भीलवाड़ा | जन-जन को सदाचार, अहिंसा, प्रेम, भाईचारे का संदेश देने वाले शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने तीसरे चरण के अन्तर्गत आज भीलवाड़ा शहर में परिभ्रमण किया। प्रातः सूर्योदय के समय तेरापंथ नगर से मंगल प्रस्थान कर आचार्यश्री ने अनेक स्थानों पर श्रद्धालु श्रावक-श्राविकाओं को दर्शन दिए एवं अनेक जगह मंगलपाठ फरमाया।
आजाद नगर, महावीर कॉलोनी, कांचीपुरम, बसंत विहार आदि कालोनियों में पगलिया करते हुए भक्तवत्सल आचार्यश्री महाश्रमण पुनः जब चातुर्मास स्थल पर पधारे तब तक घड़ी में पांच बजे चुके थे। दिन भर में जन उद्धारक आचार्यप्रवर ने लगभग 15 किलोमीटर से भी अधिक शहर में विचरण किया। पार्श्वनाथ कॉलोनी में शंखेश्वर पार्श्वनाथ जैन मंदिर के समक्ष मूर्तिपूजक आचार्य निपुणरत्न सूरिश्वर जी से अहिंसा यात्रा प्रणेता का आध्यात्मिक मिलन हुआ। दोनों धर्मगुरुओं के मध्य संक्षिप्त वार्ता भी हुई। स्वाध्याय भवन के समक्ष गुरुदेव ने मंगलपाठ किया। मार्ग में पार्षद ओम प्रकाश गगरानी आचार्यश्री के दर्शनों से लाभान्वित हुए। एक स्थान पर हैप्पी डेज स्कूल के विद्यार्थियों ने गुरुदेव के दर्शन किए व आचार्यश्री द्वारा अहिंसा यात्रा के संकल्पों को स्वीकार किया। प्रज्ञा भारती संस्थान में पूज्य आचार्यश्री के सान्निध्य में कार्यक्रम का आयोजन हुआ एवं संस्थान के मंत्री अनिल चोरड़िया, बलवंत रांका ने स्वागत में विचारों की प्रस्तुति दी। मुनि जयेश कुमार ने वक्तव्य दिया।
स्थान-स्थान पर भक्तों की अर्ज पर रूकते हुए आचार्यश्री ने 100 से भी अधिक बार मंगलपाठ किया। कई स्थानों पर अक्षम श्रद्धालुओं को पावन आशीर्वाद देते हुए गुरुदेव सायं तेरापंथ नगर पधारे। अपने आराध्य को इस प्रकार अपने घर-आंगन के सन्निकट पाकर भीलवाड़ा का जन-जन आह्लादित था।
अब पुनः 28 अक्टूबर को शांतिदूत का शहर विचरण संभावित है।
*27 को जैन भगवती दीक्षा समारोह*
चतुर्मासकाल के दौरान आचार्यश्री महाश्रमण के सान्निध्य में 27 अक्टूबर को द्वितीय जैन दीक्षा समारोह समायोजित हो रहा है। जिसमें दिल्ली की मुमुक्षु प्रेक्षा संचेती साध्वी दीक्षा ग्रहण करेगी। मुमुक्षु ने बी.ए. इन संस्कृत जैनोलॉजी, एम.ए. इन जैनोलॉजी कम्परेटिव रिलिजन एण्ड फिलोसॉफी की शिक्षा ग्रहण कर चुकी हैं। पारमार्थिक शिक्षण संस्था में इन्होंने सन 2014 में प्रवेश किया था।