इस्लामाबाद। क्रिकेट से सियासत में आए इमरान खान को भ्रष्टाचार से रूग्न पाकिस्तान को एक इस्लामी कल्याणकारी राज्य में तब्दील करने के लिए पाकिस्तान का अपना सपना साकार करने में 22 साल का तवील सियासी सफर से गुजरना पड़ा। आम चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में पाकिस्तान तहरीक-ए- इंसाफ (पीटीआई) के उभरने के बाद खान ने पाकिस्तान के 22वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। खान ने 1996 में पीटीआई की स्थापना की जिसका अर्थ न्याय के लिए आंदोलन है।
एक ऐसे देश की राजनीति में खुद को और एक नयी पार्टी को स्थापित करना बेहद मुश्किल काम था जिसकी राजनीति दो प्रमुख पार्टियों पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज(पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के ही इर्दगिर्द घूमती रही है। अपनी पार्टी को पहचान दिलाने के लिए खान ने अथक परिश्रम किया। वह 2002 में हुए चुनाव में संसद सदस्य बने और 2013 में नेशनल असेंबली के लिए हुए चुनाव में वह फिर से निर्वाचित हुए और इन चुनावों में लोगों के जबर्दस्त समर्थन से उनकी पार्टी दूसरी सबसे पार्टी के रूप में उभर कर सामने आई। चुनाव के अगले ही साल मई 2014 में खान ने आरोप लगाया कि चुनाव में धांधली हुई हैं। इन चुनाव में नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन विजयी हुई थी और शरीफ प्रधानमंत्री बने थे।
अगस्त 2014 में कथित चुनावी धांधली की जांच कराने की मांग और शरीफ के इस्तीफे की मांग करते हुए खान ने समर्थकों के साथ लाहौर से इस्लामाबाद तक रैली निकाली थी। इसके एक माह के भीतर ही खान ने पाकिस्तान मूल के कनाडाई धर्मगुरू ताहिर उल कादरी के साथ गठबंधन कर लिया। इस गठबंधन ने मिल कर शरीफ के इस्तीफे की मांग करते हुए उग्र प्रदर्शन किया। इस मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग बनाने का समझौता होने के बाद ही इनका प्रदर्शन समाप्त हुआ। शरीफ सरकार के साथ खान और कादरी यह समझौता हुआ था।
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