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भीलवाड़ा के 56 वर्षीय रोगी की दुर्लभ जन्मजात बीमारी ब्रांकोजेनिक सिस्ट का हुआ सफल इलाज

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03 May 22
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भीलवाड़ा के 56 वर्षीय रोगी की दुर्लभ जन्मजात बीमारी ब्रांकोजेनिक सिस्ट का हुआ सफल इलाज

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल सर्व सुविधाओं से युक्त मल्टी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल है| जिसका लाभ यहां आने वाले रोगियों को समय-समय पर मिलता रहता है|

अभी हाल ही में  भीलवाड़ा निवासी  56 वर्षीय रोगी  लगभग 10 दिनों से खांसी, बलगम, सीने में दर्द, श्वास में तकलीफ होने के कारण गीतांजली हॉस्पिटल, उदयपुर आया| रोगी की जांच एक्स-रे आदि का परीक्षण कर टी.बी व श्वसन रोग विभाग के एच.ओ.डी  डॉ एस.के लुहाडिया व उनकी टीम ने पाया कि रोगी के ब्रांकोजेनिक सिस्ट की संभावना हो सकती है जिस कारण रोगी की छाती का सिटी स्कैन करवाया जिसमें जन्मजात बीमारी ब्रांकोजेनिक सिस्ट की पुष्टि हुई| इस जटिल बीमारी का पता लगाकर सफल निदान करने वाली टीम में श्वसन रोग विभाग की टीम  डॉ एस. के. लुहाडिया, डॉ अतुल लुहाडिया, डॉ मोनिका बंसल, डॉ दिवाक्ष ओझा, कार्डियोथोरेसिक सर्जन डॉ संजय गांधी, गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ मनीष दोडमानी शामिल हैं|

ब्रांकोजेनिक सिस्ट अत्यंत दुर्लभ बीमारी है,इसका इलाज सर्जरी द्वारा ही संभव है, कार्डियोथोरेसिक सर्जन डॉ संजय गांधी को यह केस रेफर किया गया जिन्होंने सफलता पूर्वक इस ब्रांकोजेनिक सिस्ट को ऑपरेशन करके बाहर निकाल दिया lअब रोगी पूरी तरह स्वस्थ है और अपनी दिनचर्या का निर्वहन कर रहा है|

डॉ एस.के. लुहाडिया ने बताया कि  ब्रांकोजेनिक सिस्ट एक जन्मजात दुर्लभ बीमारी है जिसमें दोनों फेफड़ों के बीच में (मीडीएसटाइनम) या फेफड़ों के हाइलम में गांठ बन जाती है और उसमें बाद में संक्रमण होकर यह गांठ बढ़ने लगती है जिससे श्वास नली पर दबाव बनने से खांसी एवं श्वास में तकलीफ होने लगती है| यदि इसका समय पर ऑपरेशन ना किया जाए तो यह गाँठ फट सकती है जिससे रोगी की जान को खतरा हो सकता है|

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में पिछले सतत् 15 वर्षों से एक ही छत के नीचे सभी अत्याधुनिक सुविधाएँ हैं यहाँ मल्टीडिसिप्लिनरी अप्प्रोच के साथ टीम वर्क किया जाता है जिस कारण आने वाले रोगियों के जटिल से जटिल इलाज निरंतर रूप से किये जा रहे हैं| गीतांजली हॉस्पिटल में कार्यरत डॉक्टर्स व स्टाफ गीतांजली हॉस्पिटल में आने वाले प्रत्येक रोगी के इलाज हेतु सदेव तत्पर है|


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