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अपने को ज्ञानी मानने वाला अज्ञानी व अहंकारी, अभिमान खोलता पतन का मार्ग- आचार्य श्रीरामदयालजी महाराज

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03 Feb 23
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अपने को ज्ञानी मानने वाला अज्ञानी व अहंकारी, अभिमान खोलता पतन का मार्ग- आचार्य श्रीरामदयालजी महाराज

भीलवाड़ा। अपने आपको जो ज्ञानी मानता है वह अज्ञानी, अहंकारी व भक्तिशून्य है। अहंकार चाहे जानने का हो या शक्ति व धन का हो हमेशा पतन का रास्ता दिखाता है। अहंकारी को हमेशा गिरना ही होता है। जहां अभिमान आता है वहां पतन आएगा। कलयुग में व्यक्ति के पास वाणी पाठ करने का भी समय नहीं है। शब्द का अर्थ जानने की ताकत नहीं रह गई है। अहम आदिकाल से विनाश का मूल रहा है। ये विचार अन्तरराष्ट्रीय रामस्नेही सम्प्रदाय के पीठाधीश्वर आचार्य  श्रीरामदयालजी महाराज ने गुरूवार को स्वामी श्रीरामचरणजी महाप्रभु के 303वें प्राक्ट्य दिवस के अवसर पर माणिक्यनगर स्थित रामद्वारा में दस दिवसीय विराट आध्यात्मिक सत्संग ‘‘राष्ट्र पर्व से लेकर राम पर्व तक’’ के आठवें दिन व्यक्त किए। आचार्यश्री ने कहा कि महापुरूषों की गति महापुरूष ही जानते है एवं समझदार ही समझदारी की बात समझ सकते है। स्वामी श्रीरामचरणजी महाराज वाणीजी में कहते है कि अज्ञान, अहंकार व अर्थवाद पतन का कारण है। परमात्मा अनंत तो उसका ज्ञान भी अनंत है। जीवन की उलझनों में पड़े रहने के बीच ये ध्यान रखे कि हमारा आत्मकल्याण किससे हो सकता है। राम नाम के प्रति हमारी श्रद्धा कभी कमजोर नहीं होनी चाहिए। आचार्यश्री ने कहा कि स्वामी श्रीरामचरणजी महाराज ने तप की वाणी में 15 अनर्थ बताए है। संपति में छह दोष बताए गए है जिनमें सबसे पहला झूठ है। एक भी व्यक्ति संपति के बारे में सच नहीं बोलता है इससे ही विवाद पैदा होते है। श्रीजी महाराज ने वाणी में संसार का चित्र खींचा है। माया के संग रहकर जगत में कोई सुख प्राप्त नहीं कर पाया है। 

 बुद्धि नष्ट होने पर जीवन भ्रष्ट

आचार्यश्री रामदयालजी महाराज ने कहा कि बुद्धि नष्ट होने पर जीवन भ्रष्ट हो जाता है। जिनको अपने शरीर से, परिवार से दृढ़ जंजीरों ने बांध रखा है उसे रामभक्ति की हानी हो रही है। वह अज्ञानी इंसान अपने सत्कर्म नष्ट कर जीवन समाप्त कर रहा है। जो कर्म सत्कर्म नहीं होता वह परिवार,समाज व राष्ट्र को पतन की ओर ले जाता है। ऐसे लोग मति भ्रष्ट व प्रज्ञाभ्रष्ट होते है ओर पशू की तरह जगत में भटकते है। व्यक्ति कह क्या रहा है ओर चल किधर रहा है ये पता नहीं है। आचार्य श्रीरामदयालजी महाराज ने कहा कि मनुष्य से अच्छा तो वह तोता होता है जो रटाने पर राम-राम बोलना नहीं भूलता। मनुष्य सारी जिंदगी राम-राम करने पर भी वक्त आने पर ऐसा करना भूल जाता है। मुस्कराना ओर राम नाम गुनगुनाना जिसने जीवन में सीख लिया उसकी जिंदगी सार्थक है। 

विषय वासनाओं से मुक्त होने पर ही परमात्मा की प्राप्ति

सत्संग में शाहपुरा से आए रामस्नेही सम्प्रदाय के इतिहासवेत्ता संत गुरूमुखरामजी ने कहा कि साधना के बिना लक्ष्य प्राप्त नहीं हो सकता। विषय वासनाओं से मुक्त हुए बिना परमात्मा की प्राप्ति नहीं हो सकती। शील व्रत को धारण करने से जीवन पावन व निर्मल बन जाता है। सत्संग में सूरत से आए संत श्रीसमतारामजी, इंदौर के संत श्रीबोलतारामजी, सीकर के संत श्रीधर्मीरामजी ने भी धर्म संदेश दिया। जहाजपुर से आए संत ललितरामजी ने भजन की प्रस्तुति दी। 

 प्राकट्य महोत्सव में रात्रि जागरण शुक्रवार को

सत्संग के अंत में श्रद्धालु गीता मालानी ने भजन की प्रस्तुति देकर माहौल भक्तिपूर्ण कर दिया। झंवर परिवार के साथ सत्संग में आए श्रद्धालुओं ने पूज्य आचार्यश्री रामदयालजी महाराज की आरती की। दस दिवसीय महोत्सव के तहत 4 फरवरी तक प्रतिदिन रामद्वारा में सुबह 9 से 11 बजे तक सत्संग हो रहा है। महोत्सव के तहत 3 फरवरी शुक्रवार को वाणीजी के सम्पूर्ण पाठ की पूर्णाहुति होंगी। संध्याकाल में रामद्वारा में 303 दीपक प्रज्वलित किए जाएंगे। 
रात 8 बजे से रात्रि जागरण का आयोजन रामद्वारा में होगा। महोत्सव के समापन दिवस 4 फरवरी शनिवार को स्वामी श्रीरामचरणजी महाराज की जयंति के अवसर पर सुबह 8.30 बजे प्राइवेट बस स्टेण्ड स्थित विजयवर्गीय भवन से रामद्वारा तक भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी। 


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