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दूध का सार है मलाई, पर जीवन का सार है दूसरों की भलाई।

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01 Aug 23
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दूध का सार है मलाई, पर जीवन का सार है दूसरों की भलाई।

उदयपुर,  राष्ट्र-संत श्री ललितप्रभ जी महाराज ने कहा है कि धर्म मानवता की मुंडेर पर महोब्बत जलता हुआ चिराग है जो हर व्यक्ति को प्रेम, शांति, परोपकार और पुण्यमयी जीवन जीने का उजाला देता है। धर्म का काम जोडऩा है चाहे लोगों को जोड़ो, दिलों का जोड़ो, समाजों का जोड़ो या परिवारों को जोड़ो। सुई-धागे की तरह होता है धर्म, जो अपनी ओर से जोडऩे का काम करता है। जो हम अपने लिए चाहते हैं वही सबके लिए चाहें और जो हम अपने लिए नहीं चाहते वह किसी के लिए भी न चाहें - धर्म की हर व्यक्ति को यही सिखावन है। धर्म मानव को सही मानव बनाता है, धर्म की चर्चा कम और चर्या ज्यादा करनी चाहिए। धर्म न तो पगड़ी है कि जब चाह पहनो नहीं तो खूंटी पर लटका दो, धर्म दमड़ी की तरह भी नहीं है जब चाहो जेब में डाल दो और जब चाहो उपयोग कर लो। धर्म तो चमड़ी की तरह है जो चौबीस घंटा हमारे जीवन का हिस्सा होना चाहिए। अमेरिका धन में आगे है पर हमारा भारत देश धर्म में आगे है। यहाँ सिकंदर नहीं तीर्थंकर पूजे जाते हैं।
राष्ट्र-संत श्री ललितप्रभ यहाँ टाउन हॉल मैदान में आयोजित 54 दिवसीय प्रवचनमाला में नए युग में धर्म का प्रेक्टिकल स्वरूप विषय पर प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि धर्म क्रोध के वातावरण में प्रेम, लोभ के वातावरण में संतोष, वासना के वातावरण में संयम और अहंकार के वातावरण में विनम्रता की हमें सिखावन देता है। उन्होंने कहा कि हमें पग-पग पर धर्म का विवेक रखना चाहिए। अगर हम बेशन में हाथ धो रहे हैं तो वहाँ पर नजर डाल लें वहाँ को कोई चींटी तो नहीं है, कार निकालने से पहले देख लें की उसके नीचे कोई जीव तो नहीं बैठा है, दाल-चावल भिगोने से पहले एक नजर डालें की उसमें कोई ईली तो नहीं है। धर्म की बड़ी-बड़ी बातें करने की बजाय छोटे-छोटे धर्म के चरण को जीना चाहिए। धर्म पापों को धोने के लिए नहीं अपितु पापों से बचने के लिए है। हमें धर्म का का वह सरल स्वरूप इंसान को देना चाहिए जिसे आदमी अपने जीवन को सहजता से जी सके।
संतश्री ने कहा कि हमें धर्म का पहला आचरण करना चाहिए कि सभी को अपने-अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए। कर्तव्य का पालन करना इंसान का पहला धर्म है। पिता के वचन का पालन करने के लिए राम वनवास गए,पति का साथ देने के लिए सीता साथ गई, भाई का साथ देने के लिए लक्ष्मण साथ गए। सबने अपने-अपने कर्तव्यों का पालन किया और दुनिया के लिए महान आदर्श बन गए। अगर आपका भाई जरूरतमंद है, बीमार पड़ गया है और उसे ईलाज की जरूरत है, तो आप समाज में दान देने से पहले अपने कर्तव्य धर्म का पालन कीजिए और अपने भाई का सहयोग कीजिए। उन्होंने कहा कि अगर आपके यहाँ काम करने वाले कर्मचारी के घर में किसी प्रकार की विपत्ति आ गई हो, तो दो कदम आगे बढि़ए और चलाकर उसका सहयोग कीजिए।
संत प्रवर ने कहा कि अपने-अपने माता-पिता के प्रति पलने वाली कतव्र्य का पालन कीजिए। जवानी में संतान का सुख तो हर एक को मिल जाता है, पर बुढ़ापे में संतान से सुख किसी किस्मत वाले को ही मिलता है। उन्होंने एक घटना प्रसंग का जिक्र करते हुए कहा कि किसी पत्नी ने अपने पति सें पूछा कि आप माँ और मुझ में किसको चुनना चाहोगे। पति ने कहा माँ को। क्योंकि मैं नहीं चाहता कि मेरा बेटा बड़ा होकर पत्नी के लिए माँ को छोड़ दे। संतप्रवर ने समाज जनों से कहा कि घर में चार भाईयों में जब भी बँटवारा हो तो अपना हिस्सा पहले माँग लीजिए और कहिए सब कुछ ले लीजिए बस माता-पिता का हिस्सा मुझे दे दीजिए। चार भाईयों में बँटवारा हुआ किसी के हिस्से दुकान आई और किसी के हिस्से मकान आया किस्मतवाला वो निकला जिसके हिस्से माता-पिता की सेवा आई।
राष्ट्र-संत ने कहा कि इंसान होकर इंसान के काम आना धर्म का दूसरा चरण है। उन्होंने कहा कि सबुह योग करो पर दिन में दूसरों का सहयोग करो। रात को सोए तो जरूर चिंतन करें आज मेरे हाथ से कोई भलाई का काम हुआ या नहीं हुआ, अगर हुआ तो कल फिर दोहराउंगा और नहीं हुआ तो कल कोई भलाई का काम जरूर करूंगा। दूध का सार है मलाई पर जीवन का सार है दूसरों की भलाई।
संतप्रवर ने कहा कि अपनी-अपनी कमजोरियों पर विजय प्राप्त करना धर्म का तीसरा चरण है। हम अपने मन को हमेशा निर्मल रखें क्योंकि मन का प्रभाव ही जीवन पर आता है। मन अगर कलुषित होगा तो हम निर्मल जीवन के मालिक नहीं बन पाएँगे। दूध में जितना ज्यादा पानी होता है रबड़ी बनने के लिए उसको उतना ज्यादा उबलना पड़ता है।
संतप्रवर ने धर्म का चौथा चरण बताते हुए कहा कि हमें सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए। दुनिया के हर धर्म में श्रेष्ठ महापुरुष है और पवित्र संदेश हैं। हमें सकारात्मक बनकर अच्छी और निर्मल बातों को अपने जीवन से जोडऩा चाहिए।
समारोह का शुभारम्भ हरिसिंह लोढ़ा, ललितकुमार लोढ़ा, महेश बया, भंवरलाल बोलिया, नवीन लोढ़ा, नीरज मेहता, कल्पना लोढ़ा, मधुकंवर लोढ़ा ने दीपप्रज्वलन के साथ किया। समिति के सह संयोजक दलपतसिंह दोशी के अनुसार सोमवार को सुबह 8.45 बजे संत चन्द्रप्रभ जी महाराज ओम् और नवकार मंत्र का रहस्य विषय पर विशेष प्रवचन देंगे।


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