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“वैदिक एवं आंग्ल शिक्षा का केंद्र तपोवन विद्या निकेतन”

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23 Jul 18
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“वैदिक एवं आंग्ल शिक्षा का केंद्र तपोवन विद्या निकेतन” वैदिक साधन आश्रम तपावेन, देहरादून की अनेक कार्यों में से एक महत्वपूर्ण कार्य एक आर्य शिक्षण संस्था ‘तपोवन विद्या निकेतन’ का संचालन है। यह संस्था 35 वर्ष पूर्व सन् 1983 में स्थापित की गई थी जिसके पहले प्रबन्ध श्री देवेन्द्र रहनुवाल थे। अब श्री रहनुवाल दिवंगत हो गये हैं। हमारा सौभाग्य है कि सन् 1968-1970 में जब हम श्री गुरुनानक बालक इंटर कालेज, देहरादून में पढ़ते थे तो श्री रेहनुवाल जी हमारे अंग्रेजी के अध्यापक थे। आप का पढ़ाने का ढंग बहुत प्रभावशाली था। आप विषय तो पढ़ाते ही थे साथ में बच्चों को आर्य हिन्दू पूर्वजों को इतिहास की गौरवपूर्ण बातें भी बताते थे। विषयान्तर होकर नई-नई बातों को जानना हमें अच्छा लगता था। वहां से आप देहरादून के डी.ए.वी. स्नात्कोत्तर महाविद्यालय में नियुक्त हो गये थे। डा. वेदप्रकाश गुप्त देहरादून में आर्यसमाज के प्रमुख व्यक्तियों में से हैं। उन्होंने देहरादून में ‘मानव कल्याण केन्द्र’ एवं ‘द्रोणस्थली कन्या गुरुकुल’ की स्थापना की है। दोनो संस्थायें अच्छा कार्य कर रही हैं। समाज सेवा में अग्रणीय श्री देवेन्द्र रेहनुवाल, श्री गुरुनारायण दुबे और श्री चमनलाल रामपाल आर्य उनके निकट सहयोगी थी। अपने स्थापना काल से ‘तपोवन विद्या निकेतन’ निरन्तर प्रगति की ओर अग्रसर है। श्रीमती उषा नेगी जी इस विद्यालय की प्राचार्या हैं जिनका निर्धन बच्चों को शिक्षित करने का स्वभाव, रूचि व पैसेन है। हमें लगता है कि विद्यालय की उन्नति के अनेक कारणों में मुख्य कारण प्रधानाचार्य महोदया जी का शिक्षा के प्रति भावनात्मक लगाव वा योगदान है। अन्य सभी शिक्षिकायें एवं विद्यालय के मैनेजर आदि भी समर्पित भाव से कार्य कर रहे हैं। विद्या को सरकारी मान्यता नहीं है अतः हम अनुमान लगा सकते हैं कि कम वेतन में ही सब लोग कार्य कर रहे हैं। बच्चों में जो योग्यता व संस्कार उत्पन्न किये जा रहे हैं वह किसी सरकारी व निजी स्कूल से कहीं अधिक प्रशंसनीय व सराहनीय है। यह भी बता दें कि हमारे इस स्कूल में नर्सरी, एल.के.जी, यू,के,जी सहित कक्षा 1 से कक्षा 8 अर्थात् जूनियर हाई स्कूल तक की शिक्षा दी जाती है। स्कूल में बालक बालिकायें दोनो साथ साथ पढ़ते हैं।

‘तपोवन विद्या निकेतन, नालापानी, देहरादून’ वैदिक साधन आश्रम के साथ सटा हुआ है। विद्यालय का अपना दो मंजिला भवन है, खुला प्रांगण भी है। विद्यालय के द्वार के सामने से लोकल बसे चलती हैं। विद्यालय और तपोवन आश्रम नालापानी ग्राम में खलंगा रोड पर हैं। यहां से कुछ किमी. की दूरी पर ही खलंगा में एक पुराना किला है। बतातें हैं कि यहां पर देश की आजादी से पूर्व नेपाल और अंग्रेज सेनाओं के बीच बन्दूकों एवं तोपों से युद्ध हुआ था। इस युद्ध के अवशेष अब भी वहां विद्यमान है। कुछ लोग वन-विहार अर्थात् पिकनिक की दृष्टि से भी उस स्थान पर जाते हैं। यदि खलंगा जाना हो तो अपने दो पहिया या चार पहिया वाहन का ही प्रयोग करना पड़ता है। खंलगा जाने के लिए अभी सरकारी बस सेवा नहीं है। विद्यालय में वर्तमान में कुल 397 बच्चे अध्ययनरत हैं। सबसे अधिक बच्चे कक्षा 7 व 8 में हैं। इन दोनों कक्षाओं में 38-38 बच्चे हैं। कक्षा 5 व 6 में 36-36 बच्चे हैं। आश्रम के पदेन प्रधान ही विद्यालय के भी प्रधान होते हैं। आर्यजगत के विख्यात ऋषिभक्त, यज्ञ प्रेमी, दैनिक यज्ञ करने वाले, मुक्त हस्त से आर्य संस्थाओं को दान देने वाले तथा आर्य विद्वानों को प्रति वर्ष अनेक पुरुस्कार देने वाले यशस्वी श्री दर्शन कुमार अग्निहोत्री वर्तमान समय में आश्रम व विद्यालय के प्रधान हैं। प्रत्येक कक्षा के विद्यार्थियों को वार्षिक परीक्षा में प्रथम, द्वितीय व तृतीय आने पर क्रमश 125, 100 तथा 75 रूपये की मासिक छात्रवृत्ति प्रधान जी द्वारा प्रदान की जाती है। सभी बच्चों को वर्ष के पूरे बारह महीने की छात्रवृत्ति दी जाती है। इन छात्रवृत्तियों को आश्रम के ग्रीष्मोत्सव में पधारे सभी ऋषि भक्तों के सामने दिया जाता है। आश्रम में जो ऋषि भक्त आते हैं उनमें कुछ बच्चों की प्रतिभाओं को देखकर बच्चों को अपनी ओर से भी छात्रवृत्तियां देते हैं। आर्यसमाज के विद्वान वक्ता एवं प्रचारक श्री उमेश चन्द्र कुलश्रेष्ठ जी, आगरा भी कुछ बच्चों को छात्रवृत्ति वा वार्षिक दान देते हैं। आश्रम की मैनेजमेंट कमेटी की ओर से सभी अध्यापिकाओं को वर्ष में एक बार ड्रेस एलाउन्स के रूप में दो हजार रुपये दिये जाते हैं।

आश्रम के मंत्री श्री प्रेमप्रकाश शर्मा जी से हमने संस्था का उद्देश्य पूछा। उन्होंने बताया कि ‘बालक बालिकाओं को युग की आवश्यकता के अनुसार शिक्षित करते हुए उनमें प्राचीन वैदिक संस्कृति के प्रति अनुराग पैदा करना है।’ यह उद्देश्य को हम विद्यालय में पूरा होते हुए देख रहे हैं। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हमें आश्रम के शरदुत्सव में बच्चों के वार्षिक उत्सव की प्रस्तुतियों को देखकर मिलता है। आश्रम के अक्टूबर मास में होने वाले प्रत्येक शरदुत्सव में तपोवन विद्या निकेतन का स्थापना दिवस समारोह पूर्वक मनाया जाता है। अन्य महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में यहां आचार्य आशीष दर्शनाचार्य जी के नेतृत्व में युवा सम्मेलन होता है, महिला सम्मेलन का आयोजन भी किया जाता है, संगीत सम्मेलन होता है, वेद पारायण यज्ञ होता है व अन्य अनेक प्रभावशाली कार्यक्रम होते हैं परन्तु विद्यालय का स्थापना दिवस उत्सव बहुत आकर्षक एवं प्रभावशाली होता है। बच्चों से आर्यसमाज के इतिहास, नियम, सिद्धान्तों व ऋषि दयानन्द के जीवन से जुड़े प्रश्न किये जाते हैं जिनका सभी बच्चे सही सही उत्तर देते हैं। आर्य महापुरुषों के जीवन पर संक्षिप्त नाटिकायें तैयार कर विद्यालय के बच्चों द्वारा प्रस्तुत की जाती हैं। यही सभी आयोजन यहां देश भर से आये हुए ऋषिभक्तों द्वारा सराहे जाते हैं और उनके द्वारा सहर्ष बच्चों को पारितोषिक राशि सहित विद्यालय को भी दान दिया जाता है। यह भी बता दें कि आश्रम के इस विद्यालय में अधिकांश निर्धन वर्ग के बच्चे ही शिक्षा प्राप्त करते हैं। बच्चों के अभिभावकों का आश्रम व इसके विद्यालय में पूर्ण विश्वास है और सभी आशावान् हैं कि उनके बच्चे यहां पढ़कर देश के योग्य नागरिक बनेंगे।

आश्रम के मंत्रीजी ने हमें बताया कि विद्यालय में हिन्दी व अंग्रेजी दोनो माध्यमों से शिक्षा दी जाती है। कक्षा 5 से 8 तक के बच्चों को आश्रम के पुरोहित व धर्माचार्य पं. सूरत राम जी धर्म शिक्षा का अध्ययन कराते हैं। इस धर्म शिक्षा की कक्षानुसार पुस्तकें आर्य प्रकाशक ‘विजयकुमार गोविन्दराम हासानन्द, दिल्ली’ से मंगाई जाती हैं और उनके अनुसार ही बच्चों को वह सब कुछ स्मरण कराया जाता है। विद्यालय में सप्ताह में दो दिन पं. सूरत राम जी प्रातः वैदिक पद्धति से अग्निहोत्र-यज्ञ कराते हैं। सप्ताह में एक बार शनिवार को बच्चे आश्रम की यज्ञशाला में भी सामूहिक यज्ञ करते हैं। आश्रम में अपना एक चिकित्सालय भी चल रहा है। इस चिकित्सालय में होम्योपैथी तथा आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से उपचार की सुविधायें उपलब्ध हैं। दंत चिकित्सा एवं फिजियोथिरैपी के चिकित्सक की सेवायें भी आश्रम के चिकित्सालय में उपलब्ध हैं। सभी पैथियों की औषधियां भी यहां उपलब्ध हैं। वर्तमान में एक एलोपैथी के काय चिकित्सक वा फिजीशियन की सेवायें प्राप्त करने के लिए प्रयत्न किये जा रहे हैं। आशा है कि कुछ समय बाद इनकी सेवायें भी उपलब्घ हो जायेंगीं। नेत्र चिकित्सा के लिए भी देहरादून के एक प्रसिद्ध चिकित्सक एवं नेत्र सर्जन से सम्पर्क किया गया है। उनकी सेवायें मिलने की भी सम्भावना है। इन सब सुविधाओं का लाभ विद्यालय के बच्चों व उनके परिवारों को दिलाने के लिए एक योजना आरम्भ की गई है। इसके अन्तर्गत प्रत्येक बच्चे के परिवार का चिकित्सा कार्ड बनाया गया है। बच्चों को इस सुविधा के लिए पचास रुपया मासिक देना होगा। इस योजनानुसार विद्यार्थी व उसके परिवार के सभी सदस्यों को आश्रम के चिकित्सकों द्वारा निःशुल्क चिकित्सा परामर्श दिया जायेगा। वर्तमान आश्रम के चिकित्सालय में आयुर्वेद के चिकित्सक के रूप में श्री विनोद प्रकाश भट्ट, होम्योपैथी चिकित्सक श्रीमती सुषमा राणा, दंत चिकित्सक सुश्री रेखा बहुगुणा तथा फिजीयोथिरैपी चिकित्सक श्रीमती मीना राणा आश्रम को अपनी सेवायें दे रही हैं। निकटवर्ती नालापानी ग्राम व आस पास के लोग चिकित्सा हेतु इन चिकित्सकों का लाभ उठा रहे हैं।

आश्रम के विद्यालय में वैदिक सिद्धान्तों का पालन किया जाता है। विद्यालय की प्राचार्या श्रीमती उषा नेगी जी सहित सभी अध्यापिकाओं का पूर्ण सहयोग आश्रम के आयोजनों में भी प्राप्त आता है। बच्चे सभी कार्यक्रमों में सम्मिलित होते हैं और अपनी प्रभावशाली प्रस्तुतियां देते हैं। जो बन्धु विद्यालय के विषय में अधिक जानना चाहें वह स्कूल के फोन न. 09412051790 पर फोन करके जानकारी ले सकते हैं।

यह भी बता दें स्कूल की लोकप्रियता दिनोदिन बढ़ रही हैं। बच्चों की संख्या में वृ़द्ध से भवन छोटा पड़ रहा है। अतः आवश्यकताओं के अनुरूप सुविधाओं का विस्तार करना अपेक्षित है। विद्यालय की प्रबन्ध समिति का विद्यालय के साथ 30 गुणा 25 फीट आकार का दो मंजिला भवन बनाने का विचार है। बालिकाओं, बालक तथा अध्यापिकाओं के लिए चार शौचालयों का निर्माण भी किया जाना है। अनुमानतः इस कार्य में 20 लाख रुपये व्यय होने का अनुमन है। यह आश्रम आर्यजगत के सच्चे विद्वान व ऋषि भक्त अनुयायियों व सेवकों का अपना आश्रम है। आश्रम इन कार्यों को सम्पन्न करने के लिए दानी महानुभावों से प्रार्थना करता है कि वह अविद्या के नाश व ज्ञान की वृद्धि के इस प्रयास में आश्रम को मुक्त हस्त से दान दें। आश्रम सभी दानी महानुभावों को विश्वास दिलाता है कि उनके दान के धन का सदुपयोग किया जायेगा। दानी महानुभाव पुण्य के भागी होंगे। इसके लिए आप आगे आयें, आश्रम आपसे अनुरोध करता है।

आश्रम का आगामी पांच दिवसीय शरदुत्सव 4 अक्टूबर से 8 अक्टूबर, 2018 तक होगा। इस अवसर पर वेदपारायण यज्ञ और प्रख्यात विद्वान पं. उमेशचन्द्र कुलश्रेष्ठ, आगरा सहित अनेक विद्वानों के प्रवचन सुनने को मिलेंगे। अनेक भजनोपदेशक के भजन व मौलिक विचार भी आप सुनेंगे। युवा सम्मेलन, महिला सम्मेलन, संगीत सम्मेलन सहित ‘तपोवन विद्या निकेतन’ का वार्षिकोत्सव भी होगा जिसमें बच्चों की रंगारंग प्रस्तुतियां सहित बच्चे अपनी प्रतिभा व आर्यसमाज के नियम व सिद्धान्तों पर तैयार कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे। आश्रम की कार्यकारिणी सभी आर्य बन्धुओं को इस उत्सव में सम्मिलित होने का आमंत्रण देता है। आप उत्सव में सम्मिलित होकर लाभ उठायें। ओ३म् शम्।

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