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चिकत्सीय रेशो में मजबूती, लचीलापन और वायु पारगम्यता आवश्यक है - डॉ नरेंद्र सिंह राठौड़

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14 Jul 21
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चिकत्सीय रेशो में मजबूती, लचीलापन और वायु पारगम्यता आवश्यक है - डॉ नरेंद्र सिंह राठौड़

वस्त्र एवं परिधान अभिकल्पन विभाग, सामुदायिक एवं व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय , महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के द्वारा आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार " चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में वुंड ड्रेसिंग में टेक्सटाइल रेशे की उपयोगिता के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए माननीय कुलपति प्रो. नरेंद्र सिंह जी राठौड़ महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने कहा कि चिकित्सा विज्ञान के सत्र में वस्त्र विज्ञान महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, इनके चयन में विशेष ध्यान देने आवश्यकता हैं । वस्त्र तंतुओ का उपयोग न सिर्फ घाव के टांके लगाने तथा अलग- अलग तरह की बेंडेज के रूप में सिमित न रहकर इसने एक विस्तृत क्षेत्र को कवर किया हैं जिसमे शरीर में लगाए जाने वाले विभिन्न कृत्रिम अंगो तथा हड्डियों को जोड़ने के लिए लगाए जाने वाले इंप्लांट में भी इनका उपयोग हैं ।

विषय विशेषज्ञ डॉ. एस.कुबेर सम्पत, टेक्सटाइल टेक्नॉलिजिस , गुंटूर , आंध्रप्रदेश ने चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में उपयोग में लिए जाने वाले चिकत्सीय वस्त्रो की विस्तृत जानकारी प्रदान की । उन्होंने यह बताया कि घाव कि ड्रेसिंग कि जा सकती हैं । नेनो रेशे का चिकित्सा क्षेत्र में प्रयोग कि भी विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि इस क्षेत्र में प्रयोग किये जाने वाले रेशे वायरस , बेक्टेरिया और अन्य सूक्ष्म जीवो से प्रभावित नहीं होने चाहिए। विभिन्न सामग्रियों सोडियम एविग्नेट, चीटोसन, आयोडीन पर आधारित बायोएक्टिव ड्रेसिंग भी प्रचलन में हैं ।

आतिथियो का स्वागत उद्बोधन देते हुए डॉ. मीनू श्रीवास्तव , अधिष्ठाता ,सामुदायिक एवं व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय ने बताया कि पारम्परिक रूप में उपयोगी वस्त्र रेशे अपनी कार्यात्मक उपयोगिता के फलस्वरूप अन्य तकनीकी क्षेत्रों में अधिक उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं । मेडिकल टेक्सटाइल का एक अभिन्न अंग हैं । चिकित्सा वस्त्र एक चिकित्सा अनुप्रयोग के लिए डिज़ाइन और पूर्ण कि गयी सरंचनाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं  । इनके उपयोग कि संख्या विविध हैं , एक धागे के सिवान से  लेकर हड्डी कि प्रतिस्थापन के लिए जटिल मिश्रित सरंचनाओं तक हैं । उन्होंने आएगी बताया कि वस्त्रो को सफाई से लेकर ऑपरेटिंग रम में उपयोग किये जाने वाले बेरियर वस्त्र तक चिकत्सीय वस्त्र विज्ञान का क्षेत्र हैं ।

राष्ट्रीय संघोष्ठी में डॉ. शांति कुमार शर्मा , निदेशक , अनुसंधान, डॉ. अजय कुमार शर्मा पी. आई. आईडीपी , डॉ. अरुणाभ जोशी कि सक्रीय भागीदारी रही ।

आयोजन सचिव डॉ. सुधा बेबल ने बताया कि मेडिकल टेक्सटाइलस टेक्निकल टेक्सटाइल की सबसे महत्वपूर्ण शाखाओ में से एक हैं । चिकित्सा वस्त्रो का उपयोग प्राथमिक चिकित्सा , नैदानिक या स्वास्थ्यकर उद्देश्यों और पुनर्वास के लिए किया जाता हैं साथ ही संक्रमण रोकने और नियंत्रण के लिए चिकित्सा वस्त्र महत्वपूर्ण हैं ।

इस संघोष्ठी में 175 प्रतिभागियों ने देश के विभिन्न क्षेत्रों से भाग लिया । इस संघोष्ठी के सह संयोजक डॉ. सोनू मेहता तथा श्रीमती मिनाक्षी मिश्रा का महत्वपूर्ण सहयोग रहा। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सोनू मेहता द्वारा किया गया। धन्यवाद डॉ. सुधा बाबेल द्वारा दिया गया ।


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