GMCH STORIES

तेरापंथ के विकास महोत्सव :विकास और तुलसी एक दूसरे के पर्याय

( Read 75841 Times)

18 Sep 18
Share |
Print This Page
तेरापंथ के विकास महोत्सव :विकास और तुलसी एक दूसरे के पर्याय

उदयपुर। शासन श्री साध्वी गुणमाला ने कहा कि आचार्य तुलसी ने मुझे दीक्षित किया। धर्म से तेरापंथी हैं लेकिन कर्म से भी कई लोग तेरापंथी हैं। विकास और तुलसी एक दूसरे के पर्याय हैं। आचार्य महाप्रज्ञ को भी इससे अलग नही किया जा सकता। गुजरात के एक लेखक देसाई ने लिखा है कि तेरा नहीं यह मेरा पंथ है।

वे मंगलवार को अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में तेरापंथ के विकास महोत्सव को संबोधित कर रही थी।

उन्होंने कहा कि देसाई ने कहा कि विदेशों में जब मुझे किसी संत का नाम पूछा जाता है तो दो ही नाम तुलसी और महाप्रज्ञ के नाम याद आते हैं। जिन्होंने विकास के कई नए आयाम दिए हैं। महाबलेश्वर में ध्यान के बहुत बड़े साधक हैं वो भी आचार्य तुलसी को अपना साध्य मानते हैं। कर्नाटक के एक प्रसिद्ध हस्तरेखा ज्ञाता हैं। आचार्य तुलसी के बारे में उन्होंने कहा कि मुझसे पहले आचार्य तुलसी के दर्शन करो। अहमदाबाद के समुद्र शास्त्री यशवंत त्रिवेदी प्रवास के दौरान आचार्य तुलसी से मिले और कहा कि आप जैसे गिने चुने व्यक्ति ही धरती पर हैं।

साध्वी लक्ष्यप्रभा ने कहा कि महापुरुष जितने भी हुए उन्होंने क्रांति की और वे महापुरुष हुए। आचार्य तुलसी का जीवन क्रांतियों का जीवन था। पतझड़ में अगर कोई पेड़ हरा भरा रहे तो वो चमत्कारी बन जाता है। आचार्य तुलसी भी वैसे ही थे। उनके जीवन में कई पतझड़ आये, तूफान आये लेकिन वे निरंतर अपने पथ पर अग्रसर रहे। महावीर इसलिए बने कि उन्होंने राजकाज छोड़ दिया। वे विकास पुरुष थे। साध्वी श्री नव्यप्रभा ने गीत प्रस्तुत किया।

सभाध्यक्ष सूर्य प्रकाश मेहता ने कहा कि 165 वर्ष पूर्व आचार्य जयाचार्य ने इस महोत्सव का आरंभ किया था। आचार्य तुलसी के कार्यकाल में बहुत विकास हुए इसलिए इसे विकास महोत्सव के नाम से शुरू किया गया।

तेयुप अध्यक्ष विनोद चंडालिया ने कहा कि आध्यात्मिक विकास के बिना बौद्धिक विकास संभव नहीं। इस के अभाव में विनाश अवश्यम्भावी हो जाता है। आचार्य तुलसी का समूची मानव जाति को यह प्रकल्प देय है।
Source :
This Article/News is also avaliable in following categories : Headlines
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like