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मैक्स लाइफ स्टडी से पता चला कि 3 में से सिर्फ 1 भारतीय रिटायरमेंट  के लिए वित्तीय तैयारियों को प्राथमिकता देता है

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29 Sep 22
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सर्वे के दूसरे संस्करण में भारत का रिटायरमेंट इंडेक्स 44 पर रहा, परिवार और बच्चों पर निर्भरता आज भी रिटायरमेंट की निवेश संबंधी योजनाओं में सबसे बड़ी बाधा

•    23 फीसदी भारतीयों को यह भी नहीं पता है कि उन्हें अपनी रिटायरमेंट से जुड़ी योजनाओं की शुरुआत कहां से करनी है
•    50 वर्ष से ज़्यादा उम्र के 10 में से 9 लोगों को इस बात का दुख है कि उन्होंने जल्द ही होने वाली अपनी सेवानिवृत्ति के लिए कोई बचत या निवेश नहीं किया है
•    ज़्यादातर लोग "जितना जल्दी उतना बेहतर" की धारणा में विश्वास करते हैं, क्योंकि 59 फीसदी लोगों का मानना है कि उनकी बचत, सेवानिवृत्ति के 10 वर्षों के भीतर खत्म हो जाएगी
•    69 फीसदी लोग सेवानिवृत्ति से जुड़ी बचत के लिए सबसे उपयुक्त उत्पाद मानते हैं
•    पूर्वी ज़ोन और मेट्रो शहरों में सेवानिवृत्ति के लिए तैयारी का स्तर सबसे ज़्यादा
•    महिलाओं की तुलना में पुरुष वित्तीय तौर पर ज़्यादा परेशान नज़र आते हैं, हालांकि दोनों के लिए इंडेक्स का स्तर लगभग बराबर ही है

मैक्स लाइफ स्टडी से पता चला कि 3 में से सिर्फ 1 भारतीय रिटायरमेंट  के लिए वित्तीय तैयारियों को प्राथमिकता देता है

नई दिल्ली: मैक्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ("मैक्स लाइफ"/ "कंपनी") ने KANTAR के साथ मिलकर आज "इंडिया रिटायरमेंट इंडेक्स स्टडी" (आईआरआईएस) का दूसरा संस्करण लॉन्च किया। इस सर्वे में सेहतमंद, स्थिर और वित्तीय तौर पर स्वतंत्र रिटायरमेंट लाइफ जीने को लेकर शहरी भारत की तैयारियों का विश्लेषण किया गया है। खुद से की गई डिजिटल स्टडी* के माध्यम से, 28 शहरों में रहने वाले 3,220 लोगों ने सर्वे में हिस्सा लिया। इन शहरों में 6 मेट्रो, 12 टियर 1 और 10 टियर 2 शहर शामिल हैं।

बीते कुछ वर्षों के दौरान भारत में जीवन प्रत्याशा बढ़ी है। ऐसे में इस सर्वे में बीते वर्ष के दौरान देश में सेवानिवृत्ति को लेकर लोगों की तैयारियों का स्तर का पता लगाया गया है। भारत का रिटायरमेंट इंडेक्स (0 से 100 के स्केल पर) 44 के स्तर पर है जिससे पता चलता है कि एक वर्ष की अवधि में सेवानिवृत्ति की योजना को लेकर शहरी भारत की तैयारियों में कमी है। सेहत और वित्तीय तैयारियों का स्तर क्रमश: 41 और 49 पर है, जबकि भावनात्मक तैयारी का स्तर 62 से गिरकर 59 के स्तर पर आ गया है जिससे सेवानिवृत्ति के दौरान परिवार, दोस्तों और सामाजिक समर्थन पर निर्भरता बढ़ने का पता चलता है।

 आईरिस 2.0 के लॉन्च के बारे में प्रशांत त्रिपाठी, मैनेजिंग डायरेक्टर एवं सीईओ, मैक्स लाइफ इंश्योरेंस ने कहा, "भारत में जीवन प्रत्याशा बढ़ी है और सेहत संबंधी रुझानों में बदलाव आया है, ऐसे में देश में वृद्ध लोगों की आबादी 2031 तक करीब 41 फीसदी बढ़कर 19.4 करोड़ होने का अनुमान है।[1] इसके अलावा, भारत में बढ़ती जीवन प्रत्याशा को ध्यान में रखकर सेवानिवृत्ति की उम्र की समीक्षा का काम भी जारी है। चूंकि उद्योग और व्यापक ईकोसिस्टम सकारात्मक दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं, इस बेहतरीन और सही तरह से प्रतिनिधित्व करने वाले इस अध्ययन से पता चलता है कि भारतीय भी समय से सेवानिवृत्ति के लिए योजना बनाने की ज़रूरत को समझ रहे हैं। हालांकि, इस जागरूकता का बढ़चढ़कर बचत करने और निवेश के तौर पर मूर्त रूप लेना बाकी है। जब बात सेवानिवृत्ति के लिए योजना बनाने की हो, तो सभी भारतीयों को "जितना जल्दी उतना बेहतर" के विचार का पालन करना चाहिए और कम उम्र से ही योजना बनाने की शुरुआत कर देनी चाहिए, ताकि यह पक्का किया जा सके कि सेवानिवृत्ति के वर्षों के दौरान उन्हें सेहतमंद और वित्तीय तौर पर स्वतंत्र जीवन जीने का मौका मिल सके। चूंकि हम आईरिस 2.0 से मिली जानकारियों को सार्वजनिक कर रहे हैं, हम भारत के लोगों से यह अपील करते हैं कि वे सेवानिवृत्ति की तैयारी समय से करने के महत्व को समझें और हम उन्हें अपना भविष्य सुरक्षित करने की दिशा में काम करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।"

 सौम्या मोहंती, मैनेजिंग डायरेक्टर एवं सीसीओ, इनसाइट्स डिविज़न, साउथ एशिया, कांतार ने सर्वे से मिली जानकारी के बारे में कहा, "आईरिस 2.0 से लोगों को इस बारे में जानने का मौका मिलेगा कि शहरी भारतीय सेवानिवृत्ति को कैसे देखते हैं और उसे लेकर किस तरह की योजना बनाते हैं। इसका उद्देश्य यह समझने में भारतीयों की मदद करना है कि वे अपने जीवन में सेवानिवृत्ति के लिए योजना को नए दृष्टिकोण से देखें और उसे उचित महत्व दें। आज की दुनिया में हर वक्त वित्तीय तौर पर स्वतंत्र बने रहना बहुत ही ज़रूरी है और वह भी सेवानिवृत्ति के दौर में। हमें इस बात की खुशी है कि जीवन के सभी चरणों में शहरी भारत की वित्तीय सुरक्षा को प्राथमिकता देने के काम में हम मैक्स लाइफ इंश्योरेंस के प्रयासों में साथ दे पा रहे हैं।"

सेवानिवृत्ति को लेकर शहरी भारतीयों का दृष्टिकोण

आईरिस 2.0 से यह जानकारी मिली है कि सेवानिवृत्ति को लेकर भारतीयों का दृष्टिकोण कुल मिलाकर सकारात्मक है। 70 फीसदी लोग इसे सकारात्मक विचारों से जोड़कर देखते हैं। जैसे कि "परिवार की देखभाल के लिए ज़्यादा समय", "टेंशन मुक्त जीवन" और "लग्ज़री/यात्रा की बेहतर संभावनाएं"। इससे उलट, 30 फीसदी या 10 में से 3 लोग सेवानिवृत्ति को नकारात्मक भावनाओं से जोड़कर देखते हैं। इनमें से 6 फीसदी लोगों का कहना है कि वे "संभवत: बहुत फिट और सेहतमंद नहीं रह पाएंगे", 5 फीसदी लोगों को डर है कि उनके पास "पर्याप्त मात्रा में वित्तीय संसाधन नहीं होंगे।"

 इसके बाद भी, जब बात सेवानिवृत्ति से जुड़ी योजना बनाने की होती है तो वित्तीय मामले प्राथमिकता में काफी नीचे आते हैं। 59 फीसदी लोग मानते हैं कि सेवानिवृत्ति के बाद के जीवन के दौरान "सेहत" सबसे महत्वपूर्ण पहलू होता है और सिर्फ 31 फीसदी लोग ही "वित्त" को सबसे ज़रूरी मानते हैं और 10 फीसदी लोग "भावनात्मक समर्थन" को सबसे अहम पहलू मानते हैं।

क्या भारतीय सुरक्षित सेवानिवृत्त जीवन के लिए वित्तीय तौर पर तैयार हैं?

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के मुताबिक, भारत में सेवानिवृत्ति और बचत के बीच के अनुपात में भारी अंतर है जिसके आने वाले दशकों के दौरान और भी बढ़ने की आशंका है। इसके साथ ही, आईरिस 2.0 में पाया गया कि 59 फीसदी (पहले के 56 फीसदी के मुकाबले) लोगों का मानना है कि उनकी बचत की गई रकम सेवानिवृत्ति के 10 वर्षों के भीतर खत्म हो जाएगी। दरअसल, 50 वर्ष से ज़्यादा उम्र के 86 फीसदी लोगों का कहना है कि उन्हें इस बात का दुख है कि उन्होंने सेवानिवृत्ति के लिए सही समय से निवेश करना शुरू नहीं किया।

लेकिन धीरे-धीरे सही उम्र के लोगों के बीच सेवानिवृत्ति के लिए योजना बनाने को लेकर जागरूकता बढ़ रही है। 44 फीसदी लोगों का कहना है कि काम करना शुरू करने के साथ ही लोगों को सबसे पहले सेवानिवृत्ति को लेकर योजना बनानी शुरू कर देनी चाहिए, जबकि 33 फीसदी लोगों का मानना है कि व्यक्ति को 35 वर्ष की उम्र से पहले सेवानिवृत्ति के लिए योजना बनाना शुरू कर देना चाहिए।

फिर भी 37 फीसदी लोगों ने सेवानिवृत्ति के लिए किसी भी वित्तीय उत्पाद में निवेश करना शुरू नहीं किया है। ऐसे निवेश की राह में सबसे बड़ी बाधाएं अब भी पारिवारिक संपत्ति और बच्चों पर निर्भरता है। 42 फीसदी लोगों ने सेवानिवृत्ति के लिए कोई निवेश नहीं किया है क्योंकि उनका मानना है कि उनके पास पर्याप्त मात्रा में पारिवारिक संपत्ति है जिससे उनका काम चल जाएगा, 39 फीसदी लोगों का मानना है कि उनके बच्चे उनका खयाल रखेंगे, जबकि 23 फीसदी लोगों को पता ही नहीं है कि शुरुआत कहां से करनी है - जिससे वित्तीय जागरूकता में मौजूद व्यापक अंतर का पता चलता है।

चूंकि भारत में आर्थिक अनिश्चितता के बीच महंगाई लगातार बढ़ रही है, ऐसे में 29 फीसदी लोग सेवानिवृत्ति से जुड़ी योजना बनाने के लिए इसे एक प्रमुख कारण मानते हैं। अब तक ऐसा मानने वाले लोगों की संख्या 18 फीसदी थी। करीब 50 फीसदी शहरी भारतीयों को सेवानिवृत्ति से जुड़ी योजना बनाने के लिए उनके परिवार के किसी सदस्य या जीवनसाथी ने सुझाव दिया, जबकि 43 फीसदी लोगों को यह सलाह उनके वित्तीय सलाहकार ने दी। इस रुझान से पता चलता है कि सेवानिवृत्ति से जुड़ी योजना बनाने को लेकर लोगों के बीच सक्रियता दिखनी अब भी बाकी है।

सेवानिवृत्ति को लेकर निवेश के लिए व्यक्ति के जेब की हिस्सेदारी की बात होने पर 69 फीसदी लोग सेवानिवृत्ति से जुड़ी बचत के लिए जीवन बीमा को सबसे उपयुक्त मानते हैं, लेकिन सिर्फ 42 फीसदी लोग ही अपनी सेवानिवृत्ति के लिए इसमें निवेश करते हैं। 28 फीसदी हिस्सेदारी के साथ फिक्स्ड डिपॉज़िट/आरडी दूसरा सबसे लोकप्रिय उत्पाद है जबकि 19 फीसदी हिस्सेदारी के साथ हेल्थ/मेडिकल इंश्योरेंस तीसरा सबसे लोकप्रिय उत्पाद है। 

सेहतमंद सेवानिवृत्ति के लिए शहरी भारत के लोग कितने तैयार हैं?

इस सर्वे से मिली जानकारी के मुताबिक, 5 में से 4 भारतीय (79 फीसदी) उम्मीद करते हैं कि वे अपने सेवानिवृत्ति के वर्षों के दौरान बिल्कुल स्वस्थ रहेंगे, हालांकि सिर्फ 40 फीसदी लोग ही किसी भी तरह की फिटनेस संबंधी गतिविधि करते हैं। महामारी के दौरान सेहत और देखभाल की अहमियत लोगों के सामने आ चुकी है, इसके बाद भी सर्वे में हिस्सा लेने वाले सिर्फ आधे प्रतिभागियों (55 फीसदी) ने ही पिछले तीन वर्षों के दौरान कोई जांच कराई है। बाकी 45 फीसदी लोगों ने इस अवधि में सेहत की कोई जांच नहीं कराई। 

भारतीय अपनी सेवानिवृत्ति के लिए भावनात्मक तौर पर कितने तैयार हैं?

हालांकि भारत में एकल परिवार का रुझान बढ़ना जारी है (65 फीसदी), इसके बावजूद सेवानिवृत्ति को लेकर योजना बनाने के मामले में शहरी भारत की परिवार पर निर्भरता काफी ज़्यादा है। 54 फीसदी यानी आधे से ज़्यादा शहरी भारतीय यानी 2 में से 1 व्यक्ति सेवानिवृत्ति के बाद अपने बच्चों के साथ रहना पसंद करते हैं। इसके अलावा, 26 फीसदी भारतीय सेवानिवृत्ति के बाद के अपने जीवन के दौरान अकेले रहने को लेकर चिंतित रहते हैं। पहले यह आंकड़ा 21 फीसदी के स्तर पर था।

अन्य खास जानकारी

रिटायरमेंट इंडेक्स में 51 के आंकड़े के साथ पूर्वी ज़ोन सेवानिवृत्ति को लेकर तैयारी के मामले में बाकी सभी ज़ोन से आगे रहा। रिटायरमेंट इंडेक्स में 46 के आंकड़े के साथ पश्चिमी ज़ोन दूसरे और 41 के आंकड़े के साथ उत्तरी ज़ोन तीसरे पायदान पर रहा। रिटायरमेंट इंडेक्स पर 46 के आंकड़े के साथ मेट्रो शहर सेवानिवृत्ति के लिए सबसे ज़्यादा तैयार नज़र आते हैं। टियर 1 शहरों के लिए यह आंकड़ा 44 और टियर 2 शहरों के लिए 42 है।

पुरुषों के लिए सेवानिवृत्ति की तैयारी का इंडेक्स 45 के स्तर पर है जबकि महिलाओं के लिए 44 पर। हालांकि इंडेक्स इन दोनों ही लिंगों के लिए समान रूप से कम स्तर पर है, लेकिन पुरुष, महिलाओं के मुकाबले वित्तीय रूप से ज़्यादा परेशान दिखाई देते हैं। 53 फीसदी पुरुष सेवानिवृत्ति के दौरान बचत को लेकर चिंतित है जबकि 49 फीसदी महिलाएं इसे लेकर चिंतित हैं। 38 फीसदी पुरुष लग्ज़री पर होने वाले खर्च को लेकर चिंता जाहिर करते हैं जबकि 33 फीसदी महिलाएं इसे लेकर परेशान हैं। इसके अलावा, 27 फीसदी पुरुष सेवानिवृत्ति के दौरान अकेलेपन के बारे में चिंतित हैं जबकि 24 फीसदी महिलाएं ही इसके बारे में चिंता करती हैं, जिससे पुरुषों के भावनात्मक तनाव का पता चलता है।

 सेवानिवृत्ति के वर्षों के दौरान भारतीयों को वित्तीय तौर पर सुरक्षित रखने के लिए मैक्स लाइफ इंश्योरेंस ने अगस्त में मैक्स लाइफ पेंशन फंड मैनेजमेंट लिमिटेड की शुरुआत करने की घोषणा की थी। पेंशन फंड मैनेजमेंट सहायक कंपनी की शुरुआत करना सेवानिवृत्ति के क्षेत्र में अग्रणी कंपनी बनने की मैक्स लाइफ की वृद्धि रणनीति के तहत् इस दिशा में बढ़ाया गया महत्वपूर्ण कदम है। इसके अलावा, जीवन बीमा कंपनी की योजना एन्युटी और रिटायरमेंट केंद्रित अन्य उत्पाद पेश करने की भी है, ताकि इन क्षेत्रों में मौजूद अवसरों की ओर ध्यान लगाया जा सके।  


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