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आज शुरू होगा वंदे उदयपुर महाभियान -तिरंगा देंगे एक मुट्ठी आटा लेंगे

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12 Aug 18
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आज शुरू होगा वंदे उदयपुर महाभियान -तिरंगा देंगे एक मुट्ठी आटा लेंगे
उदयपुर। सेवा और समरसता के उद्देश्य को लेकर नरेन्द्र मोदी विचार मंच के वंदे उदयपुर महाभियान का आगाज रविवार से होगा। पहले दिन नमो विचार मंच के कार्यकर्ता 51 हजार घरों में पहुंचकर तिरंगे की कृति बांटेंगे और हर घर से एक मुट्ठी आटा एकत्र करेंगे। इस आटे को एकत्र करने के बाद अगले ही दिन 13 अगस्त को संभाग के छह स्थानों पर वनवासी बंधुओं के साथ स्वाधीनता गोठ का आयोजन किया जाएगा। इस स्वाधीनता गोठ में 25 हजार से अधिक आदिवासी बंधुओं को जोडने का लक्ष्य रखा गया है।
नमो विचार मंच के प्रदेशाध्यक्ष प्रवीण रतलिया ने बताया कि यह अभियान पूरे उदयपुर संभाग में एक साथ शुरू होगा। इसके तहत उदयपुर संभाग के सभी छह जिलों की 28 विधानसभा सीटों के 2700 बूथ शामिल किए गए हैं। सुबह 8 बजे से नमो विचार मंच की 700 टीमों के 8500 कार्यकर्ता 25 सेंटीमीटर के आकार के लकड़ी से बनाए गए तिरंगे की कृति का वितरण 51 हजार घरों में करेंगी। उन घरों से एक मुट्ठी आटा लिया जाएगा और घर के बाहर वंदेमातरम् का स्टीकर चिपकाया जाएगा। दो घंटों में 51 हजार घरों तक तिरंगा पहुंचाने की इस मुहिम से एक नया विश्व कीर्तिमान स्थापित होगा। गौरतलब है कि इस तिरंगे की कृति का विमोचन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली में किया था।
दूसरे दिन 13 अगस्त को एकत्र आटे से छह स्थानों पर स्वाधीनता गोठ का आयोजन किया जाएगा जिसमें नमो कार्यकर्ता वनवासी बंधुओं के साथ भोजन करेंगे और चरण कमल अभियान के तहत आदिवासी को चप्पल.जूते पहनाए जाएंगे। यह आयोजन उदयपुर के कोटड़ा राजसमंद के खमनोर डूंगरपुर के देवलए बांसवाड़ा के जौलाना चित्तौडगढ़ के डूंगला और प्रतापगढ़ के धरियावद में होंगे।
तीसरे दिन 14 अगस्त को पिण्डवाड़ा हाईवे पर स्थित बीएसएफ कैम्पस में सैन्य जवानों के साथ शहीदों की याद में एक शाम शहीदों के नाम गोष्ठी का आयोजन होगा। इसमें राष्ट्रभक्ति गीतोंए कविताओं की प्रस्तुति के साथ सम्मान समर्पण आयोजन भी होगा।
मुहिम का चौथा दिन स्वाधीनता दिवस का होगा। इसके तहत वितरित किए गए लकड़ी के तिरंगे की कृति को सुबह 9.30 बजे सभी 51 हजार परिवार घरों में सजाएंगे। यह भी एक नया विश्व कीर्तिमान होगा।
रतलिया ने बताया कि यह पहला मौका होगा जब स्वाधीनता दिवस पर घरों में इस तरह से राष्ट्रध्वज सजाने उसके प्रति समर्पण भाव प्रकट करने और एक मुट्ठी आटे को एकत्र कर आदिवासी बंधुओं के साथ स्वाधीनता गोठ करने का प्रयास होगा।

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