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आइसीआर रैंकिंग मे एमपीयूएटी को मिला राज्य में पहला स्थान

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04 Dec 20
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आइसीआर रैंकिंग मे एमपीयूएटी को मिला राज्य में पहला स्थान

उदयपुर | भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् द्वारा भारत में कुल 75 कृषि विश्वविद्यालयों, पशु चिकित्सा विश्वविद्यालयों एवं राष्ट्रीय स्तर के केंद्रीय कृषि संस्थानों की हाल ही में जारी की गई राष्ट्रीय स्तर की वरीयता सूची में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय को 21वॉं स्थान प्राप्त हुआ है। साथ ही उल्लेखनीय है कि प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों, पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय एवं राष्ट्रीय स्तर के कृषि संस्थानों में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है।
एमपीयूएटी के माननीय कुलपति ड़ा.ॅ नरेंद्र सिंह राठौड़ ने विश्वविद्यालय की इस बड़ी उपलब्धि पर सभी इकाइयों में सेवारत वैज्ञानिकों, शिक्षकों, प्रशासनिक अधिकारियों, शैक्षणेत्तर कर्मचारियां एवं विद्यार्थियों को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि आई.सी.ए.आर. द्वारा प्रदत्त यह प्रतिष्ठित रेंकिंग अनेक पैमानों के आधार पर तैयार की जाती है और विश्वविद्यालय इन कडे़ पैमानों पर खरा उतरा है, यह हम सभी के लिए हर्ष का विषय है। इससे हमारी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनेगी और अनेक राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय शोध परियोजनाओं की स्वीकृति और आई.सी.ए.आर. से मिलने वाली आर्थिक सहायता में एमपीयूएटी को प्राथमिकता मिलेगी। उन्होने कहा कि इससे राष्ट्रीय स्तर पर अनेक प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को हमारे विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने एवं अध्ययन की प्रेरणा मिलेगी। माननीय कुलपति ने विश्वविद्यालय की फैकल्टी से आव्हान किया कि इस अकादमिक सत्र में एमपीयूएटी का नाम देश के शीर्ष दस विश्वविद्यालयों लाने का प्रयास करें।
विश्वविद्यालय के विशेषाधिकारी डा. वीरेंद्र नेपालिया एवं नोड़ल अधिकारी ड़ॉ. अजय शर्मा, डीन सीटीऐई ने बताया कि विगत एक वर्ष में विश्वविद्यालय में शिक्षा, अनुसंधान एवं प्रसार शिक्षा मे किये गऐ प्रसंशनीय कार्यों के साथ ही अन्य राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थाओं के साथ अनुबंधोंश् उत्कृष्ठ शोध प्रकाशनों के आधार पर यह रेंकिंग प्रदान की गई है। इसमें कृषि, अभियांत्रिकी, मात्स्यकी एवं सामुदाय विज्ञान और डेयरी व खाद्य प्रौद्यौगिकी में राष्ट्रीय अध्येतावृŸा में विद्यार्थियों के चयन, उŸाम शोध प्रबंध, विद्यार्थियों के राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान सेवाओं में चयन, राष्ट्रीय पुरस्कार, संकाय सदस्यों की उच्च शिक्षा, पुस्तकालय एवं सूचना प्रौद्योगिकी की समृद्धता एवं विद्यार्थियों के उच्च सेवाओं में चयन को आधार बनाया जाता है। इसी प्रकार शोध-पत्रों की गुणवŸा, पेटेंट, नवीन प्रजातियों की खोज, विश्वविद्यालय द्वारा प्रजनक बीजों का उत्पादन एवं उŸाम श्रेणी की शोध परियोजनाओं की अनुसंधान गुणवŸा को मानक बनाया जाता है। एमपीयूएटी द्वारा इस आंकलन के दौरान कृषि तकनीकों के प्रसार, संभाग में कृषि के विकास में योगदान, कृषि विज्ञान केन्द्रों एवं इनसे जुड़े कृषकों को मिले राष्ट्र स्तरीय पुरस्कारों के आधार पर एवं विश्वविद्यालय द्वारा तकनीकों के व्यवसायीकरण एवं साधनों के विकास में उल्लेखनीय योगदान दिया है जिसे रेंकिंग मे मुख्य आधार बनाया जाता है।

एमपीयूएटी की कुलसचिव श्रीमती कविता पाठक ने बताया कि इस आंकलन के दौरान विश्वविद्यालय ने कोविड़-19 के कठिन समय का सामना किया है। लॉकडाउन के दौरान भी एमपीयूएटी की फैकल्टी ने प्रसंशनीय अकादमिक योगदान दिया है। सभी शिक्षकों एवं कर्मचारियों ने अपना कार्य पूरी लगन से किया है। इस दौरान हमारे शिक्षकों ने 9290 ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से पाठ्यक्रम पूरा किया है। साथ ही 138 ई कॉम्पेन्डियम एवं इ मैनुएल की ऑनलाइन सामग्री तैयार कर विद्यार्थियों तक पहुंचाई है। कोविड-19 के विपदा काल में हमारे वैज्ञानिकों ने 38 से अधिक वेबीनार व प्रशिक्षण का आयोजन किया  जिसमें माननीय राज्यपाल महोदय सहित यूजीसी प्रमुख भूतपूर्व डेरी सचिव पूर्व महानिदेशक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद वह अनेक प्रमुख शिक्षाविदों ने भाग लिया। हमारे कृषि वैज्ञानिकों ने रबी फसलों से 3371.5 क्विंटल बीज, पोल्ट्री व मत्स्य बीज, जैविक खाद और मशरूम का उत्पादन भी किया है। हमारे विश्वविद्यालय का प्रसार  शिक्षा निदेशालय विभिन्न जिलों में अपने कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य कर रहा है। हाल ही में हमारे चित्तौड़गढ़ कृषि विज्ञान केंद्र से संबंध कृषक श्री जगदीश प्रजापत को आईसीएआर द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर जगजीवन राम अभिनव पुरस्कार से सम्मानित किया जाना हमारे लिए गर्व की बात है। उन्होंने बताया कि एमपीयूएटी द्वारा 79  रोजगार परक व्यावसायिक शिक्षा के पाठ्यक्रम शुरू किए जा रहे हैं जो की राज्य के इस कृषि विश्वविद्यालय द्वारा किया जाने वाला एक अभिनव प्रयास है।


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