उदयपुर । हुमड़ भवन में 1008 श्री शीतलनाथ भगवान के मोक्ष कल्याणक दिवस के अवसर पर सैँकड़ों श्रावकों की उपस्थिति में भगवान श्री शीतलनाथ को 10 किलो का निर्वाण लड्डू चढाया गया।
इस पावन अवर पर मुनिश्री धर्मभूषणजी ने कहा कि जिस प्रकार धनुषबाण रहित होकर शत्रु पर विजय प्राप्त करता है उसी प्रकार भगवान भी कर्मरूपी बाण से रहित होकर निर्वाण को प्राप्त कराता है। निर्वाण हो का तात्पर्य है कर्मों का नाश हो जाना। कर्मों से रहित होकर जीव मोक्ष को प्राप्त करते हैं। मोह का नाश हो जाना ही मोक्ष है। जिन्होंने मोह को जीत लिया उन्होंने संसार को जीत लिया, जन्म मरण को जीत लिया। मोह सब दुखों का कारण है। मोह से ही संसार की रचना होती है, सृष्टि की रचना होती है। जन्म मरण का चक्र चलता है और मोह का नाश होते ही संसार चक्र समाप्त हो जाता है और संसार भ्रमण का दुख दूर हो जाता है।
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