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बढाया स्वाभिमान अटल तो अटल थे लक्ष्य की पहचान

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28 Sep 18
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बढाया स्वाभिमान अटल तो अटल थे लक्ष्य की पहचान जैसलमेर । ’हिंदी पखवाडे के तहत चाणक्य विद्यापी मूलसागर में कविसम्मेलन का आयोजन वरिष्ठ साहित्यकार दीन दयाल ओझा की अध्यक्षता व ब्रजवल्लभ पुरोहित व बालक्रष्ण जोशी के विशिष्ठ आतिथ्य में किया गया।
कविसम्मेलन का आगाज मंच के सिद्धहस्त कवि राम लखारा ’विपुल‘ द्वारा बेटियों को समर्पित ’केसर सी महक वाली खीर होती बेटियां’, तारणी पावन गगां नीर होती बेटिया, कविता से करते हुए महाभारत कालीन पात्र बर्बरीक (खाटू श्याम जी) के चरित्र का परिचय छजों का पहूचाया । हास्य कुडलियों के महारथी मागीलाल सेवक द्वारा लोंठी लुगाई पत्नी की निन्दा करने वाले कवि की दृर्दशा वेटलिटर पत्नी कविता सुना हंसी की फुलझलियां बिखेरी वही कवि सम्मेलन में गभीरता व सदेशात्मकता लाते हूए राजेन्द्र व्यास भोपत द्वारा राजपूती कविता के माध्यम से स्त्रीयों के गुणों का वर्णन किया वही बापू को है प्यारा जो हो देश पर कुर्बान कविता के माध्यम से गाधी जी को याद किया।
हास्य कवि गिरधर भाटिया ने अपने अनूठे अदाज में भद्राचर व मैने शादी कर डाली कविताएँ सुना चाणक्य विद्यापीठ में हंस की हिलोरे पैदा कर दी मंच संचालन करते हुए कवि आनन्द जगाणी ने छात्रों पर लादे गए बस्ते के भार को इंगित कर काटे नहीं कटता हैं रास्ता मंम्मी इतना भारी बस्ता कविता व छन्द सूना वातावरण को सरस बनाया।
इतिहासकार कवि व सांस्कृतिक केन्द्र के सस्थापक नन्द किशोर शर्मा द्वारा १९७१ के भारत पाक युद्ध पर भारतीय शौर्य को दर्शाने वाली प्रसिद्ध कविता ’लोंगेवाला‘ तथा हास्य कविता पोंपोबाई का राज बाबू फिर नहीं आने का प्रस्तुत कर जोश का संचार किय। देश के पूर्व प्रधानमंत्री व कवि ह्रदय स्व अटल बिहारी वाजपेयी को स्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए शर्मा ने बताया स्वाभिमान अटल तो अटल थे लक्ष्य की पहचान के जरिये काव्यांजली दी।
विशिष्ठ अतिथि बाल क्रष्ण जोशी ने पाकिस्तसन को चेतावनी देते हुए कहा कि अब न चलेगी चाल पापी पाकिस्तान की व बरगद का पेड कविता सुनाई।
कवि सम्मेलन की अध्यक्ष्ता कर रहे दीनदयाल ओझा ने बेटी की विदाई का सजीव चित्रण कर माहोल को भावान्तक कर दिया। कवि सम्मेलन के प्रारम्भ में विशिष्ठ अतिथि ब्रज वल्लभ जगाणी द्वारा मूलसागर के इतिहास की जानकारी छात्रों को दी गई। चाणक्य विद्यापीठ के निदेशक बालक्रष्ण जगाणी द्वारा हिन्दी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए इसे विश्व की अनुठी भाषा बताया। अवसर पर चाणक्य विद्यापीठ के छात्र-छात्राओं द्वारा भी कविताएं प्रस्तुत की गई। आयोजन में रेणुरंगा चन्द्रशेखर व्यास सरिता छंगाणी व विनीता कौशिक का सहयोग रहा।

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