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पर्यूषण पर्व के पांचवें दिन मनाया उत्तम सत्य धर्म, आज होगा उत्तम संयम धर्म दिवस

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19 Sep 18
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पर्यूषण पर्व के पांचवें दिन मनाया उत्तम सत्य धर्म, आज होगा उत्तम संयम धर्म दिवस उदयपुर । दिगम्बर जैन समाज के तत्वाधान में हुमड भवन में पर्वाधिराज पर्यूषण महा पर्व के अंतर्गत सभी कार्यक्रमो में श्रावक- श्राविकाएं भक्ति लाभ ले रहे हैं। प्रचार प्रसार मंत्री पारस चित्तौड़ा ने बताया कि पर्यूषण पर्व में प्रात: 6.30 बजे से ही भक्तों का आना शुरू हो गया। जिनेंद्र अभिषेक एवम शांतिधारा में श्रावक- श्राविकाओं ने उपस्थित होकर पुण्य लाभ अर्जित किया। इसके साथ ही संगीतमय नित्यमह पूजन पर्व पूजन सम्पन्न हुई।
धर्मसभा में मुनिश्री धर्मभूषण जी ने सत्य धर्म पर प्रवचन करते हुए कहा कि सत्य ही मनुष्य की शोभा है। झूठ बोलने वाला दुर्गति का पात्र होता है। झूठ बोलने के कारण राजा वसु नरक में गया एवम सत्य बोलने से नारद स्वर्ग में गए। हमें कठिन वचन नहीं बोलना चाहिये। हमेशा हित मित्त एवम प्रिय वचन बोलना चाहिये। दूसरो की निंदा एवं झूठ बोलने से हमेशा बचना चाहिये। कभी भी विश्वासघात नहीं करना चाहिये। सत्यवादी इस जग में हमेशा सुखी रहता है। सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं होता है।
सुरेशचन्द्र पदमावत ने बताया कि मंगलवार को शांतिधारा का सौभाग्य टेकचन्द मुंडलिया को प्राप्त हुआ। पाद प्रक्षालन शान्ति लाल वेलावत ने किया। चारित्र शुद्धि विधान के सोधर्म इन्द्र- इन्द्राणी महावीर मावावत, सोधर्म इन्द्र इन्द्राणि यज्ञ नायक शांती लाल वेलावत एवं धन पति कुबेर भंवर लाल मंजु गदावत थे। शांती धारा की बोली टेक चन्द जी कंचन देवी को प्राप्त हुई। दोपहर में तत्वार्थसूत्र का वाचन हुआ। सायंकाल सामूहिक सामायिक एवम महाआरती सम्पन्न हुई। सौधर्म का सौभाग्य श्रीमहावीर जी मावावत को प्राप्त हुआ। चक्रवर्ती राजा अरूण काला थे।
अध्यक्ष शांतिलाल वेलावत ने बताया कि महोत्सव में 19 सितम्बर को सुगन्ध दशमी पर्व मनाया जायेगा। इस अवसर पर बीसवीं सदी के प्रथमाचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज के जीवन चरित्र पर भी प्रकाश डाला जाएगा। पर्यूषण पर्व के छठे दिन उत्तम संयम धर्म की विशेष पूजन होगी।
कल्याणमल मेहता ने बताया कि धर्मसभा में पूर्व आचार्यश्री सुनीलसागरजी महाराज के सभी पूर्वाचार्यों के चित्र का अनावरण किया गया। उसके बाद शांतिधारा, दीप प्रज्वलन, सुनीलसागाजर महाराज ससंघ की अद्वविली की गई। धर्मसभा में मंगलाचरण दीदी पूजा हण्डावत परिवार ने किया जबकि संचालन बाल ब्रह्मचारी विशाल भैया ने किया।
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