उदयपुर आज खतरे में धरती नही हम है। पर्यावरण में होरहा बदलाव मनुष्य के लिए सबसे बडी चुनौती है। समुद्र का जल स्तर बढ रहा है तो साथ-साथ पृथ्वी का तापमान भी, पर्यावरण में हो रहे बदलाव के साथ देश की आबादी को स्वच्छ पानी, खाद्य उर्जा, बायोडायवर्सिटी और स्वस्थ जीवन देने की भी चुनौती है। अन्य देशों की तुलना में भारत के लिए यह चुनौती गंभीर है। क्यों कि जिस तरह से जलवायु में परिवर्तन हो रहा है उसके लिए हम सब जिम्मेदार है। आज मनुष्य ने जल, जमीन व जंगल, वायु किसी को नही छोडा सबको प्रदुषित कर दिया है, इस प्रदुषण का खामियाजा अकसर निम्न तबके के लोगों को भुगतना पडता है। अतः हमारे लिये वृक्ष धरती के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। वृक्ष कार्बनडाई ऑक्साइड को ऑक्सीजन में बदलते है, एक वृक्ष प्रतिवर्ष १२ टन कार्बनडाई ऑक्साइड को अवशोषित कर ०.४ टन ऑक्सीजन देते है। साथ अल्ट्रावायलेट किरणों से हमें बचाते है। उक्त विचार शनिवार को विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ के संघटक कम्प्युटर विभाग की ओर से आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार एडेप्टेशन एण्ड इम्प्लीमेन्टेशन ऑफ पेरिस एग्रीमेन्ट-क्लाईमेट चेंज एण्ड इनवारमेन्टल अवेयरनेस विषय पर कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत बतौर मुख्य अतिथि के रूप में कही। प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि पृथ्वी संरक्षण को लेकर आज प्रत्येक व्यक्ति को सकि्रय रूप से कार्य करना होगा तभी संरक्षण की अलख जगाई जा सकती है।
अध्यक्षता करते हुए डॉ. मंजु मांडोत ने कहा धरती हमारी माता है, और एक वृक्ष की भांति हमें इसकी देखाभाल करनी चाहिए तथा पृथ्वी को सुरक्षित रखने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को वर्ष में एक पौधा आवश्य लगाना चाहिए। साथ ही हमें पॉलीथीन के इस्तेमाल एवं अत्याधुनिक संसाधनों के उपयोग से ग्लोबल वार्मिंग हो रही है। विशिष्ट अतिथि प्रो. अनिता शुक्ला तथा कम्प्युटर विभाग के निदेशक डॉ. मनीष श्रीमाली ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर डॉ. प्रदीप सिंह शक्तावत, डॉ. भारत सिंह देवडा, डॉ. दिनेश श्रीमाली, प्रज्ञा जोशी भी उपस्थिति थे।
विद्यार्थियों ने ली शपथ, रोपे पौधे - डॉ. गोरव गर्ग ने बताया कि नीम, जामुन, शीशम, पीपल आदि के पोधे रोपकर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प दिलाया।
Source :