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बेटियों के बिना सूना घर आंगन, हर घर में होनी चाहिए बेटीः राधाकृष्ण महाराज

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19 May 22
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बेटियों के बिना सूना घर आंगन, हर घर में होनी चाहिए बेटीः राधाकृष्ण महाराज

भीलवाड़ा । पूज्य श्रद्धेय गौवत्स श्री राधाकृष्णजी महाराज के मुखारविंद से वस्त्रनगरी भीलवाड़ा में तीन दिवसीय नानी बाई का मायरा कथा के दूसरे दिन बुधवार को भी भक्तों का सैलाब उमड़ा। समस्त गौ सेवा परिवार की ओर से रोडवेज बस स्टेण्ड के पास अग्रवाल उत्सव भवन प्रांगण में आयोजित नानी बाई का मायरा कथा में दूसरे दिन गौवत्स श्री राधाकृष्णजी महाराज ने सुबह 8.30 से दोपहर 12.30 बजे तक नरसीजी मेहता के नानी बाई का मायरा भरने के लिए रवाना होने एवं ठाकुरजी द्वारा खाती का रूप धर कर उनकी बैलगाड़ी को नानी बाई के घर तक पहुंचाने से जुड़े विभिन्न प्रसंगों का भक्तिभाव के साथ कई दृष्टान्त देते हुए वाचन किया तो भक्तगण भावविभोर हो उठे। प्रचण्ड गर्मी की परवाह किए बिना कथा के दौरान भक्ति से ओतप्रोत माहौल में भक्तगण गीतों व भजनों पर जमकर नृत्य करते रहे। गौवत्स श्री राधाकृष्णजी महाराज ने कथा का वाचन करते हुए गौसेवा व सेवा के संस्कारों से युक्त जीवन जीने की प्रेरणा भी प्रदान की। 

दूसरे दिन की कथा का आगाज करते हुए पूज्य राधाकृष्ण महाराज ने नरसीजी मेहता की भक्ति भावना का जिक्र करते हुए कहा कि वह भगवान के इतने लाड़ले थे कि ठाकुरजी स्वयं उनके पास जाने को आतुर रहते थे। नरसीजी की बाते, उनकी बोली व भाव भगवान को अच्छे लगते थे। अपने को भी भगवान को राजी करना है, उनका लाड़ पाना है तो अपनी भावना व बोली को अच्छा रखना होगा। जब भगवान लाड़ करेगा तो फिर दुनिया में किसी के लाड़ की जरूरत महसूस नहीं होगी। आप भगवान का जिक्र ईमानदारी से करो तो आपकी फिक्र वह करेगा। उन्होंने नरसीजी का अपनी बेटी नानीबाई से बहुत प्रेम होने की चर्चा करते हुए कहा कि लोग बाप-बेटे में प्रेम होने की बात करते है लेकिन असली प्रेम तो बाप-बेटी में होता है। बेटा पढ़ाई के लिए विदेश भी जाता है तो किसी बाप की आंखों में आंसू आते नहीं देखे लेकिन बेटी की विदाई के समय कठोर ह्दय वाले बाप भी फफक उठता है तो उसका रोना देखकर ही लोगों की आंखों में आंसू आ जाते है। हर घर में बेटी का होना जरूरी है, बेटी के बिना घर-आंगन सूना होता है। 

उन्होंने बैलों की अनदेखी होने पर चर्चा करते कहा कि आजकल गाय का पालन तो हो रहा है लेकिन बैल(नंदी) कहां जाएगा। गाय का स्वरूप पशु के रूप में नहीं भावनात्मक देखे।  गाय को गौशाला में रखे और उसकी संतान नंदी या बैल को नहीं रखेगे तो गाय कैसे सुखी रहेगी। हमे उनकी संतान का भी ध्यान रखना है और केवल गाय का नहीं बल्कि बैल, नंदी सहित सम्पूर्ण गौवंश का पालन करना है। 

पूज्य राधाकृष्ण महाराज ने कहा कि घर से निकलो या घर में प्रवेश करो भगवान का नाम अवश्य लो। कोई भी कार्य भगवान का नाम लेकर ही शुरू करे। भगवान का नाम सबसे बड़ा शगुन है।  उन्होंने मोबाइल के बढ़ते चलन के कारण जीवनशैली पर पड़ रहे असर पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि जवानी सेवा, मेहनत व पुरूषार्थ करने के लिए है। अपने लक्ष्य को पहचान उस तरफ आगे बढ़ने के लिए जवानी है लेकिन अभी तो मोबाइल के चक्कर में जवानी का कीमती समय बर्बाद हो रहा है।  सुबह का समय बहुत कीमती होता है उसका उपयोग करना चाहिए। सुबह नींद लेने पर शरीर को और उसका त्याग करने पर मन को आनंद मिलता है। 

तीन दिवसीय आयोजन के दूसरें दिन बुधवार को सुबह 5.30 बजे शहर के दूदाधारी मंदिर से प्रभातफेरी भी निकाली गई। इसमें बड़ी संख्या में भक्तगण शामिल हुए।कथा में दूसरे दिन पहले दिन से भी अधिक संख्या में भक्तों के पहुंचने पर पांडाल का विस्तार करना पड़ा। शहर के साथ आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में भक्तगण पहुंचे। 

 तीन दिवसीय आयोजन के अंतिम दिन गुरूवार को आरसी व्यास कॉलोनी स्थित सिद्धेश्वर मंदिर से सुबह 5.30 बजे प्रभातफेरी निकाली जाएगी एवं सुबह 8.30 से दोपहर12.30 बजे तक नानी बाई का मायरा कथा का वचन होंगा।रात 8 से 10 बजे तक राजस्थान कबीर यात्रा भक्ति संध्या होगी,जिसमें शबनम वीरमानी एवं ग्रुप द्वारा भजनों की प्रस्तुतियां दी जाएगी। 

भावनाओं में डूबे भक्त भजनों पर जमकर थिरके

नानी बाई का मायरा कथा के दूसरे दिन भी पूज्य श्रद्धेय गौवत्स श्री राधाकृष्णजी महाराज ने भगवान की भक्ति से ओतप्रोत गीतों व भजनों की प्रस्तुतियां दी। कुछ भजनों का ऐसा जादू छाया कि भजन शुरू होते ही भक्तगण अपनी जगह से उठ खड़े होकर थिरकने लगे। मेरे सिर पर रख दे ठाकुरजी अपने ये दोनों हाथ गीत पर सैकड़ो भक्त थिरक उठे।  भक्तिभावना इतनी प्रबल थी कि भक्तों को तीखी गर्मी का अहसास भी नहीं हो रहा था। कथा के दौरान भक्तगण नानी बाई का मायरा की बाईयां जस लो रे, नरसीजी तो मायरा की शुरू करे जल्दी गाड़ी भरो, आजा रे सांवरिया भर जा नानी बाई रो मायरो आदि भजनों पर भी सैकड़ो भक्तगणों ने जमकर नृत्य किया। 

 

भक्तिरस में डूबकर किया मीरा का यशोगान 

 

पूज्य श्रद्धेय गौवत्स श्री राधाकृष्णजी महाराज के मुखारविंद से बुधवार रात 8 से 10 बजे तक मीरा महोत्सव का आयोजन हुआ। दो दिवसीय मीरा महोत्सव के अंतिम दिन भी भक्तिरस में डूबकर मीरा का यशोगान किया गया। कृष्णभक्त भक्तिमति मीरां के जीवन पर आधारित प्रसंगों का वाचन करते हुए उनके भजनों की भी प्रस्तुतियां दी गई। भजनों के माध्यम से मीरां के जीवन के प्रसंगों के साथ कृष्णभक्ति से वह किस तरह ओतप्रोत थी इस बारे में बताया गया। मीरां की भक्ति के भजनों पर श्रोता भावविभोर हो उठे।  दो दिवसीय मीरा महोत्सव के अंतिम दिन भी बड़ी संख्या में भक्तगण कथास्थल पर पहुंचे।


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