जैसलमेर। अलवर जिले की रैणी राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में छात्राओं के साथ बदसलूकी की शिकायत पर तीन व्याख्याताओं को एपीओ कर निदेशालय बीकानेर में उपस्थिति देने के आदेश जारी हुए । लेकिन इसी दरम्यान जैसलमेर से दो स्कूली व्याख्याताओं के स्थानान्तरण पर छात्र—छात्राओं के आंदोलन की सूचना निदेशालय बीकानेर पहुंची तो इन्हीं ( आरोपी ? ) व्याख्याताओं में से दो व्याख्याताओं को जैसलमेर जिले में पदस्थापित कर आंदोलन को शांत करवाने की कोशिश की गई है । जो कि जैसलमेर जिले के लिए नाइंसाफी कही जा सकती है । न ही इसे मानवीय दृष्टिकोण से सही कहा जा सकता ।
बेहूदा हरकतों से परेशान एक स्कूल को निजात दिलाई लेकिन इन्हीं को जैसलमेर की सागरमल गोपा हाई स्कूल और ग्रामीण अंचल में अवाय उच्च माध्यमिक स्कूल में पदस्थापित कर शांत जिले में आफत पहुंचाई गई । निदेशक शिक्षा विभाग बीकानेर का यह फैसला न तो स्कूली छात्र—छात्राओं के हित में हो सकता और न ही जैसलमेर के हित । स्कूली छात्राओं के साथ अमर्यादित व्यवहार करने वाले व्याख्याताओं को जैसलमेर की स्कूल में लगाना समझ से परे दिखाई दे रहा है ।
निदेशक शिक्षा विभाग बीकानेर ने एक आंदोलन को दबाने के लिए, दो आरोपी व्याख्याताओं को जैसलमेर जैसे शांत शहर में, ( माहौल खराब के लिए ? ) भेज दिया । ऐसे ( चरित्रहीन ? ) व्यक्तित्व को किसी भी स्कूल में रहने का हक नहीं हो सकता तो फिर जैसलमेर में किस लिहाज से इन्हें पदस्थापित किया गया । केवल मात्र जैसलमेर में छात्रों के आंदोलन को रोकने के लिए ?
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