उत्तर पश्चिम रेलवे १ अक्टूबर २००२ को अस्तित्व में आया जिसमें ४ मण्डल जिनमें जयपुर, जोधपुर, अजमेर एवं बीकानेर शामिल है। इस जोन में उत्तर रेलवे के जोधपुर एवं बीकानेर एवं पश्चिम रेलवे के जयपुर एवं अजमेर मण्डलों को शामिल कर नया जोन बनाया गया। यह रेलवे प्रमुखतयाः राजस्थान, हरियाणा, गुजरात एवं पंजाब राज्यों को अपनी सेवाएं प्रदान करता है। उत्तर पश्चिम रेलवे पर ५८६ स्टेशन है तथा ५५० नियमित सवारी गाडियों का संचालन किया जाता है।
उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी श्री सुनील बेनीवाल के अनुसार प्रारंभ में उत्तर पश्चिम रेलवे मीटर गेज की गाडियों को संचालित करने वाला रेलवे था। इस रेलवे के गठन के समय २५७८ किलोमीटर बडी लाईन तथा २८७५ किलोमीटर छोटी लाईन थी। मीटर गेज लाइन होने से इस रेलवे की ट्रेनों को भारतीय रेलों के शेष जोनों के साथ सवारी व माल डिब्बों को बिना काटे गंतव्य तक पहुंचाने की सुविधा प्रदान करने की सबसे बडी चुनौती थी। यह सुविधा अनेक परियोजनाओं को पूरा करके निर्माण के क्षेत्र में नया मील का पत्थर स्थापित कर आमान परिवर्तन योजनाओं को लक्ष्य से कार्यान्वित करके हासिल किया गया, आज इस रेलवे पर केवल ३९४ किलोमीटर रेलखण्ड को छोडकर लगभग सभी रेलखण्डों पर आमान परिवर्तन का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। जिनमें मावली-बडी सादडी, हिम्मतनगर-उदयपुरसिटी का कार्य प्रगति पर है तथा मारवाड-मावली का कार्य सीसीइए के अनुमोदन के लिये गया है। स्थापना से अब तक इस रेलवे पर २५८८ किलोमीटर आमान परिवर्तन किया गया है।
इस रेलवे पर नई लाइनों का निर्माण कर उन क्षेत्रों में भी रेल सुविधा प्रारम्भ की गई, जोकि रेलवे से लम्बे समय से वंचित रहे। स्थापना से अब तक २८१ किलोमीटर नई रेल लाइन इस रेलवे पर स्थापित की गई है तथा वर्तमान में ७०५ किलमीटर नई लाइन का कार्य ९६१५ करोड की राशि के साथ प्रगति पर है।
ट्रेनों के समयानुसार संचालन व अधिक ट्रेनों की सुविधा प्रदान करने के क्रम में इस रेलवे पर व्यस्त मार्गों की पहचान कर दोहरीकरण का कार्य प्रारम्भ किया गया। उत्तर पश्चिम रेलवे के सबसे महत्वपूर्ण मार्ग रेवाडी-अलवर-जयपुर-पालनपुर के अधिकांश भाग का दोहरीकरण कार्य कर लिया गया है, इस रेलवे पर अभी तक ७६३ किलोमीटर का दोहरीकरण पूर्ण कर लिया गया है तथा ४१२ किलोमीटर मार्ग के दोहरीकरण का कार्य प्रगति पर है।
इस रेलवे पर स्थापना के समय से ही विद्युतीकरण के कार्य की आवश्कता महसूस की जा रही थी। वर्तमान में उत्तर पश्चिम रेलवे पर १८१४ किलोमीटर रेलमार्ग पर विद्युतीकरण का कार्य कर लिया गया है। उत्तर पश्चिम रेलवे के सभी मार्गों का विद्युतीकरण कार्य स्वीकृत है। उत्तर पश्चिम रेलवे पर हाल ही में पहली इलेक्ट्रिक यात्री ट्रेन दिल्ली सराय रोहिल्ला-अजमेर जन शताब्दी एक्सप्रेस का संचालन प्रारम्भ किया गया है और आने वाले समय में सम्पूर्ण रेलवे पर इलेक्ट्रिक ट्रेने प्रारम्भ हो जायेगी। रेलवे का यह कदम पर्यावरण के लिये बेहतर साबित साथ ही रेलवे के राजस्व में बचत होगी व ट्रेनों के संचालन समय में भी कमी आयेगी।
स्टेशनों पर उत्कृष्ट और उन्नत प्रकाश व्यवस्था तथा पर्यावरण संरक्षण के संकल्प को मजबूती प्रदान करने के लिये सौर ऊर्जा का उपयोग भी इस रेलवे की यात्रा को नई दिशा प्रदान करता है। उत्तर पश्चिम रेलवे पर ६९७३ kWp क्षमता के सोलर पैनल स्थापित किये गये हैं तथा इनसे लगभग ७६ लाख यूनिट प्रतिवर्ष बिजली का उत्पादन हो रहा है। इसके परिणामस्वरूप ३.९६ करोड रूपये के राजस्व की बचत प्रतिवर्ष हो रही है।
राजस्थान ऊर्जा संरक्षण पुरस्कारों में उत्तर पश्चिम रेलवे प्रधान कार्यालय को ऑफिस बिल्डिंग श्रेणी में प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया है। इसी वर्ष प्रधान कार्यालय जयपुर को सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त कार्यालय घोषित किया गया है। हरित पर्यावरण की दिशा में ठोस कदम बढाने पर IGBC द्वारा प्लेटिनम रेटिंग शील्ड प्राप्त करने वाला केन्द्रीय अस्पताल, जयपुर सम्पूर्ण भारतवर्ष में एकमात्र रेलवे अस्पताल है।
संरक्षा को मजबूत करने के क्रम में इस रेलवे पर स्थापित सभी मानवरहित समपार फाटकों को समाप्त कर दिया गया है, जिससे फाटकों पर होने वाली दुर्घटनाओं की संख्या विगत वर्षों में शून्य पर आ गई है।
उत्तर पश्चिम रेलवे पर आधारभूत ढांचे में किये गये इन कार्यों के फलस्वरूप यह रेलवे मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों के संचालन में ९८.३६ प्रतिशत की समयपालन को प्राप्त कर भारतीय रेलवे पर प्रथम स्थान पर है।
विगत वर्षों में यात्री सुविधाओं में भी नये आयाम स्थापित किये है। वृद्वजनों, महिलाओं तथा बच्चों को प्लेटफार्म पार करते समय किसी भी प्रकार की असुविधा न हो इसके लिये महत्वपूर्ण स्टेशनों पर ३० ऐस्केटलेर तथा १५ लिफ्ट स्थापित की गई है। इसके अलावा १६ एस्केलेटर एवं ३४ लिफ्टों का कार्य स्वीकृत है जिस पर कार्य चल रहा है। इसके साथ ही ४३ स्टेशनों पर ट्रेनों की वास्तविक सूचना की जानकारी प्रदान करने के लिये NTES टर्मिनल लगाये गये है एवं जयपुर, गांधीनगर जयपुर, भीलवाडा, भगत की कोठी, बीकानेर, दुर्गापुरा, उदयपुर तथा अजमेर स्टेशनों पर नये प्रवेश द्वार भी बनाये गये है। उत्तर पश्चिम रेलवे के ३९७ स्टेशनों पर हाई स्पीड फ्री वाई-फाई की सुविधा प्रदान की गई है। सुरक्षा के लिये रेलवे सुरक्षा बल द्वारा २४ घंटे की सुरक्षा हेल्पलाइन तथा आसान टिकट सुविधा हेतु एटीवीएम व मोबाइल ऐप की सुविधा भी उपलब्ध है। २१ जिला मुख्यालय स्टेशनों पर राष्ट्रीय ध्वज लगाये गये है।
स्वच्छता को लेकर इस रेलवे पर बहुत से कार्य किये गये है, विगत वर्षों में किये गये प्रयासों से गैर उपनगरीय (NSG) श्रेणी में उत्तर पश्चिम रेलवे के जयपुर स्टेशन को स्वच्छता सर्वे में इस बार प्रथम स्थान तथा जोधपुर स्टेशन को द्वितीय स्थान दिया गया है, विगत सर्वे में जोधपुर स्टेशन पहले और जयपुर स्टेशन दूसरे स्थान पर रहे थे। उत्तर पश्चिम रेलवे के अन्य स्टेशनों पर भी बेहतर सफाई व्यवस्था के आधार पर उच्च रेकिंग प्राप्त हुई है। स्वच्छता सर्वे में प्रथम १० स्टेशनों में से उत्तर पश्चिम रेलवे के ७ स्टेशन सम्मिलित हैं। इसके साथ ही स्वच्छता सर्वे में प्रथम १०० स्टेशनों में उत्तर पश्चिम रेलवे के २६ स्टेशन सम्मिलित हैं। सफाई व्यवस्था की निगरानी सीसीटीवी कैमरों से रखी जा रही है। प्लास्टिक बोतल क्रेशर, वाटर रिसाईक्लिंग प्लांट और बॉयो कचरा पृथक्करण संयंत्र महत्वपूर्ण स्टेशनों पर लगाये गये है। उत्तर पश्चिम रेलवे पर स्टेशनों के सौन्दर्यकरण का कार्य स्थानीय कलाकारों द्वारा लोक चित्रों के निर्माण से किया जा रहा है। सफाई व्यवस्था को सुदृढ करने के लिये अनेक कार्य किये जा रहे है।
इस वर्ष उत्तर पश्चिम रेलवे की कार्यप्रणाली और भूमिका कोरोना वायरस के प्रभाव के कारण उत्पन्न परिस्थितियों को ध्यान में रखकर अलग तरह की रही है, जिसमें राष्ट्र हित और सामाजिक सरोकार की जिम्मेदारी को प्राथमिकता प्रदान की है। उत्तर पश्चिम रेलवे ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन कर श्रमिकों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया तथा उनको निकटस्थ स्थान पर ही रोजगार उपलब्ध हो सकें इसके लिये गरीब कल्याण योजना के तहत रेलवे कार्यों में रोजगार उपलब्ध करवाया। इसके साथ ही कोरोना वायरस के बढते संक्रमण को देखते हुये उत्तर पश्चिम रेलवे ने मरीजों को किसी भी तरह की तकलीफ न हो, इसको ध्यान में रखकर २६६ कोचेज को कोविड केयर (COVID-CARE) आइसोलेशन कोचेज में परिवर्तित किया गया। इसके अतिरिक्त घटक इकाईयों ने पीपीई किट, सैनिटाइजर, मास्क और अन्य उपकरण बनाकर भी समुचित सहयोग प्रदान किया है।
वर्तमान परिपेक्ष में उत्तर पश्चिम रेलवे का प्रयास है कि माल लदान पर विशेष ध्यान केन्दि्रत करें, इसके लिये प्रत्येक स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। इस वर्ष अब तक ६.५४ मिलियन टन माल लदान किया गया, जो कि गत वर्ष की इसी अवधि की तुलना में लगभग बराबर है। उत्तर पश्चिम रेलवे पर मालगाडयों की औसत गति में भी वृद्धि हुई है। माल लदान व ढुलाई को अधिक से अधिक बढाने का प्रयास करने के लिये उत्तर पश्चिम रेलवे ने मुख्यालय व मण्डलों में बिजनेस डेवलपमेंट यूनिट (BDU) की स्थापना की है, जिससे हम माल ग्राहकों की समस्याओं का निदान कर उन्हें माल परिवहन के लिये आकर्षित किया जा सके।
उत्तर पश्चिम रेलवे की यह यात्रा स्थापना से अब तक निरंतर नये विकास के अध्याय को जोडती हुई आगे बढ रही है और यात्रियों को दिन-प्रतिदिन नई सुविधाएं प्रदान करने के लिये आगे भी जारी रहेगी।