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मात्स्यकी महाविद्यालय में आॅनलाइन मनाया पृथ्वी दिवस

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22 Apr 20
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मात्स्यकी महाविद्यालय में आॅनलाइन मनाया पृथ्वी दिवस

उदयपुर  मात्स्यकी महाविद्यालय (एमपीयूएटी) में 50वें पृथ्वी दिवस का आयोजन आॅनलाइन किया गया उल्लेखनीय है कि हर वर्ष 22 अप्रैल को दुनिया भर में पर्यावरण संरक्षण हेतु समर्थन प्रदर्शित करने के लिए आयोजित किया जाता है। सन् 1970 से प्रारम्भ हुए इस दिवस को आज पूरी दुनिया के 195 से अधिक देशों के 1 अरब से अधिक लोग मनाते हैं। वर्ष 2020 में इसके 50 वर्ष पूरे हो चुके हैं।
इस अवसर पर विशेष व्याख्यान देते हुए मात्स्यकी महाविद्यालय के पूर्व अधिष्ठाता एंव प्रख्यात पर्यावरण विद् प्रो. एल.एल. शर्मा ने पृथ्वी दिवस के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि पृथ्वी दिवस की स्थापना अमेरिकी सीनेटर गेलोर्ड नेल्सन  ने सन् 1970 मे पर्यावरण शिक्षा के रूप की थी. इन्हें फादर ऑफ अर्थ डे भी कहा जाता है।
सर्व प्रथम अमेरिका से प्रारम्भ हुए इस संरक्षण व जागरूकता आंदोलन के साथ अनेक पर्यावरण-प्रेमी, प्रबुद्ध समाज, स्वैच्छिक संगठनय समुद्र में तेल फैलने की घटनाओं को रोकने, नदियों में फैक्ट्री का गन्दा पानी डालने वाली कंपनियों को रोकने के लिए, जहरीला कूड़ा इधर उधर फेकने की प्रथा पर रोक लगाने के लिए और जंगलों को काटने वाली आर्थिक गतिविधियों को रोकने के लिए आज भी लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं।
इस वर्ष पृथ्वी दिवस 2020 की थीम क्लाइमेट एक्शन रखी गयी है। आज पेड़ काटना, नदियों, तालाबों को गंदा करना हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बना हुआ है। इसके पीछे मानव की शोषण धारित प्रवृत्ति मुख्य वजह है। आज आम आदमी पर्यावरण जैसे मुद्दों के प्रति जागरूक नहीं है। वन और पर्यावरण सुरक्षा कानून भी प्रभावशाली तरिके से लागू नही हो पाते है। उन्होने कहा कि जिस दिन हम इस पृथ्वी को आने वाली पीढ़ियों के लिए रहने लायक दुबारा बना देंगे उसी दिन दुनिया सही मायने में अर्थ डे या पृथ्वी दिवस मनाएगें। प्रो. शर्मा ने बताया कि आज पूरी दुनिया काॅरोनो महामारी से इस कदर ग्रस्त है कि हमारी पूरी अर्थव्यवस्था यहाॅ तक की पूरी मानव सभ्यता संकट मे है जिसका मूल कारण प्रकृति के साथ अवांछित छेड़-छाड़ है हाॅलाकि इसके कई सकारात्मक प्रभाव भी देखे जा सकते है जैसे महानगरों मे एयर क्वालिटी इन्डेक्स अप्रत्याशित रूप से कम हुई है अनेक जंगली व दुर्लभ पशु पक्षी नगरीय क्षैत्रो व आसपास के जलस्त्रोतों में विचरण करने लगे। आज स्वच्छ शहरी पर्यावरण व प्रकृति का नैर्सिर्गक स्वरूप स्पष्ट देखा जा सकता है। इस अवसर पर कोटा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. मधुसूदन शर्मा ने इस पृथ्वी दिवस पर प्रकृति के पंच तत्वों मे जल को श्रेष्ठ बताते हुए इसके संरक्षण का संकल्प लेने की आवश्यकता पर बल दिया।
आॅनलाइन मीटिंग का शुभारम्भ करते हुए मात्स्यकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डाॅ. सुबोध शर्मा ने काॅरोना महामारी के दौरान पृथ्वी दिवस के आयोजन की सार्थकता बताते हुए कहा कि जो काम मानव नही कर सका वो कार्य प्रकृति ने हमें लाॅकडाउन के दौरान सिखा दिया है। अब जरूरत है कि हम सभी संकल्प के साथ पृथ्वी माता एंव प्रकृति के नैसर्गिक रूप को सुधारने की दिशा में सम्मिलित रूप से कदम बढ़ाये। इस आॅनलाइन संगोष्ठी में महाविद्यालय के वरिष्ठ फैकल्टी डाॅ. बी.के. शर्मा, डाॅ. शाहिदा जयपुरी सहित देश के दूरदराज मंे स्थित पूर्व छात्रों अन्यत्र सस्थानों की फैकल्टी डाॅ. वरूण मिश्रा, डाॅ. उदयराम व महाविद्यालय के अनेक छात्र छात्राओं ने भाग लिया।


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