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जिला कलक्टर ने टास्क फोर्स की बैठक में दिए निर्देश

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16 Jan 19
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जिला कलक्टर ने टास्क फोर्स की बैठक में दिए निर्देश
जयपुर,  जयपुर जिले में बालश्रम की रोकथाम की रोकथाम के लिए पुलिस, प्रशासन और सम्बंधित विभागों की संयुक्त टीम का गठन करते हुए इसके लिए जिम्मेदार नियोजकों के विरूद्ध सतत और प्रभावी कार्यवाही की जाएगी। बालश्रम में लिप्त नियोजकों के बारे में प्राप्त इनपुट्स के आधार पर ऐसी कार्यवाही को अंजाम दिया जाएगा।  
जिला कलक्टर श्री जगरूप सिंह यादव ने मंगलवार को जिला कलेक्ट्रेट सभागार में बालश्रम की रोकथाम एवं किशोर न्याय अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए गठित टास्क फोर्स की बैठक की अध्यक्षता करते हुए इस बारे में अधिकारियों को निर्देश जारी किए। उन्होंने बैठक में मौजूद पुलिस अधिकारियों को बालश्रम कराने वाले संगठित समूहों के खिलाफ भी प्रभावी कार्यवाही करने के निर्देश प्रदान किए। 
श्री यादव ने कहा कि सभी सम्बंधित विभाग और इस क्षेत्र से जुडे़ स्वयं सेवी संगठन (एनजीओ) बालश्रम, चाईल्ड ट्रैफिकिंग, बच्चों से भीख मंगवाने तथा उनके विरूद्ध अपराधों की रोकथाम के 15 दिन में अपनी कार्ययोजना बनाकर दे, जिसमें इस बुराई पर लगाम कसने के लिए सुझावों का भी समावेश किया जाए। इसके आधार पर जिला प्रशासन के स्तर से मॉनिटरिंग एवं विभागों व एजेंसीज के बीच समन्वय के साथ कार्यवाही होगी ताकि धरातल पर सकारात्मक परिणाम सामने आए। 
जिला कलक्टर ने कहा कि बालश्रम से मुक्त कराए गए बच्चों के पुनर्वास, शिक्षण एवं व्यक्तित्व विकास की दिशा में भी सम्बंधित विभाग एनजीओ के साथ मिलकर काम करे ताकि उनको मुख्यधारा में शामिल कर जीवन में प्रगति के अवसर प्रदान किए जा सके। 
अतिरिक्त जिला कलक्टर-दक्षिण श्री धारा सिंह मीणा ने कहा कि बालश्रम की रोकथाम सभी विभागों की मिलीजुली जिम्मेदारी है, अतः सभी मिलकर बालश्रम की रोकथाम एवं किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप कार्यवाही सुनिश्चित करे।
बैठक में मौजूद जयपुर ग्रामीण एवं आयुक्तालय क्षेत्र के पुलिस अधिकारियों ने गत महिनों में बालश्रम की रोकथाम एवं किशोर न्याय अधिनियम के तहत दर्ज प्रकरणो, अभियुक्तों की गिरफ्तारी, न्यायालय में पेश चालान, मुक्त कराए गए बालश्रमिकों आदि के बारे में प्रगति का विवरण प्रस्तुत किया। बाल कल्याण समिति, चाईल्ड लाईन और अन्य एनजीओ के प्रतिनिधियों ने बालश्रम में लिप्त नियोजकों में भय पैदा करने के लिए सतत रूप से मुकदमें दर्ज कराने कार्यवाही करने, अवेयनेस ड्राईव चलाने, बालश्रम में लिप्त पाए जाने वाले नियोजकों के प्रतिष्ठान को सील करने सहित अन्य सुझाव दिए। 

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