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तुलसी विवाह के प्रसंगों ने बिखेरी मंगल लहरियां

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15 Jul 19
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तुलसी विवाह के प्रसंगों ने बिखेरी मंगल लहरियां

बांसवाड़ा| गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में यहां लालीवाव मठ में चल रही श्रीमद्भागवत कथा की पूर्णाहुति 15 जुलाई सोमवार को शाम छह बजे होगी।
इससे पूर्व दोपहर एक से पांच बजे तक पण्डित अनिलकृष्णजी महाराज द्वारा कथा की जाएगी। इसके उपरान्त रुद्राभिषेक एवं आरती होगी। इन सारे अनुष्ठानों के बाद शाम छह बजे श्रीमद्भागवत पूर्णाहुति यज्ञ होगा।
राम सबमें समाया है, जग में पराया कोई नहीं - पण्डित अनिलकृष्णजी महाराज
जग में कोई नहीं पराया हम में राम....
हम में राम तुम में राम सब में राम समाया है जग में कोई नहीं पराया.... पण्डित अनिलकृष्णजी ने कथा के क्रम में कहा कि गीता कहने से हम ज्ञानी नहीं हो जाते है । गीता की मानें तब ज्ञानी । माँ-बाप की मानें तब हमारा कल्याण होता है । दुनिया की नज़्ारों में अच्छे बनने से क्या ? हमारे कन्हैया की नज़्ार में अच्छे बन जाओ तो दोनों लोक सुधर जाएगा । 
भगवान तो भाव के भूखे होत है 
भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं और रहस्यों को साधारण मनुष्य कभी नहीं समझ सकता है । वे तो भाव के भूखे हैं । 
गुरू महिमाः-पण्डित अनिलकृष्णजी महराज ने अपने प्रवचन में बताया कि गुरू शब्द का अभिप्राय अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाना है। जिस व्यक्ति का कोई गुरू नहीं होता है वह सही मार्ग पर नहीं चल सकता है। अतः प्रत्येक को जीवन में गुरू अवश्य बनाना चाहिए।


पण्डित अनिलकृष्ण महाराज ने बताया कि महाराज भीष्म अपनी पुत्री रुक्मणी का विवाह श्रीकृष्ण से करना चाहते थे, परन्तु रुक्मणी राजी नहीं थी। वह रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल से करना चाहता था। रुक्मणी इसके लिए जारी नहीं थीं। विवाह की रस्म के अनुसार जब रुक्मिणी माता पूजन के लिए आईं तब श्रीकृष्णजी उन्हें अपने रथ में बिठा कर ले गए। तत्पश्चात रुक्मणी का विवाह श्रीकृष्ण के साथ हुआ। ऐसी लीला भगवान के सिवाय दुनिया में कोई नहीं कर सकता। यह कथा रविवार को तपोभूमि लालीवाव मठ में  चल रही भागवत कथा में पण्डित अनिलकृष्णजी महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि भागवत कथा ऐसा शास्त्र है। जिसके प्रत्येक पद से रस की वर्षा होती है। इस शास्त्र को शुकदेव मुनि राजा परीक्षित को सुनाते हैं। राजा परीक्षित इसे सुनकर मरते नहीं बल्कि अमर हो जाते हैं। प्रभु की प्रत्येक लीला रास है। हमारे अंदर प्रति क्षण रास हो रहा है, सांस चल रही है तो रास भी चल रहा है, यही रास महारास है इसके द्वारा रस स्वरूप परमात्मा को नचाने के लिए एवं स्वयं नाचने के लिए प्रस्तुत करना पड़ेगा, उसके लिए परीक्षित होना पड़ेगा। जैसे गोपियां परीक्षित हो गईं। 
रविवार को भागवत कथा में तुलसी विवाह और रुक्मणी विवाह के मनोहारी प्रसंगों ने आनंद रसों का ज्वार उमड़ा दिया। बड़ी संख्या में मौजूद भक्तों ने भजन-कीर्तनों पर झूम-झूमकर नृत्य का आनंद लिया।
श्रद्धालु महिलाओं ने विवाह गीत और मंगल गीत गाकर विवाह रस्मों का दिग्दर्शन कराते हुए मंत्र मुग्ध कर दिया।दुल्हे के रूप में भगवान श्रीकृष्ण की सजी-धजी बारात श्री पद्मनाथ मन्दिर से निकली और भागवत कथा स्थल पर विवाह मण्डप पहुंची जहां दुल्हन के रूप में तुलसी मैया के वधू पक्ष के लोगों ने अक्षतोें की बरसात कर वेवण-वैवाइयों और बारात का जमकर स्वागत सत्कार किया।
जाने-माने कर्मकाण्डी पं. इच्छाशंकर जोशी के आचार्यत्व में तुलसी विवाह विधि-विधान से पूरा हुआ। भगवान के बारातियों के रूप में लालीवाव पीठाधीश्वर हरिओमदासजी महाराज, श्री रामस्वरुपजी महाराज भारत माता एवं लालीवाव की शिष्य परम्परा के प्रमुख भक्तों सुभाष अग्रवाल, राजु सोनी, दीपक तेली, गोपाल भाई, राजेश भाई, महेश राणा आदि ने भगवान श्री कृष्ण को कांधे पर बिठाकर विवाह मण्डप लाए। तुलसी मैया की ओर से आयोजक परिवार ने सभी का स्वागत किया।
चित्र नहीं चरित्र के उपासक बने - महामण्डलेश्वर हरिओमदासजी महाराज
तपोभूमि लालीवाव मठ में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दौरान आशीर्वचन के रूप में महामण्डलेश्वर हरिओमदासजी महाराज ने कहा कि हम चित्र नहीं चरित्र के उपासक बनें । भक्ति और सत्संग से ज्ञान आता है और ज्ञान से चरित्र का निर्माण होता है । अच्छे काम बार-बार करें, लगातार करें, तब तक करें, जब तक वह आदत न बन जाए । महाराज श्री ने कहा कि मदिरा संबंधों में शुचिता को छीनती है । इसके सेवन से मन व प्राण का संतुलन बिगड़ता है । धन का अधिक होना अपव्यय की प्रवृति बढ़ाता है । धन को भोगें, पर पात्र लोगों में उसे बांटे । दान की यहीं सही विधि है ।
श्रीमद् भागवत सप्ताह की पूर्णाहूति सोमवार को
तपोभूमि लालीवाव मठ में भागवत पुर्णाहुति महायज्ञ सोमवार को प्रातः 9 बजे से महायज्ञ प्रारंभ होगा । प्रतिदिन के भांति रुद्राभिषेक पूजन प्रातः 7.30 बजे से एवं भागवत कथा दोपहर 1 बजे से इसके साथ ही भागवत कथा की पूर्णाहूति ।
गुरुपूर्णिमा 16 जुलाई को लालीवाव मठ में
गुरुपूर्णिमा प्रातः 5 बजे से गुरुपूर्णिमा महामहोत्सव मनाया जायेगा ।
इस अवसर पर गुरुगादी पूजन-प्रातः 5 बजे से, महाप्रसादी भण्डारा-11 से 3.30 बजे, गुरुदीक्षा-प्रातः 12 से 3 बजे, महाआरती दोपहर 3.30 बजे, जिसमें आप सभी धर्मप्रेमी सादर प्रार्थनीय है।
नोट - चन्द्रग्रहण सूतक के कारण 16 जुलाई को गुरुपूर्णिमा के दिन सायं 4 बजे सभी उत्सव सम्पूर्ण हो जायेगे एवं भगवान के पट बंद कर दिए जायेंगे । कृपया समय का विशेष ध्यान रखे । सायं - केवल कीर्तन किया जायेगा ।
तैयारियों को लेकर तपोभूमि लालीवाव मठ में सभी को जिम्मेदारी सौंपी गई ।


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