उदयपुर| बिगडती जीवन शैली, अनियमित खानपान, हाइपरटेंशन और धूम्रपान की वजह से ब्रेन स्ट्रोक के मामले तेजी से बढ रहे है। लेकिन ज्यादातर लोग अब भी इसकी गंभीरता से अनजान है। इलाज के बेहतर विकल्प उपलब्ध होने के बावजूद मरीजों को समय पर सही उपचार मिलने में परेशानी हो रही है। न्यूरोलॉजी विशेषज्ञो के अनुसार हर छठा व्यक्ति अपने जीवन में कभीन कभी ब्रेन स्ट्रोक की समस्या से ग्रसित हुआ है। हर छठे सेकंड में एक व्यक्ति की मौत स्ट्रोक से होती है। ६० से उपर की उम्र के लोगो में मौत का दूसरा सबसे बडा कारण स्ट्रोक होता है। अगर समय पर फिजियोथेरेपी एवं दवा के द्वारा मरीज को इससे बचाया जा सकता है। उक्त विचार शनिवार को मुख्य अतिथि वरिष्ठ न्यूरोलोजिस्ट प्रो. अतुलाभ वाजपेयी ने अपने उद्बोधन में कही। अवसर था जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डिम्ड टू बी विश्वविद्यालय के संघटक फिजियोथेरेपी चिकित्सा महाविद्यालय की ओर से प्रतापनगर स्थिति आईटी सभागार में ‘‘क्लिनिकल डिसिजन मैकिंग ऑन न्यूरोलॉजीकल कन्डीशन एंड प्रोफेसनलिजम इन न्यूरो फिजियोथेरेपी‘‘ विषयक पर एक दिवसीय सेमीनार का। विशिष्ठ अतिथि के.एम. पटेल इंस्टीट्यूट गुजरात के डॉ. हरिहर प्रकाश ने कहा कि फिजियोथेरेपी में नई तकनीकों के इजात से गंभीर बिमारियों के रास्ते खोजे जा रहे है और गहन शोध के बाद केंसर, मधुमेह, स्ट्रोक, कार्डियों, रेस्पिरैटरी, जोडो, कमर व पीठ दर्द आदि में इस तकनीक के उपयोग की सुनिश्चिता की जा रही है। इसमें नवीनतम शोध लगातार नई तकनीकों की ओर इंगित कर रहे है जिससे फिजियोथेरेपिस्ट की भूमिका अहम हेाती जा रही है। अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि युवा वर्ग के लिए यह महत्वपूर्ण मौका है कि छात्र इसकी बारीकियों से सीख कर रॉल मॉडल के रूप में इसे अपना कर इस पेशे को नई दिशा देगे। आज की युवा पीढी की व्यस्ततम लाईफ स्टाईल के कारण घुटनो का दर्द, पीठ का दर्द, सिर दर्द आम बात हो गई है। यह उनके ज्यादा से ज्यादा वाहनो के इस्तेमाल, अधिक टेबल वर्क करने, यात्रा करने से ये रोग होते है। सारंगदेवोत ने कहा कि आगामी सत्र से फिजियोथेरेपी चिकित्सा महाविद्यालय में स्पीच थेरेपी को भी प्रारंभ किया जायेगा। अतिविशिष्ठ अतिथि मगध विवि के पूर्व कुलपति प्रो. वी.एन. पाण्डेय ने कहा कि आज के भागम भाग के युग में फिजियोथेरेपी का महत्व दिनों दिन बढता जा रहा है। फिजियोथेरेपी से बिना दवा के इलाज किया जाता है। इनके प्रचार प्रसार की आवश्यकता है। ग्रामीण क्षेत्र में भी इसके विस्तार पर जोर देने की आवश्यकता है जिससे अधिक से अधिक लोग इसका लाभ उठा सके।
इन तकनीको पर हुआ मंथन ः- प्राचार्य डॉ. शैलेन्द्र मेहता ने बताया कि सेमीनार में स्पोर्ट्स थेरेपी, स्पीच थेरेपी, न्यूरो डवलपमेंट तकनीक विधा, इलेक्ट्रो थेरेपी आदि की जानाकारी छात्र छात्राओ को अवगत कराया। संचालन डॉ. प्रज्ञा भटट, डॉ. आरूषी टंडन, ने किया जबकि आभार डॉ. सत्यभूषण नागर ने दिया। डॉ. सुनिता ग्रोवर, डॉ. विनोद नायर, डॉ. विनिता वाघेला ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
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