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 बाजार से गायब हो रहीं गर्भपात की दवाएं

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06 Sep 19
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 बाजार से गायब हो रहीं गर्भपात की दवाएं

नई दिल्ली  । कानूनी एवं नियामक अड़चनों और कुछ अन्य वजहों से गर्भपात की दवाओं के बाजार से गायब होने के कारण महिलाओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। प्रतिज्ञा लैंगिक समानता और सुरक्षित गर्भपात अभियान के तहत चार राज्यों में किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि गर्भपात की दवाएं बाजार से तेजी से गायब हो रही हैं। केमिस्ट गर्भपात की दवाओं का स्टाक न करने के पीछे कानूनी और नियामक अड़चनों को मुख्य वजह बता रहे हैं। इससे महिलाएं सुरक्षित और सुलभ गर्भपात की सुविधा से वंचित हो रही हैं। गौरतलब है कि कुछ केमिस्ट से अनौपचारिक रूप से कहा गया है कि वे गर्भपात दवाएं न बेचें। एक रिपोर्ट के अनुसार देश में असुरक्षित गर्भपात मातृत्व मृत्यु दर का तीसरा प्रमुख कारण है। सुरक्षित, प्रभावी और सुलभ गर्भपात सेवाओं का प्रावधान जिनमें गर्भपात की दवाएं भी शामिल है, महिलाओं के स्वास्य एवं प्रजनन अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए एक प्राथमिकता है। बड़ी संख्या में महिलाएं गर्भपात की दवाओं का उपयोग करती हैं और एक अनुमान के अनुसार हर साल कराए जाने वाले 1.56 करोड़ गर्भपातों में से 81 फीसद गर्भपात दवाओं के उपयोग से किए जाते हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि 43 फीसद केमिस्ट का मानना था कि गर्भपात गैरकानूनी हैं और केवल 26 फीसद ही जानते थे कि यह 20 सप्ताह की गर्भावस्था तक वैध है। राजस्थान में तो 60.7 फीसद केमिस्ट ने कहा कि गर्भपात अवैध हैं, इसके बाद ऐसा कहने वालों की बड़ी संख्या बिहार (51.8 फीसद) में थी।


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