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डॉ. हर्ष वर्धन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन कार्यकारी बोर्ड के 148वें सत्र की अध्यक्षता की

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28 Jan 21
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डॉ. हर्ष वर्धन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन कार्यकारी बोर्ड के 148वें सत्र की अध्यक्षता की

नई दिल्ली, केन्द्रीय स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी बोर्ड के 148वें सत्र की डिजिटल माध्यम से अध्यक्षता की। अपने समापन भाषण में उन्होंने 148वें सत्र को सफल और परिणामजनक बनाने के लिए सभी प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कल देर शाम कहा कि कठिन परिस्थितियों के बावजूद हमने ऐसे समय वर्चुअल रूप से बैठक की, जब हमने समझा कि आने वाले दो दशकों में कई तत्काल स्वास्थ्य चुनौतियां हमारे सामने होंगी, हम नये संकल्प के साथ मिलकर काम करने से साझा हित पर सहमत हुए और सुनिश्चित किया कि हमें सभी के लिए सार्वभौमिक स्वास्थ्य की दिशा में आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता।

जैसा कि मैंने पहले कहा है कि इन सभी चुनौतियां जैसे कि वर्तमान महामारी के लिए साझा कार्रवाई की आवश्यकता है, क्योंकि इनके साथ साझा खतरे जुड़े हैं, जिनके लिए साझा जिम्मेदारी से काम करने की आवश्यकता है। निस्संदेह ये हमारी साझा जिम्मेदारी विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देशों के लिए शीर्ष दर्शन भी है। कोविड-19 को महामारी घोषित किए जाने के समय से हमने इस रोग के खिलाफ साहसपूर्ण संघर्ष किया है और संक्रमण को रोकने, बीमारी की रोकथाम और मौतों में कमी लाने के लिए हमने मिलकर प्रयास किए। मैं सदस्य देशों का धन्यवाद करना चाहता हूं, क्योंकि महामारी विज्ञान की प्रवृत्ति में बहुत असमानता के बावजूद हम अग्रसक्रिय और सामूहिक कार्य नीति को अपनाकर महामारी को पराजित करने की दहलीज़ पर हैं।

वर्ष 2020 विज्ञान का वर्ष रहा है, जिसमें मानवता ने कोविड-19 के कारण उत्पन्न अंधकार से बाहर निकलकर दिखाया।  हालात की मांग थी कि प्रमुख वैश्विक सहयोग बनाया जाए, ताकि वैज्ञानिक अपने अनुभव को साझा कर सकें। हमारे वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य समुदायों ने यह प्रदर्शित किया कि हम किसी भी गति का मुकाबला कर सकते हैं, निदान और स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता बरकरार रख सकते हैं, ऐसा विश्वास विकसित कर सकते हैं, जिससे गति के कारण गुणवत्ता में कोई कमी न आए।

मेरा मानना है कि स्वास्थ्य देखभाल पर सहयोग के अनुकूल परिणाम का समान वितरण होना चाहिए। हमें इसका लाभ विश्व के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचाना है और हमें एक और असमान विश्व विकसित नहीं करना। प्रत्येक सदस्य की तरफ से वचनबद्धता है और मैं इसे 2020 का बेहतर परिणाम मानता हूं।

यदि वर्ष 2020 कोविड वैक्सीन की खोज का वर्ष था, 2021 विश्व भर में उन लोगों तक पहुंचने की चुनौती का वर्ष होगा, जिनको वैक्सीन की बेहद जरूरत है। यह एक बड़ी भूमिका है जिसे हमने विश्व स्वास्थ्य संगठन में निभानी है। विभिन्न पक्षों और युवाओं को प्रभावित करने वालों के साथ मिलकर काम करना अब बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि सही सूचना का प्रसार किया जा सके और वैक्सीनेशन कार्यक्रम को लेकर अफवाहों को निराधार बताया जा सके तथा महामारी को समाप्त करने के उद्देश्य से अन्य शीर्ष जन-स्वास्थ्य उपायों को जारी रखा जा सके।

सप्ताह भर की बैठक के बारे में उन्होंने कहा कि इस दौरान की गई चर्चा से आवश्यक नवाचार के लिए विज्ञान, एकजुटता, पारदर्शिता और जवाबदेहता में योगदान मिलेगा। इस बैठक में कार्यसूची पर सघन और समृद्ध चर्चा से उत्पन्न विशेष बिन्दुओं को उजागर करना आवश्यक है। मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित तैयारियों और जन-स्वास्थ्य आपात कार्रवाई को बढ़ावा देने पर हुई चर्चा जन-स्वास्थ्य आपात के मानसिक स्वास्थ्य पहलुओं के समाधान में लाभदायक सिद्ध होगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन और सदस्य देशों द्वारा कोविड-19 पर की गई कार्रवाई के तहत कंटेनमेंट कार्य नीतियां बनाए जाने की इंडियन ओवरसाइट एंड एडवाइजरी कमिटी ने सराहना की है।

संक्रमण, रोग तथा मृत्यु को महामारी की शुरुआत से लेकर अब तक सीमित करने और दबाने की कोशिश के बारे में हमारी चर्चा निस्संदेह इस बात पर योगदान देगी कि कौन से जन-स्वास्थ्य उपाय सफल रहे और नाकाम रहे। इनसे प्राप्त सीख का उपयोग सुधार में और शीर्ष क्षमताओं के अधिक विकास तथा स्वास्थ्य सूचना प्रणाली और रिपोर्टिंग व्यवस्था को मजबूत बनाने में किया जा सकता है। मैं सदस्य देशों की क्षेत्र, देश, क्षेत्रीय और मुख्यालय स्तर से संबंधित विश्व स्वास्थ्य संगठन आपात कार्यक्रम के कामकाज के लिए अधिक जवाबदेह सुरक्षा की सिफारिशों की भी सराहना करता हूं।

उन्होंने कहा कि ये मेरी साझा चिंता है कि अधिक, लचीली और अनुमानात्मक फंडिंग होनी चाहिए। मैं आईओएसी की ओवरसाइट फंक्शनिंग के बारे में आपके द्वारा रखे गए विचार की भी सराहना करता हूं। उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक तैयारी निगरानी बोर्ड ने जोखिम में विश्व से लेकर अव्यवस्था में विश्व तक प्रणालियों और तैयारी रहित विश्व में वित्तीय कोष को लेकर अपर्याप्तता का उल्लेख किया है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्र-राज्य और आपसी सहयोग तथा देशों के बीच एकजुटता स्वास्थ्य आपात तैयारियों और कार्रवाई व्यवस्था के केन्द्र बिन्दु के रूप में बनी रहनी चाहिए। इसके लिए आज के विश्व की वास्तविकताओं को प्रदर्शित करने के लिए बहुपक्षीय अंतर-सरकारी प्रणालियों के ढांचे और कामकाज में सामयिक सुधार की आवश्यकता है।

निस्संदेह विश्व स्वास्थ्य संगठन में सुधार और इसे मजबूत बनाने के प्रयासों का नेतृत्व स्वाभाविक रूप से सदस्य देशों को करना चाहिए और आशाओं तथा वित्तीय स्थिति की दृष्टि से इन पर सोच-समझकर विचार करना जरूरी होगा।

उन्होंने बताया कि यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार के रोकथाम पर जोरदार चर्चा हुई। कार्यान्वयन भागीदारी से संबंधित संयुक्त राष्ट्र अंतर-एजेंसी समूह के साथ मिलकर विश्व स्वास्थ्य संगठन, रिपोर्टिंग और छानबीन व्यवस्था तथा पीड़ितों की सुरक्षा समेत यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार के प्रति जीरो टॉलरेंस के दृष्टिकोण को और अधिक स्पष्ट कर रहा है। कई सदस्य देशों द्वारा रखे गए मसौदा फैसले को इस आवश्यक क्षेत्र में सामूहिक कार्य को मजबूत बनाने के उद्देश्य से स्वीकार किया गया।

डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि कोविड-19 के प्रभाव के कारण जटिल स्थिति और सुधार की पहल को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य असेम्बली से परिणाम ढांचे प्रक्रिया और कार्यक्रम बजट पर स्पष्ट रोडमैप और अपडेट के लिए काम करने की अपेक्षा है।

अमेरिका के राष्ट्रपति के मुख्य चिकित्सा सलाहकार डॉ. एंथनी फॉकी ने बाइडेन-हैरिस प्रशासन की ओर से कार्यकारी बोर्ड को अपने संदेश के जरिए संबोधित करते हुए घोषणा की कि अमेरिका विश्व स्वास्थ्य संगठन का सदस्य बना रहेगा और अपने वित्तीय दायित्व पूरा करेगा। उन्होंने महामारी के फैलाव से संबंधित वैश्विक जन-स्वास्थ्य कार्रवाई; वैक्सीन, थेराप्योटिक और निदान के तीव्र विकास तथा ताजा घटनाक्रम पर नजर रखने में मदद के लिए वैज्ञानिकों और अनुसंधानकर्ताओं के साथ सहयोग में विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका को स्वीकार किया। डॉ. फॉकी का यह संदेश विश्व स्वास्थ्य संगठन के 148वें सत्र के लिए इतिहास बन गया।

इस पर डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि भारत और विश्व स्वास्थ्य संगठन कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष की ओर से मैं अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के नये प्रशासन की इस घोषणा का स्वागत करता हूं कि अमेरिका विश्व स्वास्थ्य संगठन से अलग होने की प्रक्रिया रोक देगा। हमें प्रसन्नता है कि अमेरिका बहुपक्षीय सहयोग और महामारी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में कार्रवाई के लिए नई प्रतिबद्धता के साथ सदस्य देशों से मिलकर काम करना जारी रखेगा। जैसा कि हमारे महानिदेशक ने कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन विभिन्न राष्ट्रों का परिवार है और इसे सक्रिय रहने के लिए राष्ट्रों की  एकजुटता की आवश्यकता है।

सदस्य देशों ने गैर-संचारी रोगों से बचाव और रोकथाम तथा इन अल्प वित्तीय पोषित क्षेत्रों के लिए अधिक संसाधनों की दिशा में विभिन्न क्षेत्रों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने की मांग की।

जन-स्वास्थ्य पर वैश्विक कार्यनीति और कार्रवाई योजना, नवाचार और बौद्धिक संपत्ति कार्यसूची और प्रस्तावित प्रस्ताव पर अच्छी चर्चा हुई और थेराप्योटिक, निदान और वैक्सीन तक पहुंच सुधारने के लिए अनुसंधान को मजबूत करने तथा ज्ञान और सूचना के आदान-प्रदान की जरूरत बताई गई।

मेरे लिए यह बताना जरूरी है कि शहरीकरण और वैश्वीकरण वृद्धि न केवल संचारी अपितु गैर-संचारी रोगों को बढ़ावा दे रही है, ऐसी तेजी से बदलती वास्तविकताओं द्वारा परिभाषित विश्व के मद्देनजर विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यक्रमों को तैयार किया जाना चाहिए। साथ ही महामारी जैसी तात्कालिक जन-स्वास्थ्य चुनौतियों का भी ध्यान रखना चाहिए। यह भी एक स्पष्ट वास्तविकता है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में विज्ञान और नवाचार के अनुकूल परिणामों से अधिकांश संपन्न देशों को फायदा हो रहा है।

मुझे इस बात पर प्रसन्नता है कि सदस्य देशों ने सामाजिक निर्धारकों पर रिपोर्ट प्रस्तुत की और सबके लिए स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के महत्व को स्वीकारते हुए मसौदा प्रस्ताव का समर्थन किया।

इस बोर्ड ने एक वर्ष के भीतर समाप्त हो रही वैश्विक कार्यनीतियों और योजनाओं – विश्व स्वास्थ्य संगठन वैश्विक अक्षमता कार्य योजना, एचआईवी, वायरल हेपेटाइटिस और यौन संक्रमण से संबंधित वैश्विक स्वास्थ्य क्षेत्र कार्य नीतियों पर विचार किया।

कार्यकारी बोर्ड ने टीकाकरण एजेंडा 2030 का स्वागत किया और वैश्विक स्तर पर जन-स्वास्थ्य की सुरक्षा में टीकाकरण कार्यक्रमों की केन्द्रित भूमिका को स्वीकार करते हुए इस पर सर्वसम्मति से सहमति दी। सदस्य देशों ने कोवैक्स सुविधा के माध्यम समेत कोविड-19 वैक्सीन की शीघ्र और समान उपलब्धता की भी मांग की।

वैक्सीन से रोके जा सकने वाली बीमारी और मृत्यु में अकेला सफल वैश्विक कार्यक्रम टीकाकरण है और विश्व स्वास्थ्य संगठन को सदस्य देशों को प्रभावी रूप से टीकाकरण एजेंडा लागू करने में प्रमाण आधारित और वैज्ञानिक दृष्टि से सहयोग जारी रखना चाहिए। वैक्सीन की कवरेज में सुधार के तहत विशेष रूप से कमजोर वर्गों तक पहुंच और असमानता में कमी लाने के लिए वैक्सीन की कवरेज सुनिश्चित की जानी चाहिए।

उन्होंने बताया कि हमने महानिदेशक की एंटीमाइक्रोबायल रेजिस्टेंस की रिपोर्ट पर चर्चा की। यह रिपोर्ट कई सतत् विकास लक्ष्यों की उपलब्धि के लिए बड़ी चुनौती बन रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन अपने एंटीमाइक्रोबायल रेजिस्टेंस डिविजन के माध्यम से इस चुनौती से निपटने के लिए वैश्विक कार्रवाई कर रहा है। हालांकि कोविड-19 ने इन जारी गतिविधियों में कुछ बाधा उत्पन्न की है। इसके अलावा एक अन्य संक्रामक बीमारी पोलियोमायीलिटिस पर भी चर्चा की गई। मुझे विश्वास है कि महानिदेशक रिपोर्ट की चर्चा के दौरान जिन कदमों पर प्रकाश डाला गया उनके बल पर विश्व शीघ्र पोलियो मुक्त बन सकेगा।  

उन्होंने कहा कि कई वर्ष पहले 1994 में मैंने पोलियो मुक्त भारत का सपना देखा था, उस समय विश्व के कुल पोलियो ग्रस्त रोगियों में से 60 प्रतिशत भारत में थे। अनेक स्वैच्छिक संगठनों के सहयोग और विश्व स्वास्थ्य संगठन के समर्थन से हमने नई दिल्ली में 2 अक्तूबर, 1994 को पोलियो मुक्त भारत के कार्यक्रम की शुरुआत की थी। आज भारत पोलियो मुक्त है और जनवरी, 2011 में पोलियो का अंतिम मामला सामने आया था। भारत को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मार्च, 2014 में पोलियो मुक्त होने का प्रमाण पत्र दिया था।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी बोर्ड की सप्ताह भर चली सफल बैठक के लिए सभी को धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा कि मुझे मालूम है कि सभी सदस्य देश चुनौतियों पर काबू पाने के लिए अपने अथक प्रयास कर रहे हैं और स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभ पहुंच और गुणवत्ता में सुधार के लिए कार्य कर रहे हैं। यह कार्य अभी समाप्त नहीं हुआ है, इसलिए हमें महामारी को पूरी तरह समाप्त करने के लिए अपनी वचनबद्धता को दोगुना करना होगा।

(कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष का पूरा भाषण देखने के लिए निम्नलिखित लिंक पर जाएं

https://youtu.be/2d7P9fQGVe4)


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