जैसलमेर किले की अखे प्रोल के प्रांगण में राज रणछोड मंदिर की तलहटी में भगवान ने धर्म की रक्षार्थ अपने शिष्य की रक्षा के लिए नृसिंह अवतार लिया और हरिण्याकशिपु का वध किया।
भूतपूर्व विधायक छोटूसिंह भाटी, समाजसेवी नंदकिशोर डाँगरा, मदन डाँगरा, पत्रकार विमल भाटिया, समाजसेवी डॉ.दाऊलाल शर्मा, त्रिलोकचंद खत्री एवं संस्था के अध्यक्ष डॉ. शरद दुबे के आतिथ्य में कार्यक्रम की शुरूआत राज रणछोड मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना के साथ हुई जिसमें शहर के गणमान्य नागरिकों तथा नृसिंह भगवान, हरिण्याकशिपु एवं भक्त प्रहलाद के नाट्य रूपों को निभाने वाले कलाकारों ने हिस्सा लिया।
सर्वप्रथम हरिण्याकशिपु के साथ भगवान् नृसिंह के वार्तालाप का दृश्य प्रस्तुत किया गया जिसमें हरिण्याकशिपु किले की अखे प्रोल से दर्शकों से मुखातिब हुए वहीं भगवान ने खम्भे से प्रकट होकर हरिण्याकशिपु को अपनी जांघों पर बिठाकर अपने पैने नाखुनों से उसका पेट चीरकर उसका वध कर दिया । तत्पश्चात् भगवान नृसिंह की सवारी शंखनाद एवं ढोल नगाडों की ध्वनि के साथ गोपाचौक तक निकाली गई। स्थान-स्थान पर जिलेवासियों ने अधर्म पर धर्म की विजय के उपलक्ष्य में मनाये जाने वाले पर्व का लुत्फ उठाया एवं भगवान नृसिंह का पुष्प वर्षा कर स्वागत कर जयकारे लगाए।
भगवान नृसिंह की लीला को मंच पर प्रहलाद के रूप में नैतिक गज्जा, हरिण्याकशिपु के रूप में विजय लौहार एवं भगवान नृसिंह अवतार के रूप में कमल आचार्य ने भूमिका निभाई और इस कार्यक्रम को जीवंत बना दिया।
संस्कार भारती सचिव गुरूदत्त हर्ष ने बताया कि प्रतिवर्ष की भांति नृसिंह चतुर्दशी के उपलक्ष्य में जिलेवासियों का अटूट प्यार मिलता रहा है एवं संस्कार भारती भविष्य में भी ये कार्यक्रम बडे स्तर पर आयोजित करवाती रहेगी।
कार्यक्रम में थिरपालदास, श्रीवल्लभ ओझा, कमल भाटिया, लीलाधर केला, नारायणदास प्रजापत, प्रेम भाटिया, हीरालाल साधवानी, गोपाल छंगाणी, मोहनकृष्ण थानवी, सुरेश हर्ष, जीतेन्द्र सुथार, प्रेम श्रीमाली, लोकेश खत्री, रमेश भाटिया, आनन्द केवलिया, घनश्याम माली, धन्नाराम चौधरी, आईदान, मुरलीधर खत्री, मुकेश गज्जा, मनोहर केला, पूराराम, बम महादेव, सुरेश जगाणी, शेखर डावानी, चन्द्रशेखर श्रीपत, मनोज पुरोहित का सराहनीय सहयोग रहा। पंडित की भूमिका में सोनू शर्मा ने सहयोग किया। मातृ शक्ति के रूप में मोहनकौर थानवी, ज्योति दुबे, बल्लभ कौर हर्ष, सीमा थानवी, प्रियंका आदि उपस्थित रहें
कार्यक्रम का समापन आरती अर्चना के साथ ही प्रसाद वितरण के साथ संपन्न हुआ। संस्था अध्यक्ष डॉ. शरद दुबे ने सभी जिलेवासियों के उत्साह की सराहना करते हुए कहा कि बच्चों में संस्कार का बीज हमें ही बोना है और ये वे छोटे-छोटे प्रयास हैं जिन्हें संस्कार भारती अपना कर्तव्य मानते हुए निरंतर करती आ रही है।