नई दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के तीन बैंकों-विजया बैंक, देना और बैंक ऑफ बड़ौदा के विलय का मार्ग प्रशस्त करते हुए इनके विलय पर रोक लगाने से बृहस्पतिवार को इंकार कर दिया।न्यायमूर्ति आरएफ नरिमन और न्यायमूर्ति विनीत सरन की पीठ इन बैंकों के एक अप्रैल से विलय पर रोक लगाने के लिए अनेक बैंक अधिकारी एसोसिएशनों के आवेदन खारिज कर दिए। प्रस्तावित विलय के मूर्तरूप लेने के बाद बैंक ऑफ बड़ौदा पंजाब नेशनल बैंक के स्थान पर भारतीय स्टेट बैंक के बाद सार्वजनिक क्षेत्र का दूसरा सबसे बड़ा बैंक हो जाएगा। इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही बैंक अधिकारियों की एसोसिएशनों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि इन तीन बैंकों के विलय के बारे में लिए गए फैसले में अनेक खा¨मयां हैं क्योंकि इस मुद्दे पर भारतीय रिजर्व बैंक के साथ प्रभावी तरीके से मशविरा नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि इस तरह के विलय का फैसला लेने के लिए इन बैंकों के लिए निदेशक मण्डल का सही तरीके से गठन नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि निदेशक मण्डल को इस बारे में सूचित किया जाना चाहिए था ओर उन्हें प्रस्तावित विलय के बारे में समय दिया जाना चाहिए था लेकिन सब कुछ दो जनवरी को हो गया।