पेसिफिक विश्वविद्यालय, उदयपुर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-२०२० की वैज्ञानिक और सामाजिक - आर्थिक भूमिका पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार के आयोजन का शुभारम्भ २७ अक्टूम्बर, २०२० को हुआ। जिसमें देशभर से १०० से ज्यादा प्रतिभागियों ने भाग लिया।
इसके उद्धाटन समारोह में प्रो. हेमन्त कोठारी, अधिष्ठाता, पी.जी. स्टडीज ने अपने स्वागत उद्बोधन में इस नई शिक्षा नीति के दूरगामी परिणामों, भारत के आधुनिक सर्वांगीण विकास परिपेक्ष्य और प्रस्तावित उच्च शिक्षा और तकनिकि शिक्षा के विकास के बिन्दुओं पर प्रकाश डाला। इसके साथ प्रो. कोठारी ने सभी छः मुख्य प्रवक्ताओं का अभिन्नदन विश्वविद्यालय की तरफ से किया। इस समारोह में प्रो. सुरेश आमेटा, प्रोफेसर, रसायन विज्ञान और प्रो. रामेश्वर आमेटा, अधिष्ठाता, विज्ञान संकाय ने नई शिक्षा नीति में प्रस्तावित विभिन्न १६ बिन्दुओं और कई नई शोध और तकनीकी आयोगों के गठन की स्थापना पर विस्तृत चर्चा कर, इसके भौतिक, वैज्ञानिक और सामाजिक बिन्दुओं के योगदान पर अपन स्पष्ट विचार रखें।
प्रथम दिवस के मुख्य वत्ता के रूप में प्रो. पी.एच. व्यास, कुलपति, एम.एस.जी. बडौदा विश्वविद्यालय ने अपने उद्बोधन में बहुविषयों, नई तकनीकों और खुले लाभकारी दृष्टिकोणों का समावेश करके किस तरह शिक्षार्थी, शोधार्थी और अध्यापक समाज में अपना योगदान कर सकते हैं और इससे वह भारत के विश्वविद्यालयों की रेंकिग अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर बढाने में अपनी सहभागिता बढा सकते हैं।
इन्होने अपने विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों को नई शिक्षा नीति के अनुरूप परिवर्तित करने की मंशा व्यक्त की।
प्रो. के.सी. अग्निहोत्री, कुलपति, केन्द्रीय विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश ने अपने उद्बोधन मे नई शिक्षा नीति और इसके ज्ञान सृजन पर प्रकाश डाला। प्रो. अग्निहोत्री ने मातृभाषा में देश की शिक्षा की प्रमुख भागिता तथा इसके ज्ञान, विद्या और इसके उपयोग की सार्थकता पर अपने विचार व्यक्त किये। इन्होने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को केवल मातृभाषा से जोडने और इसके सर्वागीण विकास की आवश्यकता को कई उदाहरणों द्वारा सरल भाषा में रेखांकित किया।
इस सेमिनार के आज के अन्तिम चरण में प्रो. एच. डी. चारण, कुलपति, बीकानेर तकनीकि विश्वविद्यालय, बीकानेर ने अपने विचार प्रस्तुत किये। प्रो. चारण ने भारत को एक सुपर ग्लोबल ज्ञान केन्द्र बनाने के लिए नई शिक्षा नीति में अमूलचूल परिवर्तन करने पर ध्यान केन्दि्रत किया। उन्होने कहा कि समाज को बदलने के लिए शिक्षा नीति में परिवर्तन करने का मुख्य उद्ेश्य एक अच्छे मानव का निर्माण करना है। उन्होने शिक्षानीति में विभिन्न प्रयोगों का सामाजिक, आर्थिक एवं वैज्ञानिक मूल्यांकन करके मन और विश्वास के विकास की बात कहीं। जिसकी सार्थकता नई शिक्षा नीति से ही संभव हैं। इस सेमिनार के कार्यक्रम का संचालन प्रो. बी.एम. व्यास, भौतिक शास्त्र विभाग, ने करते हुए नई शिक्षा नीति की वर्तमान परिपेक्ष्य में भारत के सम्पूर्ण आधुनिक विकास में योगदान की आवश्यकता पर अपने विचार व्यक्त किये। इसके साथ ही विद्वान महानुभावों का स्वागत और आभार व्यक्त किया।