बारां । पूरे देश के शूरवीर राजाओं के जमावडे के मध्य गुरू विश्वामित्र के संकेत पर मर्यादा पुरूषोत्तम राम ने तिनके की भांति जब धनुष उठा कर उस पर प्रत्यंचता चढाने की कोशिश की तो धनुष तेज धमाके के साथ टूट गया। इसी के साथ माता सीता ने वरमाला डालकर राम को अपना पति चुन लिया। सीता स्वयंवर का यह मनोहारी दृष्य बारां शहर के रामलीला मैदान में श्री महावीर कला मण्डल संस्थान द्वारा आयोजित रामलीला में शुक्रवार को चित्रित किया गया।
संस्थान के अध्यक्ष योगेश गुप्ता ने बताया कि सीता स्वयंवर मंचन के पूर्व स्वयं रावण जनकपुरी पहुंचा और उसने घमण्ड में चूर होकर धनुष उठाने की कोशिश की। लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। वो अपनी अगुली धनुष तले दबा बैठा। थकहार कर उसने अपनी इज्जत बचाने की गरज से रूधे गले से नारायण को याद किया। नारायण ने वहां आकर रावण को धनुष पाश से मुक्त कराया। इसी समय बाणासुर ने रावण को समझाया कि सीता जगम जननी है। उसे वरण करने का सपना तू त्याग दे। पर रावण नहीं माना एन वक्त में हुई आकाशवाणी से लंका में किसी अनिद्वठ की आशंका को लेकर रावण को लंका लौटना पडा। इससे पूर्व जनक दरबार में सजे शिव धनुष को देशभर से आये शूरवीर राजाओं ने उठाने की कोशिश की लेकिन वो तनिक हिला भी नहीं सके तो जनक ने निराश होकर कहा कि मुझको तो यह ज्ञात हुआ, रहा न कोई बलशाली। पृथ्वी वीरों से खाली है। इस पर लक्ष्मण क्रोधित हो उठे और उन्होंने कहा कि सैंकडों कोस तक ले दौडू, इतना दम तो है उंगली में। स्वयंवर में विराजे विश्वामित्र ने मामले की गम्भीरता समझी और राम को इशारा किया। उन्होंने पलक झपकते ही शिव धनुष के दो टुकडे कर दिए। धमाके की आवाज सुन परशुराम क्रोधित हो उठे और वे तुरन्त स्वयंवर स्थल पर आकर सिंह की भांति दहाडने लगे। वे किसी के वश में नहीं आए ओर उधर लक्ष्मण उन्हें बार-बार चिढाकर उनका क्रोध और भडकाते रहे। अन्त में जब परशुराम ने राम की झलक देखी तो वे सारी लीला समझ वैकुण्ठ लौट गये। गुरूवार को मंच पर सीता मा का गौरी पूजन और राम सीता विवाह की बहुत ही आकर्षक प्रस्तुति दी गई। जिसे देख कर हजारों दर्शक भाव भिवोर हो गये।
रामलीला में आज-
संस्थान के आयोजक समिति के अध्यक्ष शम्भू दयाल व्यास ने बताया कि केवट संवाद, दशरथ मरण, भरत मिलाप की लीला का मंचन किया जावेगा।
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