GMCH STORIES

राजस्थान के वर्तमान राजनैतिक हालातों में क्या इस बार भी अशोक गहलोत की जादूगरी का करिश्मा अपनाअसर दिखायेगा?

( Read 8652 Times)

26 Jul 21
Share |
Print This Page

-नीति गोपेंद्र भट्ट

राजस्थान के वर्तमान राजनैतिक हालातों में क्या इस बार भी अशोक गहलोत की जादूगरी का करिश्मा अपनाअसर दिखायेगा?

नई दिल्ली। पंजाब के राजनैतिक घटनाक्रम के बाद राजस्थान में भी इन दिनों राजनीतिक सरगर्मियाँ परवानपर चढ़ रही है। हालाँकि राजस्थान और पंजाब की परिस्थितियों में बहुत फर्क है । जहां पंजाब में अगले वर्षही  चुनाव होने है वहीं राजस्थान में अभी चुनाव में ढाई वर्ष का समय बाकी है।

पंजाब में मुख्यमंत्री केप्टन सरदार अमरेन्द्र सिंह और लोकप्रिय पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू  के बीच बढ़तेविवाद को लेकर कांग्रेस हाई कमान को बीच बचाव करने पड़ा और सिद्धू की पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष के रूप मेंताजपोशी के साथ मामला शान्त हुआ लगता है।लेकिन अमरेन्द्र सिंह की ताक़त को सभी जानते है।

पंजाब की राजनैतिक हलचल से राजस्थान में मुख्यमंत्री गहलोत  का विरोधी ख़ेमा सचिन पायलट औरसमर्थक़ों की उम्मीदें अनायास आसमान में कुलाँचे भरने लगी और पिछलें दिनों प्रदेश प्रभारी कांग्रेस के राष्ट्रीयमहामंत्री अजय माकन के ट्विटर हेंडल पर की गई पोस्ट और मुख्यमंत्री के अप्रत्यक्ष जवाबी ट्विट से मामलागर्माया।

इसके पहले सचिन पायलट द्वारा भी लगातार दिल्ली के दौरे कर कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधीके साथ-साथ राहुल और प्रियंका गांधी के समक्ष  सोनिया के राजनैतिक सलाहकार मरहूम अहमद पटेल कीअगुवाई में बनी समन्वय कमेटी में सैद्धांतिक रूप से तय हुई बातों को लागू कराने के लिए गहलोत पर दवाबबनाने की कौशिस की गई। हालाँकि गहलोत पहले ही खुलासा कर चुके है कि वे कांग्रेस हाई कमान के हरफ़ैसले को मानने के पक्षधर है और हर कांग्रेसी से ऐसा करने की अपेक्षा करते है। लेकिन उन्हें दवाब कीराजनीति पसन्द नहीं है। ख़ासकर वे ऐसे नेताओं के दवाब में तो बिल्कुल नहीं आना चाहते जोकि पार्टी केस्थापित सिद्धांतों और मर्यादाओं के विपरीत अनैतिक आचरण 

करने वाले है। उन्होंने अपनी यह भावना हाईकमान को भी बता दी है कि मध्य प्रदेश की तरह राजस्थान में भीकांग्रेस की सरकार को गिराने की साज़िश और कांग्रेस को तोड़ अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा की ताक़त बढ़ाने मेंसहायता करने वाले नेताओं के दबाव वे किसी भी परिस्थिति में नहीं आना चाहतें और पार्टी हाई कमान को भीऐसे नेताओं को तवज्जो नहीं देना होगा।

आज गहलोत का कांग्रेस में बहुत बड़ा क़द है । वे आलाकमान के भी बहुत ही भरोसेमन्द विशेष कर सोनियागांधी और परिवार के अति निकट है। वे समय समय पर कांग्रेस के संकटमोचक भी रहें है। जी 23 नेताओं केखिलाफ़ मुखर होने के साथ गुजरात में अहमद पटेल को राज्यसभा के प्रतिष्ठापूर्ण चुनावों में जिताने सहितगुजरात यूपी के साथ ही  पंजाब में भी पिछलें विधानसभा चुनावों में वे वहाँ के प्रदेश प्रभारी राष्ट्रीय महामन्त्री थेऔर पंजाब में निवर्तमान अकाली सरकार के ख़िलाफ़ चुनाव जीतने और केप्टन सरदार अमरेन्द्र सिंह कोमुख्यमंत्री बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

इस पृष्ठभूमि में गहलोत राजस्थान में सचिन और असन्तुष्ट विधायकों के दवाब में आए बिना कोई सम्माजनकहल निकालना चाहते है। गहलोत की दुविधा यह है कि वे यदि सचिन और सहयोगियों के दवाब में आकर कोईनिर्णय करते हे तो पार्टी के वफ़ादार नेताओं के प्रति अन्याय होगा,फिर उन्हें उन निर्दलियों और बी एसपी सेकांग्रेस में शामिल हुए विधायकों के साथ भी न्याय करना है। निर्दलियों में भी अधिकांश कांग्रेसी विधायक हीहै। कोविड के वर्तमान हालातों की चुनोतियों के मध्य इस नई परेशानी से गहलोत खिन्न और परेशान है औरइस वक्त उन्हें दिल्ली में अपने भरोसेमन्द साथी दिवंगत अहमद पटेल की बहुत बड़ी कमी भी महसूस हो रही है।

राजस्थान ने चल रही राजनीतिक सरगर्मियों के मध्य शनिवार रात को कांग्रेस आलाकमान के दूत बनकर आएंअखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री और राजस्थान से राज्यसभा सांसद के सीवेणुगोपाल व राजस्थान के प्रभारी महामन्त्री अजय माकन की देर रात मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लम्बीगुफ्तगु हुई और मंत्रणा के बाद रविवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में  प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा कीअगुवाई में आयोजित बैठक में विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों से साझा बैठक की।

 इस बैठक में सचिन पायलट भी मौजूद रहे,लेकिन मुख्यमंत्री गहलोत नहीं आएं। इस बैठक में एक राय से सभीने  मंत्रिमंडल विस्तार, राजनीतिक और संगठनात्मक नियुक्तियों का फैसला हाईकमान पर छोड़ने पर सहमतिजताई गई । यह  बैठक एक घंटे से भी कम समय में ही खत्म भी हो गई। पहले क़यास थे कि इस बैठक कोलेकर हल्ला किया जा रहा था कि बैठक में शक्ति प्रदर्शन होगा। बहुत कम विधायक व मंत्री ही बैठक मेंपहुंचे।

जयपुर यात्रा में आए कांग्रेस नेताओं ने पीसीसी में स्वागत के बाद मीडिया से बात की उसमें केवल बार-बारयहीं कहा कि कहीं कोई विरोधाभास नहीं हैं। सबने एक स्वर में आलाकमान के निर्णय को सर्वमान्य कहा हैं।सब कुछ जल्द निपटा लिया जाएगा।

मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों पर पूछे गए सवाल पर कांग्रेस के संगठन महासचिव केसीवेणुगोपाल ने मीडिया से अंग्रेजी में एक लाइन में कहां कि “थिंग्स आर प्रोग्रेसिंग विल डिसाइड सून”.....

मंत्रिमण्डल फेरबदल व राजनैतिक नियुक्तियां कब होगी इसकी कोई डेड लाइन उन्होंने नहीं दी। उसे देखते हुएलगता है कि शीघ्र ही सीएम गहलोत  की दिल्ली यात्रा हो सकती हैं।

इस तरह यह आभास हो रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों पर प्रक्रिया चल रही है औरइस सम्बन्ध के जल्द ही फैसला होगा लेकिन इसमें मुख्यमंत्री गहलोत की राय ही महत्वपूर्ण रहने की सम्भावनाहै। फिर गहलोत सोशल इंजीनियरिंग के साथ साथ सभी क्षेत्र संभाग जाति वर्ग आदि समीकरणों को साधतथा आगामी उप चुनावों जिला परिषद एवं विभिन्न निकायों आदि को दृष्टिगत रखते हुए संतुलित मंत्रिपरिषदका गठन करने के हामी है।

संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और प्रभारी महासचिव अजय माकन प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में बैठककरने के बाद सड़क मार्ग से ही दिल्ली रवाना हो गए। शनिवार को दोनों नेता सड़क मार्ग से ही जयपुर आएथे। बताया गया कि अजय माकन एक बार फिर से विधायकों का मन टटोलने जयपुर आएंगें और  लगातार दोदिन 28 और 29 जुलाई को प्रत्येक विधायक से फीडबैक लेंगे ।

अब देखना यह है कि राजस्थान के वर्तमान राजनैतिक हालातों में क्या अशोक गहलोत की जादूगरी काकरिश्मा इस बार भी अपना असर दिखायेगा?


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories : Headlines
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like