बैंक अब गैर-कंपनी वर्ग में संपत्तियों की गुणवत्ता को लेकर दबाव देख रहे हैं। इस लिहाज से बैंकों को कुल मिलाकर फंसे कर्ज के मामले में 2019-20 तक दबाव झेलना पड़ सकता है। एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।इंडिया रेटिंग ने बैंकों पर जारी अपनी मध्यावधि परिदृश्य रिपोर्ट में सोमवार को कहा कि निजी क्षेत्र के बैंकों और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक और बैंक आफ बड़ौदा का परिदृश्य स्थिर बना हुआ है। इसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के अन्य सभी बैंकों का परिदृश्य नकारात्मक बना हुआ है। रेटिंग एजेंसी के मुताबिक बैंकों को मौजूदा वित्त वर्ष और इसके बाद आने वाले साल के लिए कर्ज की लागत अथवा तीन प्रतिशत तक के प्रावधान को जारी रखना पड़ सकता है।रिपोर्ट में पुराने फंसे कर्ज जिसकी पहले पहचान हो चुकी है, को कर्ज की ऊंची लागत की वजह बताया गया है।
Source :