलायन कर गए। वर्तमान में यहां जैन समाज के कुछ ही  परिवार निवास करते हैं।

हीरे जवाहरात की मंडी

         क्षेत्र के पूर्व सरपंच शांतिलाल व प्रकाश चंद ने  जानकारी देते हुए बताया कि सिलोर गांव में 500 साल पूर्व हीरे जवाहरात की मंडी लगा करती थी, जिसमें प्रदेश समेत पूरे देशभर के हीरे जवाहरात व्यापारी यहां आते थे और हीरे जवाहरात की खरीद फरोख्त संबंधी कामकाज करते थे, लेकिन प्राकृतिक आपदा व मुगल आक्रमण के चलते यहां के लोग दूसरे शहरों में पलायन कर गए।            सिलोर जैन मंदिर जाने के लिए जैन समाज समेत अन्य सभी समाज के लोग जयपुर, बूंदी, कोटा से सीधे सड़क मार्ग द्वारा पहुंच सकते है। यह मंदिर जयपुर-बूंदी राष्ट्रीय राजमार्ग से बूंदी-डाबी रोड पर स्थित है। कोटा से सिलोर जैन मंदिर की दूरी करीब 41 किलोमीटर है और यहां कार, बस, मोटरसाइकिल व टैक्सी के माध्यम से पहुंचा जा सकता है। वहीं बूंदी के पास होने के कारण आगामी समय में यह मंदिर विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेगा और  बूंदी के पर्यटन स्थलों की सूची में सिलोर तीर्थ स्थल का भी नाम जुड़ जाएगा। 


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