शहर के ऐतिहासिक गुरुआश्रम तपोभूमि लालीवाव मठ में कृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया । सोमवार को कृष्ण जन्माष्टमी पर जन्मोत्सव के उल्लास में श्रद्धालुओं ने जमकर भजन-कीर्तनों पर झूमते हुए नृत्य का आनंद लिया। घण्टे भर से अधिक समय तक श्री कृष्ण जन्मोल्लास में बधाइयां गायी गई ।
महामण्डलेश्वर हरिओमदासजी महाराज द्वारा मठ में कोरोना महामारी से विश्व में शांति को लेकर कृष्णजन्मोत्सव के पावन अवसर पर भगवान का विशेष श्रृंगार एवं पूजा अर्चना कि गई । प्रतिवर्ष के भांति इस वर्ष भी कृष्ण जन्मोत्सव की महाआरती रात्रि 12 बजे प्रारंभ हुई एवं भगवान जन्म की बधाईयां गाई गई ।
साधु के आशीर्वाद से यशोदा को मिला मातृत्व सुख - महामण्डलेश्वर हरिओमदास
महामण्डलेश्वर ने जन्माष्टमी के पर्व पर भक्तों को नंद-यशोदा प्रसंग की चर्चा करते हुए एक कथा सुनायी, उन्होंने बताया कि पूर्व जन्म में नंद व यशोदा दोनों ब्राह्मण-ब्राह्मणी थी, दोनों कमाकर जीवन-यापन करते थे और प्रतिदिन अतिथि को खिलाकर ही भोजन करते थे, क्योंकि उनकी धारणा थी कि अतिथि वेश में कभी भी भगवान आ सकते हैं, एक दिन दोपहर का भोजन ग्रहण कर ब्राह्मण शाम की व्यवस्था में बाहर गये इसी बीच एक साधु उनके घर पहुंचकर भोजन की इच्छा जतायी, ब्राह्मणी भोजन बनाकर संत के सामने रखा तो संत ने उस घर के छोटे बच्चे के साथ भोजन करने का आग्रह किया संत के बार-बार आग्रह करने पर ब्राह्मणी रो पड़ी, उन्होंने बताया कि आप जब मेरे घर पहुंचे, उस समय घर में कुछ भी नहीं था तो वह पुत्र को गिरवी रखकर अनाज लायी, जिससे भोजन बनाकर आपका सत्कार कर रही हूँ, संत ने उस ब्राह्मणी को वचन दिया कि एक दिन ईश्वर स्वयं आपके घर आकर साढ़े ग्यारह वर्षो तक आपके सानिध्य में रहेंगे, अगले जन्म में वहीं ब्राह्मण नंद व ब्राह्मणी यशोदा बनकर संत के उस आशीर्वाद से परम आनंद सुख की प्राप्ति की ।
महामण्डलेश्वर श्री हरिओमदासजी महाराज ने बताया की जन्माष्टमी के तहत भगवान पद्मनाभ की विशेष झांकी तैयार किया गया है जिसमें भगवान ने राधा-कृष्ण रूप धारण कर रखा है । इस झांकी में लाईटिंग एवं बिजली की आवाज एवं भजन ने भक्तों को काफी आकर्षित किया हर कोई देखकर भाव विभोर हो जाता है । यह झांकी बाँसवाड़ा शहर की एक मात्र चलचलित एवं सम्पूर्ण रूप से कम्प्यूटराईज़्ाड एवं इलेक्ट्रिकल स्वचलित झांकी है ।