तपोभूमि लालीवाव मठ में कथावाचिका साध्वी जयमाला दीदी वैष्णव ने किया ‘नानी बाई रो मायरो’ कथा का वाचन
तपोभूमि लालीवाव मठ में प्रतिवर्ष के भांति इस वर्ष भी गुरुपूर्णिमा महामहोत्सव के तहत प.पू. महामण्डलेश्वर श्री हरिओमदासजी महाराज के सानिध्य में चली रही कथा में साध्वी जयमाला दीदी वैष्णव ने बताया की मित्रता ही करनी हो तो कृष्ण-सुदामा जैसी ही करनी चाहिए । चक्रवर्ती सम्राट होने के बावजूद श्री कृष्ण ने अपने मित्र सुदामा को भुलाया नहीं । उनकी मित्रता में कहीं भी ऊँंच-नीच का भाव नहीं था और श्री कृष्ण ने सुदामा के साथ अंत तक मित्रता निभाई ।
थाली भर ल्याई रे खीचड़ो
कथा के दौरान जयमाला दीदी ने भजन गायन भी किया । भजनों के बोल थे ‘भक्त के वश में है भगवान’, ‘थाली भर के ल्याई रे खीचड़ो’, ‘ऊपर घी की बाटकी’ और सारे जग का है वो रखवाला, मेरा भोला है सबसे निराला’ । भजनों की धून पर कई श्रद्धालु झूम उठे और नृत्य करने लगे ।
बेटियों को पढ़ाना चाहिए ताकि वह समाज में आगे बढ़े और पिछड़े नहीं
जयमाला दीदी ने भगवान की निःस्वार्थ भक्ति करने की बात कहीं । उन्होंने समाज को व्यासपीठ से सामाजिक व्यवस्था के सुधार के लिए बेटियों की शिक्षा पर जोर देने की बात कही । समाज में बेटियों की अहम भूमिका है । उनका मान, सम्मान और शिक्षा पर हमें ध्यान देना चाहिए ।
परमात्मा का उपकार है, मनुष्य जीवन - जयमाला दीदी
जयमाला दीदी वैष्णव ने कहा कि मनुष्य जीवन परमात्मा द्वारा दिया गया उपकार है । मनुष्य को चाहिए कि वह अपने जीवन को प्रभु के चरणों में अर्पण कर दे । भगवान से मांगों लेकिन सब कुछ पाने की जिद न करों । भगवान वही देता है जो आप के लिए उचित है । सुख-दुख जीवन चक्र का हिस्सा है । सुख में अहंकार नहीं करना व दुख में कभी हताश न होना ही सुखद जीवन का मूल मंत्र है । प्रभु सुमिरन में वह आनन्द समाया है जिसकी अनुभूमित परमात्मा के गुणगान से ही हो सकती है ।
संचालक डॉ. दीपकजी द्विवेदी ने बताया कि पार्थेश्वर महापूजा एवं रुद्राभिषेक पूजन आचार्य श्री ईच्छाशंकरजी पण्डित, श्री समरत मेहता पण्डित, श्री दिनेशजी द्विवेदी पण्डित, श्री घनश्यामजी पण्डित मनासा, श्री घनश्याम जोशी टीम के आचार्यत्व में श्री महेशजी राणा परिवार द्वारा किया गया । लालीवाव मठ शिष्यों ने विधिविधान के साथ पार्थिव शिवलिंग से चन्द्र यंत्र बनाकर उनका पूजन किया । कथा के पारम्भ में माल्यार्पण, गोपालसिंह, सुभाष अग्रवाल, सुखलाल सोलंकी, ईश्वरीदेवी वैष्णव, डॉ. विश्वास, हर्ष राठौड़, लालीबाई आदि लालीवाव मठ भक्तों द्वारा किया गया ।
इसके पश्चात् व्यासपीठ एवं पार्थिव शिवजी की ओम जय शिव ओमकारा आरती उतारी गई । उसके पश्चात प्रसाद वितरण किया गया । संचालन डॉ. दीपक द्विवेदी द्वारा किया गया ।
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