सरकार ऋण शोधन अक्षमता तथा दिवाला संहिता (आईबीसी) के तहत बैंकों की दबाव वाली संपत्ति (एनपीए) से निपटने के लिए रिजर्व बैंक को और शक्ति देने पर विचार कर रही है। इसके तहत कई विकल्पों पर र्चचा की जा रही है। उच्चतम न्यायालय के आदेश को देखते हुए सरकार यह कदम उठा रही है। अपने आदेश में शीर्ष अदालत ने केंद्रीय बैंक के 12 फरवरी, 2018 के परिपत्र को खारिज कर दिया है। सूत्रों ने कहा कि दबाव वाली संपत्ति पर जारी 12 फरवरी का परिपत्र से एनपीए से निपटने के संदर्भ में बैंकों के बीच अनुशासन आया है तथा अपनी समझ के हिसाब से कार्य करने की जो स्वतंत्रता थी, वह समाप्त हो गई है।