उदयपुर । सकल दिगम्बर जैन समाज के दस दिवसीय पर्यूषण महापर्व के चौथे दिन हूमड भवन में उत्तम शौच धर्म दिवस मनाया। इस अवसर पर आयोजित धर्मसभा में मुनिश्री धर्मभूषणजी महाराज ने कहा- उत्तम शौच हमारे जीवन की पवित्रता है, शुद्धता है। पवित्र मन के बिना कोई भी व्यक्ति अपनी बुरी आदतें नहीं बदल सकता है और ना ही गलत संस्कारों का त्याग सकता है। मन की पवित्रता ही उत्तम शौच हैं। शौच का अर्थ है मन की शुद्धि, पवित्रता की शुद्धि, और निर्मलता उत्तम शौच धर्म की पर्याय है।
आज का व्यक्ति लोभ के कारण दुखी है। लोभ सब पापों का बाप है। लोभी व्यक्ति का कोई मान नहीं होगा और न ही कोई धर्म। लोभी व्यक्ति के मन में न कोई स्थिरता होती है और न ही दढता। जिसने लोभ पर विजय पा ली उसने संसार में सब कुछ पा लिया। लोभ ही हर समस्या की जड है। संसार में सन्तोष से बढ कर कोई धर्म नहीं। जिसके पास सप्तोष है उसका लोभ अपने आप छूट जाएगा। भगवान की पूजन एवं गुरू की भक्ति से पाप पुण्य में परिवर्तित हो जाते हैं। हमारी कि्रयाओंे में पवित्रता होनी चाहिये और हमारे भाव भी पवित्र होने चाहिये। हुमड भवन में पर्यूषण पर्व के सभी कार्यकमों में जन सैलाब उमड रहा है। प्रातः शांतिधारा हुई। विधान की पूजा की गई।
सुरेश पदमावत ने बताया कि नौंवे तीर्थंकर पुष्पदन्त भगवान का मोक्ष कल्याणक दिवस भव्यता के साथ मनाया गया। निर्वाण लड्डु भगवान को समर्पित किया गया। नितनेम पूजा, पुष्पदन्त भगवान क पूजन, पर्यूषण पूजन हुई। दोपहर को मुनिश्री तत्वार्थ सूत्र का वाचन कर रहे हैं।
सकल दिगम्बर जैन समाज अध्यक्ष शांतिलाल वेलावत ने बताया कि मंगलवार को पर्यूषण महापर्व का पांचवां दिन उत्तम सत्य धर्म दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
प्रचार प्रसार मंत्री पारस चित्तौडा ने बताया कि दोपहर २-३० बजे जिन वाणी पूजन एवं तत्वार्थ सूत्र का वाचन हुआ। सायंकाल ६ बजे श्रावक प्रतिक्रमण, ६-३० बजे गुरू भक्ति एवं मंगल आरती हुई। मंजू गदावत ने बताया कि जैन जागति महिला मंच के तत्वावधान में सायं ७ बजे से भव्य भक्ति संध्या हुई। आचार्यश्री द्वारा सामूहिक सामयिक और ध्यान में सैंकडों समामजन उपस्थित होकर पुण्यार्जन कर रहे हैं। सायंकालीन आरती म सकल दिगम्बर जैन समाज के श्रावक- श्राविकाएं शामिल हो रहे हैं। सांस्कतिक कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी को पारीतोषिक वितरित किया जा रहा है।
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