GMCH STORIES

लगातार चार घंटे समझाईश हुई तो सफल हुआ नैत्रदान

( Read 2930 Times)

16 Nov 18
Share |
Print This Page
लगातार चार घंटे समझाईश हुई तो सफल हुआ नैत्रदान 24 वर्षीय अंता निवासी कैलाश वैष्णव,एमबीएस अस्पताल परिसर में पिछले सात-आठ साल से गार्ड की नौकरी कर रहा था । इतने समय से वह अंता से प्रतिदिन राजस्थान रोडवेज़ की बस से आता जाता रहता था । मंगलवार को ड्यूटी से घर जाते समय दोपहर 3 बज़े,बस के अचानक ब्रेक लगा देने से वह गेट से बाहर गिर गया,सिर पर चोट लग जाने के कारण वह वही बेहोश हो गया । उसके बाद उसको इलाज़ के लिये एमबीएस अस्पताल व मेडिकल कॉलेज में लिया गया,परंतु सिर में गहरी चोट लगने के कारण कैलाश को बचाया नहीं जा सका ।
कैलाश की मृत्यु की सूचना जैसे ही एमबीएस अस्पताल के स्टाफ़ के बीच पहुँची,उसके बाद कम से कम सौ से अधिक की संख्या में एमबीएस अस्पताल के नर्सिंग स्टाफ़, सभी गार्ड,सफाई कर्मचारी,जूनियर रेसिडेंट भी मोर्चरी के यहाँ आ गये । सभी की आँखे नम थी,कई नर्सिंग स्टाफ़ तो वहाँ अपने आँसू रोक नहीं पा रहे थे ।
शाइन इंडिया फाउंडेशन के सदस्य प्रतिदिन मोर्चरी पर नैत्रदान के कार्य के लिये समझाईश को आते है,आज जब उन्होंने मोर्चरी पर भीड़ देखी तो,देखकर लगा कि शायद चिकित्सा विभाग से कोई बहुत बड़ा सेवाभावी व्यक्ति नहीं रहा, तभी सभी तरह के स्टाफ न सिर्फ वहाँ उपस्थित थे,बल्कि सभी के चेहरे मायूस थे ।
कैलाश के बारे में जिससे भी बात की सभी ने दुखी मन से कहा कि, इसके जैसा सेवाभावी इंसान पूरे अस्पताल में नहीं है । भले ही वह गॉर्ड था,परन्तु ऐसा कोई स्टाफ़ नहीं था जिसके दुखः,दर्द में,या मदद करने में वह कभी पीछे रहा हो । काम के लिये, कभी उसने किसी को कभी मना नहीं किया,सदैव खुश रहने वाले,मिलनसार, सेवा के काम में हमेशा आगे रहने वाला कैलाश कई लोगों की आँख का तारा था । यदि उसने किसी को दुख दर्द में देख लिया तो इसकी कोशिश यही रहती थी कि किसी भी तरह से इसका दर्द दूर कर सकूं ।
कम उम्र में मृत्यु के कारण संस्था सदस्य भी चाहते थे कि, अब किसी भी तरह से कैलाश को अन्य लोगों की रौशनी बनकर जीवित रखा जाये । सदस्यों ने आईं बैंक के तकनीशियन को भी वही बुला लिया । कैलाश के परिजनों में से उसका बड़ा भाई प्रकाश मौजूद था, इनके पिता काफी समय पहले ही शांत हो चुके थे,घर पर माँ और सबसे बड़े भाई ने नैत्रदान के बारे में कभी सुना भी नही था,न यह समय ऐसा था कि,नैत्रदान का निर्णय लिया जा सके ।
ग्रामीण परिवेश व भ्रान्तियों के चलते व दो घंटे तक लगातार प्रयास करने के बाद यह बात साफ़ हो चुकी थी कि,नैत्रदान नहीं हो सकता । थोड़ी देर बाद ताथेड़ पुलिस चौकी से पूछताछ के लिये आये रमेश सिंह जी व प्रकाश को मोबाइल में नैत्रदान लेने की प्रक्रिया दिखायी गयी । साथ ही,इनके परिवार के ही अंता निवासी मौसी के लड़के रामगोपाल जी को भी नैत्रदान जैसे पुनीत कार्य के बारे में बताया तो,सभी ने एक बार सम्मिलित रूप से प्रकाश को समझाया तो,पूरे चार घंटे के बाद यह नैत्रदान एमबीएस मोर्चरी में हो पाया ।
संस्था सदस्य बताते है कि ,कम उम्र में मिलने वाले कॉर्निया की न सिर्फ गुणवत्ता अच्छी होने के संभावना रहती है, बल्कि यह आँखे ज्यादा लोगों में भी लगने की संभावना रहती है । इसलिये संस्था सदस्यों ने निर्णय लिया की समय की परवाह न करते हुए,जहां तक होगा, समझाईश करेंगे,और यदि इनको समझाने के लिये अंता भी जाना पड़ता तो वहाँ जाकर भी समझाईश करेंगे ।
समाचार लिखने तक,कैलाश का अंतिम-संस्कार हो चुका था,वहीं से सूचना आयी कि जो होना था,वह टाला नहीं जा सकता था,परन्तु आपने हमारे बच्चे के नैत्रदान से उसको दूसरों में पुनः जीवित करने का जो प्रयास किया वह सराहनीय कार्य है ।
Source :
This Article/News is also avaliable in following categories : Kota News
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like