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मत्स्य विकास अधिकारी के पदों पर चयन मे सर्वाधिक एमपीयूएटी से

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26 Sep 23
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मत्स्य विकास अधिकारी के पदों पर चयन मे सर्वाधिक एमपीयूएटी से

हाल ही में आर पी एस सी  द्वारा मत्स्य विकास अधिकारी (एफ डी ओ) एवं सहायक मत्स्य विकास अधिकारी(ए एफ डी ओ) के पदों पर महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सर्वाधिक विद्यार्थियों का चयन हुआ है । यह जानकारी देते हुए मात्स्यकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. बी. के. शर्मा ने बताया कि 20 से 22 सितंबर को राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा मत्स्य विकास अधिकारी के 6 पदों एवं सहायक मत्स्य विकास अधिकारी के 10 पदों पर साक्षात्कार आयोजित किए गए थे जिसमें महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रोध्योगिकी विश्वविद्यालय के मात्स्यकी  महाविद्यालय के 4 विद्यार्थियों का चयन एफडीओ के पदों पर एवं 8 विद्यार्थियों का चयन एएफडीओ के पदों पर हुआ है विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजीत कुमार कर्नाटक ने चयनित विद्यार्थियों को एवं मत्स्यकी महाविद्यालय की संपूर्ण फैकल्टी को इस उपलब्धि पर बधाई दी है। उन्होंने कहा कि इन पदों पर भर्ती से राज्य के मत्स्यकी विकास को नई ऊर्जा एवं गति मिलेगी। इस प्रकार राजस्थान सरकार के मत्स्य विभाग में विभिन्न पदों पर एमपीयुएटी के योग्य मत्स्यकी स्नातकों की सेवाओं का लाभ विभाग को मिलेगा । इन भर्तियों के द्वारा एफडीओ के पद पर एमपीयुएटी के पूर्व छात्र क्रमशः जय प्रकाश यादव, डॉ चेतन कुमार गर्ग, डॉ महेश चंद सोनवाल एवं डॉ.लखन लाल मीना का चयन हुआ है और एएफडीओ  के पद पर रवि कुमार पटेल, चेतन कुमार गर्ग, विकास चाहर, शुभम् वार्ष्णेय, डॉ. राजपाल यादव, प्रवीण कुमार, नितिन शर्मा व मेघ चंद मीना का चयन हुआ है। 

महाविद्यालय के पूर्व अधिष्ठाता डॉ. एल.एल. शर्मा ने बताया कि वर्ष 2015-16 के बाद मत्स्य विभाग में अधिकारियों के 16 पदों पर भर्ती हुई है जो कि हर्ष का विषय है। हालांकि विगत 2019 से इन पदों पर भर्ती प्रक्रिया चल रही थी। उन्होंने बताया कि अभी भी मत्स्य विभाग में अनेक पद रिक्त हैं, विशेष तौर पर फिशरीज इंस्पेक्टर के तो 35 पद खाली हैं जिससे फील्ड स्तर पर राजस्थान सरकार एवं भारत सरकार की विभिन्न मत्स्य विकास परियोजनाओं एवं मछली पालन के विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन सुचारू रूप से नहीं हो पा रहा है। यदि इन पदों पर भी शीघ्र ही भर्ती होती है तो अवश्य ही राज्य के मत्स्यकी विकास को नई गति मिलेगी। तेजी से बढ़ते इस क्षेत्र में रोजगार भी बढ़ेगा, इससे दक्षिणी राजस्थान के जनजाति बाहुल्य क्षेत्र के मछुआरों को विशेष लाभ मिलेगा।


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