बाडमेर। आहार ही औषधि है। हम जो खाते है वह सुपाच्य हो और उससे शरीर में आवश्यक सात धातुओं का निर्माण हो। जठराग्निी को प्रदीप करने वाला हो और आंतों को साफ करने वाला हो।
यह बात सुरत के मशहुर प्राकृतिक चिकित्सक एवं कृषि विशेषज्ञ डा. मूलजी भाई भलाणी ने बुधवार को सेवा सदन में आयोजित ’हमारा स्वास्थ्य/आरोग्य एवं जैविक खेती‘ विषयक संगोष्ठी में कही। उन्होंने कहा कि शरीर को ठीक रखने के लिए मन को भी स्वस्थ रखना अनिवार्य रहता है। मन शुद्धि से तन शुद्धि प्राप्त की जा सकती है। पोषण युक्त आहार आरोग्य की नींव है और इसके लिए जैविक कृषि गोपालन अनिवार्य है। अपने यहां पनपने वाली जडी बुटियों के द्वारा भी लगे रोगों को दूर किया जा सकता है। प्राकृतिक चिकित्सा में बिना किसी दुष्प्रभाव से इलाज किया जा सकता है। इस मौके पर भारत विकास परिषद के अध्यक्ष ओमप्रकाश मेहता, परिषद के प्रांतीय सह सचिव ताराचंद जाटोल, एडवोकेट अम्बालाल जोशी, कन्हैयालाल वक्र, छोगालाल सोनी, कृषि वैज्ञानिक डा. प्रदीप पगारिया सहित काफी संख्या में शहर के प्रबुद्ध जनों ने संगोष्ठी में डा. मूलजी भाई भलाणी से सवाल किए। भलाणी ने सभी प्रश्नों के उत्तर दिए। इस मौके पर यह तय किया गया कि शीघ्र ही बाडमेर शहर में विशाल प्राकृतिक चिकित्सा शिविर का आयोजन कर रोग मुक्ति का अभियान चलाया जाए।
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