उदयपुर, भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा प्रायोजित एवं राजस्थान सरकार के ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग के राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद्, उदयपुर (राजीविका) द्वारा शिल्पग्राम के दर्पण द्वार पर आयोजित उदयपुर सरस राष्ट्रीय क्राफ्ट मेले में मेवाड़ की पगड़िया व साफे विशेष आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है।
महाराज की खेडी की 35 महिलाओं ने कुछ हटकर करने की चाहत में पुरूषों के वर्चस्व वाले क्षेत्र में आरसेटी से प्रशिक्षण प्राप्त कर मेवाड़ी पगड़ी और साफे बाँधने मेंमहारत हासिल की। ये महिलाएं अपने हुनर का प्रदर्शन महिला स्वयं सहायता समूह के माध्यम से इस मेले में कर रही है जहां इनके द्वारा बनाए जा रहे उत्पाद को सराहने के साथ खरीदा भी जा रहा है। मेले में स्टाल संभाल रही निर्मला और शांता ने बताया कि कच्चा माल यानि कपड़ा, कलर करना, डेकोरेट करना, बांधना, सिलाई करना आदि कार्य समूह के माध्यम से किया जाता है। अन्य महिलाएं समूह के तहत पगड़ी और साफे तैयार करने का कार्य करती हैं। उन्होंने बताया कि वे शहर की दुकानों , शोरूम पर सप्लाई के आर्डर भी लेते हैं।
राजीविका के जिला परियोजना प्रबंधक नरपत सिंह जेतावत ने बताया मेले के चैथे दिन प्रतापगढ़ की विश्व विख्यात थेवाकला, सीकर की क्रोकरी, घर की सजावट, फर्नीचर, एम्ब्रायडरी, उदयपुर की राब, हेंडीक्राफ्ट ज्वेलरी, कंगन, शहद, हाथ से बना साबुन सर्फ, घरेलू सामान, अलवर का प्रसिद्ध गलीचा, कोल्हापुरी चप्पल, चमड़े से बने बैग,डायरी, बांस से बनी हुई बास्केट, ट्रे, स्टैंड तथा सजावटी तथा मिट्टी तथा लकड़ी से बने हुए गमले आमजन द्वारा पसंद किए जा रहे है।
जिला प्रबंधक (आजीविका) सुश्री जाफरीन ने बताया कि संध्याकाल में होने वाली मनमोहक सांस्कृतिक प्रस्तुतियों को भी लोगों द्वारा सराहा जा रहा है।